ग्वालियर
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (Chief of Defence Staff) जनरल अनिल चौहान ने सोमवार को कहा कि मई में पाकिस्तान के खिलाफ चलाई गई ऑपरेशन सिंदूर ने युद्ध के समय और फैसले लेने की सोच को ही बदल दिया है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि युद्ध केवल सशस्त्र बलों का कार्य नहीं है — इसे पूरा देश लड़ता है।
ग्वालियर में सिंधिया स्कूल के 128वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने कहा,“ऑपरेशन सिंदूर ने यह सिद्ध कर दिया कि अब बात और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। युद्ध के समय, नेता, राजनयिक और सैनिक — हर किसी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। कोई भी युद्ध अकेले सेना नहीं लड़ती, पूरा देश लड़ता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि सशस्त्र बलों का मुख्य काम देश में सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना है, जबकि राष्ट्र निर्माण नागरिकों की सामूहिक ज़िम्मेदारी है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा,“भविष्य भारत का है। आने वाला काल हमारे 140 करोड़ लोगों का है, और हम मिलकर इसे हासिल कर सकते हैं।”
सीडीएस ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश ने एक ‘न्यू नॉर्मल’ परिदृश्य स्वीकार किया है — जिसमें स्पष्ट हो गया है कि संवाद और आतंकवाद दोनों साथ नहीं हो सकते, और भारत परमाणु हमलों की धमकी को सहन नहीं कर सकता।
उन्होंने आगे कहा कि केवल वायु रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग ही अब युद्ध की नई विधि बन रही है।“हमारे सशस्त्र बल दिन-रात, 365 दिन काम करते हैं। आज युद्ध सिर्फ बंदूक से नहीं, तकनीक से लड़ी जाती है।”
चौहान ने 2047 तक विकसित भारत की कल्पना को ‘अमृत काल’ बताया और छात्रों से आग्रह किया कि वे इस लक्ष्य में योगदान दें।“प्रधानमंत्री ने 2047 के लिए लक्ष्य रखा है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश को बदलें।”
समारोह में मौजूद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और अन्य गणमान्य व्यक्ति थे। इस मौके पर विदेश सचिव विक्रम मिसरी को माधव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मिसरी ने बताया कि मई के चार दिन चलने वाले संघर्ष के दौरान उन्होंने मीडिया को निरंतर जानकारी देने वाले टीम का नेतृत्व किया था।
सिंधिया ने समारोह में कहा कि यह दिन सिर्फ़ एक तारीख नहीं है, बल्कि 128 साल की यात्रा की याद है। उन्होंने यह भी कहा,“सेना की वर्दी पहनने वालों की वजह से 140 करोड़ भारतीय चैन की नींद सोते हैं। एक राष्ट्र दृष्टि और मूल्यों से महान बनता है।”
उन्होंने आगे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य अभियान नहीं था — बल्कि यह साहस और भारत की संस्कृति, मूल्य और ताकत का संदेश था।विदेश सचिव मिसरी ने भी अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कहा कि उसने उन्हें चुनौतियों से सामना करना सिखाया। उन्होंने यह पुरस्कार “अपने सभी शिक्षकों और दोस्तों को समर्पित” किया।
जनरल अनिल चौहान की इस टिप्पणी ने स्पष्ट कर दिया कि भारत की सामरिक विचारधारा अब सिर्फ़ युद्ध की तकनीक तक सीमित नहीं है — बल्कि राष्ट्रीय भावना, सामूहिक भागीदारी और नागरिक जिम्मेदारी इसमें उतनी ही अहम भूमिका निभाती है। ऑपरेशन सिंदूर को उन्होंने न सिर्फ़ एक सैन्य सफलता माना, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण में परिवर्तन की शुरुआत।