मुस्लिमों को दलितों के मुकाबले कम अनुदान क्यों दिया जा रहाः भाजपा सांसद

Story by  रावी | Published by  [email protected] | Date 18-08-2023
Arvind Dharmapuri
Arvind Dharmapuri

 

हैदराबाद. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद अरविंद धर्मपुरी ने गुरुवार को कहा कि देश में मुस्लिम समुदाय, खासकर महिलाएं समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने का इंतजार कर रही हैं. अरविंद धर्मपुरी ने कहा कि 2019 में तीन तलाक पर प्रतिबंध के बाद मुस्लिम महिलाएं सम्मानजनक जीवन जी रही हैं और वे यह भी चाहती हैं कि देश में यूसीसी लागू हो. उन्होंने राज्य सरकार की इस नीति पर भी सवाल उठाए हैं कि मुसलमानों को योजनाओं के तहत दलितों के मुकाबले कम धन दिया जा रहा है.

भाजपा नेता ने कहा, ‘‘मुसलमानों के संबंध में, बीआरएस (भारत राष्ट्र समिति) और कांग्रेस दोनों चोर हैं. इन दोनों ने मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया. मुसलमान हमारी प्रमुख योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत, आवास योजना और अन्य के सबसे बड़े लाभार्थी हैं. आज मुसलमान खासकर महिलाएं भाजपा को वोट दे रही हैं. 2019 में तीन तलाक पर प्रतिबंध के बाद मुस्लिम महिलाएं सम्मानजनक जीवन जी रही हैं. सभी मुसलमान विशेषकर महिलाएं यूसीसी के कार्यान्वयन का इंतजार कर रही हैं.’’

भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में एक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा. यूसीसी विवाह, विरासत, गोद लेने और अन्य मामलों से निपटने वाले कानूनों का एक सामान्य सेट प्रस्तावित करता है.

हाल ही में एक सार्वजनिक बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूसीसी के कार्यान्वयन के लिए एक मजबूत मामला पेश किया, विपक्ष के कई नेताओं ने प्रस्तावित कानून के विरोध में आवाज उठाई. 17 जून 2016 को कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा भेजे गए एक संदर्भ के संबंध में, भारत के 22वें विधि आयोग ने प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की विषय वस्तु की जांच की.

भारत के 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के बारे में बड़े पैमाने पर जनता और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के विचार जानने का फैसला किया और इच्छुक पक्षों से 14 जुलाई तक अपनी राय पेश करने को कहा.

धर्मपुर ने आगे यह दावा करने के लिए बीआरएस नेता के कविता पर हमला किया कि मुस्लिम उनकी पार्टी के साथ हैं और कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ दल ने समुदाय को कांग्रेस की तरह केवल वोट बैंक माना है. उन्होंने कहा, ‘‘आप कविता को इतनी गंभीरता से क्यों ले रहे हैं? 7 दशकों से अधिक समय से, कांग्रेस मुसलमानों को वोट बैंक मानती है. बीआरएस पार्टी भी यही काम कर रही है. केवल तुष्टिकरण है लेकिन मुसलमानों का कोई उत्थान नहीं है. बीआरएस परिवार पार्टी का कोई भी सदस्य केसीआर, केटीआर या कविता सहित को मेरी एक चिंता का जवाब देना चाहिए. आप लगभग 1 साल से ‘दलित बंधु’ योजना दे रहे हैं, लेकिन इस योजना में 1 प्रतिशत भी दलितों को पैसा नहीं मिला है. इस योजना में हर दलित परिवार को शामिल किया जाएगा. 10 लाख रुपये दिए गए. जुलाई में, केसीआर सरकार एक और जीओ लेकर आई कि प्रत्येक मुस्लिम परिवार को 1 लाख रुपये दिए जाएंगे और इसे मुस्लिम बंधु नाम दिया गया. मुझे समझ में नहीं आता कि वे अंतर क्यों कर रहे हैं और 10 जरचवरव रुपये दे रहे हैं दलितों को और मुसलमानों को सिर्फ एक लाख रुपये?’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुसलमान, खासकर महिलाएं आज बीजेपी को वोट दे रही हैं...’’ उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की आलोचना करते हुए पूछा, ‘‘किस आधार पर केसीआर यह निर्णय ले रहे हैं कि मुसलमानों के लिए 1 लाख रुपये पर्याप्त हैं?’’ धर्मपुरी ने कहा, “मेरे अनुसार, मुस्लिम और दलित दोनों ही सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं. केसीआर के यह निर्णय लेने का आधार क्या है कि मुसलमानों के लिए 1 लाख रुपये पर्याप्त है? उन्हें लोगों को यह बात समझानी चाहिए. मैं सवाल कर रहा हूं कि 9 लाख रुपये का अंतर क्यों है?”

बीआरएस और बीजेपी के एक साथ होने के कांग्रेस के आरोप पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बीजेपी सांसद ने पलटवार करते हुए कहा कि सबसे पुरानी पार्टी खुद पिछले 10 वर्षों से बीआरएस की ‘आपूर्ति करने वाली कंपनी’ बन गई है.

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ दिन पहले हैदराबाद में डबल-बेडरूम घरों की विफलता पर एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था. आए दिन जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. राज्य और केंद्र स्तर के कार्यक्रम हैं. 18 तारीख से विधायक प्रवास योजना शुरू हो रही है. किशन रेड्डी के टी-बीजेपी प्रमुख बनने के बाद, बीजेपी के कार्यक्रम समन्वित तरीके से बढ़ रहे हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘2014 में, कांग्रेस पार्टी के 11 विधायक जीते थे. 7 लोग यानी एक तिहाई, बीआरएस में शामिल हो गए. 2018 में, कांग्रेस के 18 विधायक जीते, जिनमें से दो तिहाई यानी 12 बीआरएस में शामिल हो गए. कौन सा कांग्रेस नेता इसकी गारंटी दे सकता है कि 2023 में कोई भी कांग्रेस विधायक बीआरएस में नहीं जाएगा? 2018 में, न केवल विधायक बल्कि कई चुनाव लड़ने वाले विधायक चुनाव मैदान छोड़कर केसीआर से पैसे लेने के बाद चुनाव से कुछ दिन पहले गायब हो गए. कांग्रेस को इसका जवाब देने दीजिए. आप (कांग्रेस) पिछले 10 वर्षों से बीआरएस की आपूर्ति करने वाली कंपनी बन गए हैं. कोई भी इस बारे में बात नहीं करता है.’’

 


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