भोपाल. मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए चुने जाने वाले मोहन यादव की राजनीति की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई थी और वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी है.
मोहन यादव लंबे अरसे से राज्य की सियासत में सक्रिय है उनके राजनीतिक सफर पर गौर किया जाए तो वह 1982 में उज्जैन के माधव विज्ञान महाविद्यालय के सह सचिव चुने गए थे और 1984 में छात्रसंघ के अध्यक्ष बने थे.
उसके बाद उन्होंने 1984 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की उज्जैन के नगर मंत्री की कमान संभाली और 1986 में विभाग प्रमुख बने. इतना ही नहीं 1988 में अभाविप के प्रदेश मंत्री बने और राष्ट्रीय कार्यक्रम समिति सदस्य भी बने. वह 1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के मंत्री बनाए गए और 1991-92 राष्ट्रीय मंत्री चुने गए.
यादव 1993 से 1995 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उज्जैन नगर के शहर खंड कार्यवाह रहे और 1996 में खंड कार्यवाह तथा नगर कार्यवाह की जिम्मेदारी का निर्वहन किया. वह 1997 में भाजपा की प्रदेश समिति में सदस्य बने, 1998 में उन्हें पश्चिम रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया.
वह 2004 से 2010 तक उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे. इतना ही नहीं 2011 से 2013 तक मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष रहे. यादव 2013 में पहली बार विधायक बने. पार्टी ने 2018 में फिर उन पर भरोसा जताया और वह चुनाव जीते और 2023 में एक बार फिर निर्वाचित हुए और सीएम की कुर्सी तक पहुँच गये.
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मोहन यादव को मध्य प्रदेश का सीएम बनाया गया है.
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सोमवार को हुई विधायक मंडल की बैठक में सर्वसम्मति डॉ. यादव को विधायक दल का नेता चुना गया.
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मोहन यादव उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक हैं.
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मोहन यादव का जन्म 25 मार्च 1965 को हुआ था.
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डॉ. मोहन यादव ने काफी संघर्ष के बाद राजनीति में यह मुकाम हासिल की है.
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मध्य प्रदेश में दो डिप्टी सीएम भी बनाए जाएंगे.
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छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत करने वाले डा. मोहन यादव बीजेपी के स्थापित नेता हैं.
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उज्जैन संभाग के बड़े नेताओं में मोहन यादव की गिनती होती है.
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डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने के लिए 41 वर्षों तक संघर्ष करना पड़ा था.
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माधव विज्ञान महाविद्यालय से छात्र राजनीति की शुरुआत करने वाले डा. मोहन यादव पार्टी में कई पदों पर रहने के बाद उन्हें मंत्री बनने का मौका मिला है.
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मोहन यादव वर्ष 1982 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह-सचिव और 1984 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं.
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मोहन यादव ने वर्ष 1984 मे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री और 1986 मे विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली.
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मोहन यादव वर्ष 1988 में वे एबीवीपी मध्यप्रदेश के प्रदेश सहमंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे हैं.
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शांतिलाल धबाई का टिकट कटने पर उज्जैन दक्षिण से मोहन यादव ने जीत दर्ज की.
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मोहन यादव तीन बार विधायक रह चुके हैं.
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पहली बार 2013 में मोहन यादव विधायक बने. 2018 में भी पार्टी ने उनपर भरोसा किया और वह चुनाव जीतने में सफल रहे. 2020 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो मोहन यादव फिर से मंत्री बने.
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मोहन यादव की बड़ी बहन कलावती यादव उज्जैन नगर निगम की सभापति हैं.
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उनका जन्म 25 मार्च 1965 को हुआ था.
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मोहन यादव के पिता का नाम पूनमचंद यादव है.
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मोहन यादव के दो बेटे और एक बेटी हैं.
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मोहन यादव ने एमबीए, एलएलबी के साथ पीएचडी भी किया है.
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मोहन यादव का परिवार कारोबार और कृषि क्षेत्र से भी जुड़ा है.
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1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री और सन 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री रह चुके हैं.
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1993-95 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस), उज्जैन नगर के सह खंड कार्यवाह, सायं भाग नगर कार्यवाह और 1996 में खण्ड कार्यवाह और नगर कार्यवाह रहे हैं.
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संघ में सक्रियता की वजह से मोहन यादव 1997 में भाजयुमो प्रदेश समिति में अपनी जगह बनाई.
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1998 में मोहन यादव पश्चिम रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य भी बने.
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मोहन यादव 2004-2010 के बीच उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा) रहे.
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मोहन यादव 2011-2013 में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, भोपाल के अध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री दर्जा) भी बने.
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