प्लास्टिक दो, सोना लो: सफाई मिशन पर जम्मू-कश्मीर के ग्राम प्रधान फारूक अहमद गनई

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 29-07-2023
प्लास्टिक दो, सोना लो: सफाई मिशन पर जम्मू-कश्मीर के ग्राम प्रधान फारूक अहमद गनई
प्लास्टिक दो, सोना लो: सफाई मिशन पर जम्मू-कश्मीर के ग्राम प्रधान फारूक अहमद गनई

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली / अनंतनाग 

"जिस धरती पर हम चलते हैं, जिस मातृभूमि से हमें अपने जीवन के सारे संसाधन मिलते हैं उसे स्वस्छ रखना ही हमारा परम धर्म और कर्तव्य है." यह कहना है अनंतनाग के सादिवारा गांव के सरपंच फारूक अहमद गनई का, जो अपने घर से हमेशा एक छड़ी और कपड़े के थैले के साथ निकलते हैं. 

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के सादिवारा गांव के सरपंच फारूक अहमद गनई पर्यावरण को बचाने की अपनी मुहिम के तहत घरेलू प्लास्टिक कचरे को खेतों और जल निकायों में फेंकने से रोकने के लिए लोगों को पॉलिथीन के बदले में सोने के सिक्के देते हैं. 
 
 
प्लास्टिक प्रदूषण (Plastic Pollution) को फारूक अहमद गनई एक सामाजिक बुराई मानते हैं जो सभी के लिए बहुत हानिकारक है, इससे निजात पाने के लिए ही सादिवारा गांव के सरपंच फारूक अहमद गनई ने पहले सेनिटैशन विद कम्युनिटी पार्टिसिपेशन (sanitation with community participation) की शुरुवात अगस्त 2019 में की थी, जो अब प्लास्टिक दो सोना लो के नाम से चर्चित है. जिसकी सफलता की गूंज अब हर जगह है.
 
 
सरपंच ने 200 किलोग्राम प्लास्टिक कचरा जमा करने वाले को 1 सोने का सिक्का देने का वादा किया था, जिसको उनकी पत्नी शबनम फारूक ने अपने मेहर (वह धनराशि है जो एक मुस्लिम पत्नी अपने पति से विवाह के प्रतिफलस्वरूप पाने की अधिकारिणी है) से देने का वायदा किया था. इसके बाद जनवरी माह में उनके गांव को जिला आयुक्त की तरफ से आधिकारिक तौर पर प्लास्टिक मुक्त घोषित कर दिया गया. वहीं, अनंतनाग के सहायक विकास आयुक्त रियाज अहमद ने बताया कि सादिवारा कश्मीर का पहला गांव है, जिसे प्लास्टिक प्रदूषण मुक्त घोषित किया गया है.
 
प्लास्टिक दो सोना लो योजना कहाँ शुरू हुई है ?
 
आवाज द वॉयस से बात करते हुए फारूक अहमद गनई (Sarpanch of Sadiwara village Farooq Ahmad Ganai) ने बताया कि इस खास मुहीम की चर्चा अब यूपीएससी एग्जाम और करंट अफेयर्स में भी हैं जहां ये सवाल पूछा जाता है. उन्होंने कहा, ‘पॉलिथीन चिंता का विषय रहा क्योंकि यह कचरे के गड्ढों में भी नहीं सड़ती. तभी मेरे मन में- “पॉलिथीन लाओ, सोना ले जाओ.” का विचार आया. 
उन्होंने पहले 20 क्विंटल पॉलिथीन लाने वालों को एक सोने का सिक्का देने की बात कही थे लेकिन अब वो 2 और ढाई कुंटल प्लास्टिक लेन वाले को भी सोना सिक्का देते हैं और इससे काम प्लास्टिक जमा करके लेन वालों को वो धन राशि इनाम स्वरूप देते हैं. यह अवार्ड वितरण 7 माई 2023 को किया गया जिसमें प्रशासनिक अधीकारियों सहित सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हुए.
 
 
 
सोने का सिक्का पुरस्कार विजेता....

(1) शौकत अहमद ग्राम पंचायत सदीवाड़ा
 
(2) शाहिद हुसैन भट्ट उपसरपंच
ग्राम पंचायत गवास वेरीनाग की
 
नकद पुरस्कार विजेता...
(1)शकील अहमद वानी 3000 रुपये यूथ क्लब अध्यक्ष सदीवारा
(2) बशीर अहमद वानी, 2000 रुपये 
 
 
फारूक अहमद गनई कश्मीर घाटी में हर किसी के लिए प्रेरणा
 
पेशे से वकील और सदीवाड़ा गांव के सरपंच फारूक अहमद गनई कश्मीर घाटी में हर किसी के लिए प्रेरणा बन गए हैं. अब वे 52 वर्ष के हैं, इनका एक एनजीओ (NGO Social Reconstruction Center Kashmir) भी है जिसके माध्यम से उन्हें स्वछता अभियान को चलाने में सहायता प्रदान होती हैं लोग विभिन्न तरीकों से इनकी मदद करते हैं जिसमें विषखापत्तनम के चरण कुमार भी शामिल हैं. 
 
 
गली, मोहल्ले में माइक पर मुहीम की घोषणा की
 
फारूक अहमद गनई ने आवाज द वॉयस को बताया कि गली, मोहल्ले में जाकर माइक पर इस मुहीम की घोषणा की थी जिसमें अब बाकी लोग भी उनके साथ जुड़ गए हैं. एक आदमी का कचरा दूसरे आदमी का खजाना है.
फारूक अहमद ने ग्रामीणों को अपने घरों में कूड़े के गड्ढे बनाने के लिए राजी करना शुरू किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ठोस कचरा बाहर न निकले. फारूक अहमद गनई ने कहा, "जब पंचायत ने उन्हें कूड़े के ढेरों, नदियों और सड़कों से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने के लिए प्रोत्साहित किया तो सभी आयु वर्ग के स्थानीय लोगों ने रुचि दिखाई."
 
 
फारूक अहमद गनई का मानना है कि "अगर हम स्वच्छता पर ध्यान नहीं देंगे, तो अगले 10 वर्षों के भीतर आपको उपजाऊ भूमि में पानी का कोई स्वच्छ स्रोत नहीं मिलेगा. इस मुहीम को सफल बनाने में सबका सहयोग है, और सोशल मीडिया ने इसमें अहम भूमिका निभाई. 
 
 
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सफाई मिशन के लिए सम्मानित
 
फारूक अहमद गनई को इस सफाई मिशन के लिए सम्मानित भी किया गया है. उन्होनें आवाज द वॉयस को बताया कि सादिवारा गांव की जनसंख्या लगभग 7000 लोग से अधिक है जहां 400 घर हैं. अब मैं यहां के लोगों में खास बदलाव देखता हूँ, बड़े पैमाने पर व्यवहार में परिवर्तन हुआ है. जिसकी चर्चा उपराज्यपाल, प्रशासक सभी करते हैं और कहते हैं कि सभी को सदीवाड़ा गांव से प्रेरणा लेनी चाहिए किस प्रकार आप अपनी मातृभूमि को स्वच्छ रख सकते हैं.
 
 
स्वछ्च भारत अभियान से फारूक अहमद गनई प्रभावित
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वछ्च भारत अभियान से फारूक अहमद गनई काफी प्रभावित हैं. उन्हें सरकार द्वारा अपनी मुहीम के लिए सराहा गया है और उन्हें स्थाई प्रशासन की ओर से प्लास्टिक कम्पोजिंग मशीन भी दी गई.
 
उन्होनें बताया कि बचपन में वे देखते थे कि उनका परिवार और पड़ोस के लोग नदियों से दूर तक पैदल चलकर पानी लाया करते थे लेकिन बड़ी दुःख की बात है कि अब वह नदी बहुत दूषित है कि उसमें हमारी नई पीढ़ी हाथ तक नहीं दाल सकती, हमें अपने प्रकृती का खुद की ध्यान रखना होगा ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी प्रकृती की कदर करें और उससे प्रेम करें.
 
 
गौरतलब है कि सरकार ने गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने की दिशा में की गई पहल के बदले ग्रामीणों को लैवेंडर की फसल उगाने में मदद करने का फैसला किया है.
 
सादिवारा गांव के सरपंच फारूक अहमद गनई अपनी इस प्लास्टिक मुक्त मुहीम को पुरे राष्ट्र में पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं जिसके लिए वे अपनी टीम के साथ डोर टू डोर जाकर उनकी राय जानेंगें और उन्हें प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ जागरूक करंगें. प्लास्टिक दो सोना लो से प्रेरित होकर ही तेलंगाना सरकार ने भी एक मुहीम शुरू की है जिसमें वे प्लास्टिक कचरा देने पर चांदी का सिक्का देते हैं.