उदयपुर की दरगाह मस्तान बाबा जहां हिंदू-मुसलमान मिलकर बनते हैं ‘हम’

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
उदयपुर की दरगाह मस्तान बाबा जहां हिंदू-मुसलमान मिलकर बनते हैं ‘हम’
उदयपुर की दरगाह मस्तान बाबा जहां हिंदू-मुसलमान मिलकर बनते हैं ‘हम’

 

आवाज द वॉयस /उदयपुर

उदयपुर शहर में राष्ट्रीय एकता के प्रतीक माने जाने वाले मस्तान बाबा की दरगाह है, जो न केवल मुसलमानों के लिए बल्कि हिंदुओं के लिए भी जयारत का केंद्र है. यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.भक्तों का कहना है कि मस्तान बाबा के लाखों अनुयायी हैं. मान्यता है कि जो भक्त सच्ची श्रद्धा से यहां आता है उसकी मनोकामना अवष्य पूरी होती है.

सचिव अब्दुल रशीद ने कहा कि हजरत मस्तान शाह बाबा की मजार बने करीब 27साल हुए हैं. बाबा कहां से उदयपुर पहुँचे? इसकी जानकारी किसी को नहीं है. वह 1972 से उदयपुर में रह रहे थे.वर्ष 1992 तक वह शहर के अहद पुलिया के पास निवास करते थे.

इसके बाद वह शहर के गुलाब बाग में रहने लगे. कहा जाता है कि जब वे गुलाब बाग में रहते थे तब ही उनके कई अनुयायी हुआ करते थे. यह मकबरा उनकी मृत्यु के बाद बनाया गया है.यहां आई श्रद्धालु सुशीला डागलिया ने बताया कि वह करीब 35साल से बाबा में आस्था रखती है. उनके जीवित रहने पर वह दर्शन करने के लिए आती थी. बाबा ने उनकी हर मनोकामना पूरी की.

नसीम बानो का कहना है कि बाबा मस्तान उनके परिवार पर बहुत मेहरबान थे. आज वह एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखती हैं. जब वे लोग पहली बार बाबा के पास आए थे तब उनके खाने-रहने तक की कोई व्यवस्था नहीं थी.

मस्तान बाबा ट्रस्ट के सदस्य मुहम्मद अयूब ने बताया कि यहां रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं. बाबा सबकी सुनते हैं. जिनकी मनोकामना पूरी होती है. वे बाबा को उपहार देने आते हैं. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों के लोगों की आस्था यहां से जुड़ी हुई है. हर साल उर्स के मौके पर यहां मेला लगता है.