देहरादून
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को अपने सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर विभिन्न उपलब्धियों को रेखांकित किया। इस दौरान उन्होंने राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) के क्रियान्वयन को एक प्रमुख वचन और ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा,“UCC हमारे चुनावी संकल्प का हिस्सा था, और हमने उसे राज्य में लागू करके पूरा किया। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमने उत्तराखंड की जनता के सामने यह संकल्प प्रस्तुत किया था, और हम उसे पूरा करने में सफल रहे।”
गौरतलब है कि 27 जनवरी 2025 को UCC लागू होने के साथ उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना जिसने यह कानून लागू किया।
इससे पहले, 3 मई को मुख्यमंत्री धामी ने मुस्लिम महिलाओं को सामाजिक बुराइयों से मुक्ति दिलाने के लिए UCC की सराहना करते हुए कहा था:“UCC ने मुस्लिम बहनों को सामाजिक बुराइयों से मुक्त किया है। अब सभी महिलाओं को संपत्ति और उत्तराधिकार के मामलों में न्याय मिलेगा।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि UCC किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है।
“UCC किसी धर्म या पंथ के विरुद्ध नहीं है। कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं, लेकिन यह कानून समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त कर समानता और समरसता स्थापित करने की दिशा में आवश्यक सुधार है, जिससे पूरे समाज को लाभ मिलेगा।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि UCC लागू होने के चार महीने के भीतर राज्यभर से 1.5 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से लगभग 98 प्रतिशत गांवों को शामिल किया गया है। यह कानून के प्रति जनता के व्यापक समर्थन को दर्शाता है।
धामी ने कहा कि UCC के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित किया गया है। जनता की सुविधा के लिए एक समर्पित पोर्टल और मोबाइल ऐप तैयार किया गया है। इसके अतिरिक्त, राज्य के 14,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSCs) को इस प्रणाली से जोड़ा गया है ताकि आम लोगों को सरल और सुलभ सेवाएं मिल सकें।
मुख्यमंत्री ने राज्य के भूमि कानूनों में संशोधन की आवश्यकता पर भी बल दिया, जो राज्य के 11 जिलों में कृषि और बागवानी भूमि की बिक्री पर प्रतिबंध लगाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों को इन सख्त प्रावधानों से छूट दी गई है।
मुख्यमंत्री धामी के अनुसार, सरकार राज्य की जरूरतों के अनुरूप भूमि कानून में सुधार पर गंभीरता से काम कर रही है, ताकि विकास और निवेश को प्रोत्साहित किया जा सके, साथ ही पारिस्थितिक संतुलन और सांस्कृतिक पहचान भी बनी रहे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की पारदर्शिता, प्रतिबद्धता और जनकल्याणकारी नीतियों को जनता की सेवा के प्रति समर्पण का प्रमाण बताया।