Ukraine-Russia Conflict : युद्ध छिड़ा तो भारत के गेहूं निर्यात को मिलेगा बल, कैसे ? पूरी कहानी पढ़ें

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 23-02-2022
युद्ध छिड़ा तो भारत के गेहूं निर्यात को मिलेगा बल, कैसे ? पूरी कहानी पढ़ें
युद्ध छिड़ा तो भारत के गेहूं निर्यात को मिलेगा बल, कैसे ? पूरी कहानी पढ़ें

 

गुलाम कादिर / नई दिल्ली

यदि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ा तो यह तबाही दुनिया के कई देशों को प्रभावित करेगी. इसे महंगाई की तबाही बढ़ेगी और लोगों का गुजारा करना मुश्किल हो जाएगा.इसका एक मुख्य कारण यह है कि रूस गेहूं का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है. यूक्रेन इस में 5वें स्थान पर है. अलग बात है कि ऐसे समय भारत दुनिया के काम आ सकता है.

तो आज हम गहराई से जानते हैं कि दुनिया में रूस और यूक्रेन का कितना प्रतिशत गेहूं निर्यात करता है? किन देशों में युद्ध की स्थिति में जीविकोपार्जन करना कठिन हो सकता है? यदि युद्ध छिड़ जाता है, तो इसका अन्य देशों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
 
रूस और यूक्रेन दुनिया के सबसे बड़े गेहूं निर्यातक 
 
मक्का के बाद गेहूँ विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अनाज है. रूस और यूक्रेन इस अनाज के शीर्ष उत्पादक हैं. रूस 18 प्रतिशत से अधिक गेहूं का निर्यात करता है. यूक्रेन इस मामले में 5वें स्थान पर है. अकेले इन दोनों देशों में दुनिया के गेहूं के निर्यात का 25.4 प्रतिशत हिस्सा है.
 
रूस और यूक्रेन से सबसे ज्यादा गेहूं का निर्यात कौन से देश करते हैं?

अधिकांश गेहूं रूस और यूक्रेन से मिस्र भेजा जाता है. रूस ने 2019 में 18.99 ट्रिलियन रुपये का गेहूं भेजा, जबकि यूक्रेन ने 5.10 ट्रिलियन रुपये का गेहूं मिस्र भेजा. तुर्की रूस और यूक्रेन से गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है. इसके अलावा, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और नाइजीरिया सहित दुनिया भर के दर्जनों देश गेहूं के निर्यात के लिए पूरी तरह से रूस और यूक्रेन पर निर्भर हैं.
 
2019 में रूस ने दुनिया भर में 60.60.64 ट्रिलियन मूल्य के गेहूं का निर्यात किया. वहीं, यूक्रेन ने 2019 में अन्य देशों को 23.16 लाख करोड़ रुपये के गेहूं का निर्यात किया.
 
दुनिया भर में शीर्ष 10 गेहूं निर्यातक देश

1980 के दशक में, रूस संयुक्त राज्य अमेरिका से सभी गेहूं निर्यात के दो-तिहाई के लिए जिम्मेदार है. 1985 में, सोवियत संघ ने अन्य देशों से रिकॉर्ड 5.5 ट्रिलियन किलोग्राम गेहूं खरीदा. समय बदल गया  और आज रूस दुनिया का शीर्ष गेहूं निर्यातक बन गया है. रूस 2001 में 1 प्रतिशत गेहूं का निर्यात करता था और 2019 में यह संख्या बढ़कर दुनिया के कुल गेहूं निर्यात का 18 प्रतिशत हो गई है.
 
यूरोप में, यूक्रेन को ब्रैड बास्केट के नाम से जाना जाता है

गेहूँ उत्पादन के मामले में यूक्रेन को मिली सफलता के पीछे कहानी है. दरअसल, 1932 में यूक्रेन समेत सोवियत संघ के बड़े हिस्से में अकाल पड़ा था. लाखों यूक्रेनियन भूख से मर गए. तब जोसेफ स्टालिन ने इस समस्या से निपटने के लिए यूक्रेन में गेहूं उत्पादन पर जोर दिया.
 
नतीजतन, आज यूक्रेन दुनिया में गेहूं का 5वां सबसे बड़ा निर्यातक है. यूक्रेन में दुनिया की गेहूं की बिक्री का 7 प्रतिशत हिस्सा है. इसलिए यूरोप में यूक्रेन को ब्रैड बास्केट के नाम से जाना जाता है. यूक्रेन के कुल भूमि क्षेत्र का 71 प्रतिशत उपजाऊ है. इतना ही नहीं, देश के अधिकांश भागों में काली मिट्टी पाई जाती है जो गेहूँ उत्पादन के लिए उपयुक्त होती है. यूक्रेन की जनता इसका भरपूर फायदा उठा रही है.
 
युद्ध की स्थिति में आपूर्ति प्रभावित होने पर क्या विकल्प है ?

दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति में दुनिया भर में महंगाई बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. इसका एक कारण स्पष्ट है. युद्ध से दोनों देशों के गेहूं के निर्यात का 25 प्रतिशत से अधिक प्रभावित होगा. इतने बड़े पैमाने पर निर्यात प्रभावित होने से दुनिया के देश अमेरिका, कनाडा और फ्रांस जैसे देशों पर निर्भर हो जाएंगे.
 
नाटो के सदस्यों के रूप में, संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस जैसे देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस युद्ध में शामिल होंगे. ऐसे में रूस काला सागर या अन्य रास्ते से इन देशों के आयात-निर्यात को रोकने की कोशिश करेगा. ऐसे में दुनिया के कई गरीब देशों को जीने के लिए ऑस्ट्रेलिया, कजाकिस्तान और जर्मनी जैसे देशों की जरूरत पड़ेगी.
 
युद्ध की स्थिति में गेहूं के निर्यात को रोकने में भारत की क्या भूमिका है ?

2019 में भारत ने वैश्विक बाजार में 411 करोड़ रुपये का गेहूं बेचा है. 2019 में, भारत ने 217,354 मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात किया. कई पड़ोसी देश जो रूस या यूक्रेन से गेहूं आयात करते थे, अब भारत से गेहूं आयात कर रहे हैं. भारत में गेहूं की मांग पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ गई है. युद्ध की स्थिति में भारत नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों को गेहूं देकर अपनी मजबूत दोस्ती का परिचय दे सकता है.
 
इससे भारत के पास दो मौके होंगे. सबसे पहले, भारत ने अपने खजाने को अत्यधिक कीमतों पर गेहूं से भर दिया. दूसरा, भारत, नेपाल, बांग्लादेश, यूएई, सोमालिया और कोरिया जैसे गरीब देशों को उचित मूल्य पर गेहूं भेजकर महंगाई और भूख से लड़ने में भारत की मदद करना.