Welcomebackshubhanshu : लो आ गए शुभांशु मिश्रा, माता-पिता की आंखों में आंसू
अर्सला खान/नई दिल्ली
भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि जुड़ गई है. देश के युवा वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु मिश्रा सफलतापूर्वक अपने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशन से धरती पर लौट आए हैं. करीब 15 दिन तक अंतरिक्ष में रहकर शुभांशु ने न सिर्फ वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया, बल्कि भारत के लिए गौरव का एक नया अध्याय भी जोड़ा.
शुभांशु मिश्रा रूस के स्पेस मिशन 'सोयूज़ MS-25' के तहत अंतरिक्ष में भेजे गए थे. इस मिशन के दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भारत और रूस के साझा वैज्ञानिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. उन्होंने वहां माइक्रोग्रैविटी में जैविक प्रभावों, मानव शरीर पर पड़ने वाले परिवर्तनों और नई सामग्री तकनीकों से जुड़े परीक्षण किए.
भारत के लिए गौरव का क्षण
शुभांशु की वापसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई देते हुए कहा, "शुभांशु मिश्रा की यह उपलब्धि भारत के लिए एक गर्व का क्षण है। उन्होंने विज्ञान, साहस और समर्पण से दुनिया के सामने भारत की क्षमता को दर्शाया है." नई दिल्ली एयरपोर्ट पर उनके पहुंचते ही ISRO, DRDO और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका भव्य स्वागत किया। परंपरागत ढंग से फूलों और तिरंगे के साथ उनका अभिनंदन किया गया. शुभांशु बोले: "तिरंगे को अंतरिक्ष में लहराना गर्व का क्षण"
— NSF - NASASpaceflight.com (@NASASpaceflight) July 15, 2025
मीडिया से बातचीत में शुभांशु ने कहा, "जब मैंने पहली बार अंतरिक्ष से भारत को देखा, वह पल मेरे जीवन का सबसे भावनात्मक अनुभव था। तिरंगे को अपनी स्पेस सूट पर देखकर गर्व और जिम्मेदारी दोनों महसूस हुई." उन्होंने यह भी बताया कि मिशन के दौरान किए गए प्रयोगों से भारत को कई वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां प्राप्त होंगी, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगी.
अंतरिक्ष में हिंदी में पहला संदेश
शुभांशु मिश्रा को हिंदी में पहला अंतरिक्ष संदेश भेजने वाले भारतीय बनने का भी गौरव प्राप्त हुआ. उन्होंने अंतरिक्ष से भारतवासियों को संबोधित करते हुए कहा, "भारत की धरती से आकाश तक की यह यात्रा, विज्ञान और सपनों की साझी उड़ान है." शुभांशु मिश्रा की सफलता भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है. ISRO के चेयरमैन ने कहा, "शुभांशु ने यह साबित कर दिया है कि अगर लगन और समर्पण हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता।"
माता-पिता की आंखों में आंसू
शुभांशु मिश्रा की यह अंतरिक्ष यात्रा सिर्फ एक वैज्ञानिक मिशन नहीं, बल्कि भारत की वैज्ञानिक उन्नति और अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ती साख की कहानी है. अंतरिक्ष से लौटते समय उनके चेहरे पर दिख रही संतुष्टि और आत्मविश्वास इस बात की गवाही देते हैं कि भारत का भविष्य अब सिर्फ धरती पर ही नहीं, बल्कि ब्रह्मांड में भी उज्जवल है. जब अंतरिक्ष से लौटे वैज्ञानिक शुभांशु मिश्रा दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे, तो सबसे पहले जो दो आंखें उन्हें ढूंढ रही थीं, वो थीं उनके माता-पिता की. जैसे ही शुभांशु ने अपने परिवार को देखा, मां की आंखों से आंसू छलक पड़े, और पिता ने गर्व से बेटे को सीने से लगा लिया.
मां बोलीं: "उसने बचपन में ही कहा था, मुझे तारे छूने हैं. शुभांशु की मां, सरिता मिश्रा, अपने बेटे की उपलब्धि पर फूली नहीं समा रही थीं। उन्होंने नम आंखों से कहा, "जब वो छोटा था, तो छत पर लेटकर तारों को निहारता रहता था. एक दिन बोला – मां, मुझे ऊपर जाना है.
आज वो सपना पूरा हुआ। मैं भगवान का धन्यवाद करती हूं।" शुभांशु के पिता राजेंद्र मिश्रा, जो एक रिटायर्ड शिक्षक हैं, ने कहा, "हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा बेटा एक दिन अंतरिक्ष में जाएगा। वह सिर्फ हमारा ही नहीं, पूरे देश का बेटा है. उसका जज्बा देखकर आंखें भर आईं."