गोपालन के लिए बबन मियां को मिला ‘भारत गुरू’ सम्मान

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
गोपालन के लिए बबन मियां को मिला ‘भारत गुरू’ सम्मान
गोपालन के लिए बबन मियां को मिला ‘भारत गुरू’ सम्मान

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली/ बुलंदशहर
 
गाय से प्यार करने या उससे जुड़ने के लिए आपका हिंदू होना जरूरी नहीं. इसीलिए गाय के प्रति सम्मान और प्यार की अलग-अलग कहानियां समय≤ पर सामने आती रहती हैं. ऐसी ही एक कहानी है बलंदशहर के चंदियाना गांव की. यहां के मुख्य गोपालक हैं बबन मियां. उन्हें असहाय गायों को आश्रय देने के लिए ‘भारत गुरु‘ पुरस्कार मिल चुका है. भारत में जहां गाय को ‘माता‘ का दर्जा प्राप्त है और उसकी पूजा की जाती है. बबन मियां गायों को लेकर इस भावना से ओत-प्रोत हैं.

उनकी भावना को सलाम करते हुए, केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान दिल्ली के इंपीरियल होटल में आयोजित एक प्रतिष्ठित समारोह में बबन मियां को भारत गुरु पुरस्कार से नवाज चुके हैं. इस खबर ने बबन मियां के गांव चंदियाना में लोग बेहद खुश हैं.
 
सम्मान समारोह में राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने कहा कि गौ सेवा एक महान धर्म है. गोपालक बबन मियां अपनी मां के आदर्शों पर चलकर गायों की सेवा कर समाज को एक नई राह दिखाने का प्रयास कर रहे हैं.
 
आवाज द वाॅयस से बात करते हुए बबन मियां ने कहा, ‘‘गौ सेवा का जुनून उन्हें उनकी दिवंगत मां हमीदुल निसा से मिला है. वह घर में चार-पांच गाय रखती थीं उनकी सेवा-टल उनकी मां खुद अपने हाथों से करती थीं.‘‘ 
 
बबन मियां का कहना है कि उनकी मां कहती थीं कि मैं दुनिया में रहूं अथवा नहीं पर उनके पीछे भी यह काम चलता रहे. ऐसा होगा या नहीं, मुझे नहीं पता.’’वह बताते हैं कि गंगा के प्रति भी उनकी मां भरपूर प्रेम और स्नेह था.
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जब 2015 में उनकी मां का निधन हो गया, तो बबन मियां अपनी मां के सपने और इच्छा को पूरा करने के प्रयास शुरू कर दी. उन्होंने एक नियमित गोशाला की स्थापना की, जिसका नाम कृष्णजी के नाम पर रखा. शुरुआत में केवल 20 या 25 गाएं थीं, लेकिन अब उनकी संख्या 90 है. 16 बछड़े भी हैं.
 
गाय का दूध है जरूरी

आज के जमाने में बबन मियां एक मिसाल बन गए हैं. वे सभी की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने में विश्वास रखते हैं. उनकी धार्मिक सहनशीलता भी काबिले तारीफ है.
 
 उनका कहना है कि इस्लाम बीफ के इस्तेमाल की मनाही नहीं करता, लेकिन हम गाय का दूध पीते हैं, हम इसे खाने के लिए कैसे मार सकते हैं. इसके खिलाफ  कानून है और हमें कानून का पालन करना चाहिए.
 
आवाज द वॉयस से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘हर त्योहार पर हम जरूरतमंदों को मुफ्त दूध देते हैं. इतना ही नहीं, क्षेत्र के गरीब व्यक्ति की शादी के लिए भी दूध मुफ्त दिया जाता है.‘‘ हमारा मकसद कारोबार नहीं है. हम गायों का पालन-पोषण कर रहे हैं और डेयरी के सामान से उनका खर्चा उठा रहे हैं.
 
जब उनके अत्याधुनिक गोशाला की गूंज विदेशों तक पहुंची, तो वे बबन मियां के उत्कृष्ट कार्य और सामाजिक सेवाओं से प्रभावित हुए और उन्हें यूरोप में टैंगो विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट के लिए चुना गया. बबन मियां ने कहा कि उन्हें एक यूरोपीय देश के कॉमनवेल्थ वोकेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई है.
 
उन्हें सिंगापुर में लिगेसी इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन द्वारा भी सम्मानित किया गया है. इस अवसर पर संगठन के महासचिव डॉ. संदीश यादव, डॉ. दिनेश कुमार, प्रताप चंद्र सारंगी, न्यायमूर्ति जेके जैन आदि उपस्थित थे.
 
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा लक्ष्य अच्छे कामों को बढ़ावा देना है. मैं अपनी मां की पसंद का पोषण करना चाहता हूं.‘‘ काम करने में मजा आता है.