The plan for 'Mamleshwar Lok' in Omkareshwar has been withdrawn after protests from the public and saints.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में प्रस्तावित 'ममलेश्वर लोक' गलियारा परियोजना को स्थानीय जनता और साधु-संतों के तीव्र विरोध के चलते राज्य सरकार ने मंगलवार को वापस ले लिया। अधिकारियों के अनुसार यह निर्णय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। ओंकारेश्वर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिंदू धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है।
अतिरिक्त जिलाधिकारी काशीराम बड़ोले ने बताया कि प्रशासन ने स्थानीय नागरिकों और संत समाज की आपत्तियों को गंभीरता से सुनने के बाद यह योजना रद्द की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आम सहमति बनी और स्थानीय जन प्रतिनिधि तथा साधु-संत नई जगह के लिए तैयार हों, तो किसी अन्य स्थान पर 'ममलेश्वर लोक' निर्माण की नयी योजना तैयार की जा सकती है।
ओंकारेश्वर में 120 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली यह परियोजना उज्जैन के ‘महाकाल लोक’ की तर्ज पर विकसित की जा रही थी। यहां प्रशासन ने सर्वेक्षण भी शुरू कर दिया था, लेकिन विस्थापन की आशंका के कारण स्थानीय लोगों में नाराज़गी बढ़ती गई। विरोध के चलते पिछले दो दिनों से तीर्थनगरी में अधिकांश व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे, जिससे श्रद्धालुओं को पानी से लेकर नाश्ते तक की सामान्य सुविधाएं पाने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
जिस क्षेत्र में ‘ममलेश्वर लोक’ विकसित किया जाना था, वहां साधु-संतों के कई आश्रम और धर्मशालाएं मौजूद हैं। इसी कारण संत समुदाय ने भी इस परियोजना को अपनी पारंपरिक व्यवस्था और धार्मिक माहौल पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला बताते हुए खुलकर विरोध किया।
प्रदेश सरकार की योजना वर्ष 2028 में प्रस्तावित सिंहस्थ कुंभ से पहले इस परियोजना को पूरा करने की थी। योजना के अनुसार, लगभग 6.50 हेक्टेयर क्षेत्र में धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाले ढांचे और श्रद्धालुओं के लिए आधुनिक सुविधाएं विकसित की जानी थीं। लेकिन व्यापक विरोध के चलते सरकार ने इस परियोजना को तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्णय किया।