संकोच से संवाद तक: डॉ. सबीहा इनामदार ने सेक्स एजुकेशन को दी नई पहचान

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 15-07-2025
Dr. Sabiha Inamdar: From Taboo to Transformation
Dr. Sabiha Inamdar: From Taboo to Transformation

 

 

डॉ. सबीहा इनामदार का भारत की अग्रणी सेक्स और रिलेशनशिप कोच बनने का सफ़र चुनौतियों से भरा रहा है. महाराष्ट्र के एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार में जन्मीं, ऐसे समाज में जहाँ यौन स्वास्थ्य और अंतरंग संबंधों पर खुलकर बातचीत करना आम बात है. उनका काम किसी क्रांतिकारी से कम नहीं है. 'द चेंजमेकर्स' के तहत पेश है भक्ति चालक की यह खास रिपोर्ट डॉ. सबिहा इनामदार पर.  

48 वर्षीय डॉ. इनामदार कहती हैं, "जिस्म की बात नहीं, रूह तक जाना है..." डॉ. इनामदार कहती हैं कि उनकी अपनी शादी ने सेक्स और रिलेशनशिप कोचिंग के प्रति उनके दृष्टिकोण को मौलिक रूप से आकार दिया.

वह बताती हैं, "जब मैं पुणे में चिकित्सा का अभ्यास कर रही थी, तब मेरे दोस्तों की शादियाँ होने लगीं. मैं भी अपनी उम्र के 25वें दशक में थी और शादी करना चाहती थी. उस समय मुझे शादी के बारे में बस इतना ही पता था कि यह बस एक रस्म है."

वह आगे कहती हैं, "जब उन्होंने अली से शादी की, तो उनका जीवन पूरी तरह बदल गया. कई नए कर्तव्य और ज़िम्मेदारियाँ सामने आईं. इनमें से एक, मुझे ग़लती से लगा कि सेक्स भी है. 

 

एक डॉक्टर होने के बावजूद, मुझे सेक्स का असली मतलब समझ नहीं आया. मैं इसे सिर्फ़ एक क्रिया मानती थी. मेरी शुरुआती समझ यही थी कि माँ बनना मेरा प्राथमिक कर्तव्य है, और बच्चे के जन्म के बाद ही वैवाहिक जीवन वास्तव में सफल होगा.

मेरी बेटी के जन्म के दस साल बाद मुझे एक गहरा एहसास हुआ: सेक्स सिर्फ़ एक क्रिया नहीं है, बल्कि प्रेम की एक गहरी अभिव्यंजक और सक्रिय भाषा है. यह अंतरंगता का एक रूप है, और मैंने इस विषय को गहन गंभीरता से लेना शुरू कर दिया."

डॉ. इनामदार की विशिष्टता जटिल विषयों को समझने की उनकी अद्भुत क्षमता में निहित है, जिससे संवाद के लिए एक सहज और खुला माहौल बनता है. वह 'डॉ. सबीहा कोचिंग एंड कंसल्टिंग' (डीएससीसी) क्लिनिक से अनगिनत जोड़ों को उनके रिश्ते की चुनौतियों से निपटने में करुणापूर्वक मार्गदर्शन करती हैं.

न्यूरो-लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग (एनएलपी) में उनका विशेष प्रशिक्षण उन्हें जोड़ों की भावनात्मक सूक्ष्मताओं को सहजता से समझने और व्यक्तियों को उन विषयों पर खुलकर चर्चा करने के लिए सशक्त बनाता है जिन्हें अक्सर समाज में वर्जित माना जाता है.

शादी को आगे बढ़ाना चुनौतियों से भरा हो सकता है: भावनाओं को संतुलित करना, सुख-दुख साझा करना, पारिवारिक गतिशीलता को पोषित करना और साझा ज़िम्मेदारियों को अपनाना. एक रिश्ते को वास्तव में फलने-फूलने के लिए, पति-पत्नी के बीच एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव विकसित करना सर्वोपरि है.

 

डॉ. इनामदार सेक्स कोच बनने के अपने उल्लेखनीय सफर का श्रेय अपने पति के अटूट प्रोत्साहन को देती हैं. डॉ. सबीहा इनामदार का भारत की अग्रणी सेक्स और रिलेशनशिप कोच बनने का सफ़र चुनौतियों से भरा रहा है.

महाराष्ट्र के एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार में जन्मीं, ऐसे समाज में जहाँ यौन स्वास्थ्य और अंतरंग संबंधों पर खुलकर बातचीत करना आम बात है. उनका काम किसी क्रांतिकारी से कम नहीं है. 48वर्षीय डॉ. इनामदार कहती हैं, "जिस्म की बात नहीं, रूह तक जाना है..."

डॉ. इनामदार कहती हैं कि उनकी अपनी शादी ने सेक्स और रिलेशनशिप कोचिंग के प्रति उनके दृष्टिकोण को मौलिक रूप से आकार दिया. वह बताती हैं, "जब मैं पुणे में चिकित्सा का अभ्यास कर रही थी, तब मेरे दोस्तों की शादियाँ होने लगीं. मैं भी अपनी उम्र के 25वें दशक में थी और शादी करना चाहती थी. उस समय मुझे शादी के बारे में बस इतना ही पता था कि यह बस एक रस्म है."

वह आगे कहती हैं, "जब उन्होंने अली से शादी की, तो उनका जीवन पूरी तरह बदल गया. कई नए कर्तव्य और ज़िम्मेदारियाँ सामने आईं. इनमें से एक, मुझे ग़लती से लगा कि सेक्स भी है.

एक डॉक्टर होने के बावजूद, मुझे सेक्स का असली मतलब समझ नहीं आया. मैं इसे सिर्फ़ एक क्रिया मानती थी. मेरी शुरुआती समझ यही थी कि माँ बनना मेरा प्राथमिक कर्तव्य है, और बच्चे के जन्म के बाद ही वैवाहिक जीवन वास्तव में सफल होगा.

मेरी बेटी के जन्म के दस साल बाद मुझे एक गहरा एहसास हुआ: सेक्स सिर्फ़ एक क्रिया नहीं है, बल्कि प्रेम की एक गहरी अभिव्यंजक और सक्रिय भाषा है. यह अंतरंगता का एक रूप है, और मैंने इस विषय को गहन गंभीरता से लेना शुरू कर दिया."

डॉ. इनामदार की विशिष्टता जटिल विषयों को समझने की उनकी अद्भुत क्षमता में निहित है, जिससे संवाद के लिए एक सहज और खुला माहौल बनता है. वह 'डॉ. सबीहा कोचिंग एंड कंसल्टिंग' (डीएससीसी) क्लिनिक से अनगिनत जोड़ों को उनके रिश्ते की चुनौतियों से निपटने में करुणापूर्वक मार्गदर्शन करती हैं.

न्यूरो-लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग (एनएलपी) में उनका विशेष प्रशिक्षण उन्हें जोड़ों की भावनात्मक सूक्ष्मताओं को सहजता से समझने और व्यक्तियों को उन विषयों पर खुलकर चर्चा करने के लिए सशक्त बनाता है जिन्हें अक्सर समाज में वर्जित माना जाता है.

शादी को आगे बढ़ाना चुनौतियों से भरा हो सकता है: भावनाओं को संतुलित करना, सुख-दुख साझा करना, पारिवारिक गतिशीलता को पोषित करना और साझा ज़िम्मेदारियों को अपनाना. एक रिश्ते को वास्तव में फलने-फूलने के लिए, पति-पत्नी के बीच एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव विकसित करना सर्वोपरि है.

डॉ. इनामदार सेक्स कोच बनने के अपने उल्लेखनीय सफर का श्रेय अपने पति के अटूट प्रोत्साहन को देती हैं. डॉ. सबीहा लंबे समय से एक संवेदनशील विषय रहे इस विषय को सामाजिक स्वीकृति दिलाने के लिए पूरे जोश से प्रयासरत हैं. वह आगे कहती हैं, "समाज में सेक्स पर और भी कई व्याख्यान होने चाहिए; खुली चर्चाएँ बेहद ज़रूरी हैं. लोगों को यह समझना होगा कि यौन शिक्षा सिर्फ़ शारीरिक संबंधों तक सीमित नहीं है; यह भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य से गहराई से जुड़ी है."

इन विषयों पर उनके व्याख्यानों ने लोगों में कामुकता के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण को लगातार बढ़ावा दिया है, खासकर युवा पीढ़ी को कामुकता और रिश्तों के बारे में सटीक और स्वस्थ जानकारी प्रदान करके.

डॉ. इनामदार न केवल यौन स्वास्थ्य पर एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं, बल्कि रिश्तों के भावनात्मक और मानसिक पहलुओं पर भी गहराई से प्रकाश डालती हैं.

अनगिनत बाधाओं का सामना करने के बावजूद, उन्होंने पीछे न हटने का दृढ़ निश्चय किया है. "चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, मैं अपना काम अथक रूप से जारी रखूँगी. मैं अपने अंतिम क्षण तक जोड़ों का मार्गदर्शन करती रहना चाहती हूँ."

डॉ. इनामदार ने ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से अपनी पहुँच का उल्लेखनीय विस्तार किया है, प्रभावशाली वेबिनार और वर्चुअल कोचिंग सत्र आयोजित करके, जो देश-विदेश में भारतीय समुदायों को जोड़ते हैं.

उन्होंने यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर हज़ारों समर्पित फ़ॉलोअर्स बनाए हैं. वह कई मराठी पॉडकास्ट में खुलकर योगदान देती हैं. इन विविध माध्यमों के ज़रिए, वह रचनात्मक रूप से लघु शैक्षिक वीडियो, रोचक प्रश्नोत्तर सत्र और इंटरैक्टिव लाइव सत्र आयोजित करती हैं.

डॉ. इनामदार का काम सकारात्मक सामाजिक बदलाव ला रहा है. यौन और भावनात्मक कल्याण को प्राथमिकता देकर, उन्होंने रिश्तों के संचार में बिल्कुल नए आयाम खोले हैं.

उनके निरंतर प्रयासों से सेक्स को लेकर लोगों में व्याप्त बेचैनी लगातार कम हो रही है. महत्वपूर्ण रूप से, उनका काम महिलाओं को, विशेष रूप से, आत्मविश्वास से अपनी भावनाओं और ज़रूरतों को व्यक्त करने के लिए सशक्त बनाता है.

गहरी सामाजिक वर्जनाओं को चुनौती देते हुए, वह कामुकता के बारे में बातचीत को एक सामान्य और सकारात्मक मानसिकता की ओर ले जा रही हैं, और वास्तव में एक अधिक समझदार, दयालु और खुले समाज के लिए एक परिवर्तनकर्ता के रूप में उभर रही हैं.