आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर इंदौर सेंट्रल जेल के कैदियों ने योगाभ्यास कर यह संदेश दिया कि शारीरिक और मानसिक शुद्धि की राह जेल की चारदीवारी तक सीमित नहीं रहती. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ अभियान को आगे बढ़ाते हुए जेल प्रशासन ने इस विशेष आयोजन की रूपरेखा तैयार की थी.
सेंट्रल जेल अधीक्षक अल्का सोनकर ने जानकारी देते हुए बताया, “आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर इंदौर सेंट्रल जेल के बंदियों ने योग कार्यक्रम में भाग लिया। यह आयोजन प्रधानमंत्री जी के ‘एक धरती, एक स्वास्थ्य’ मिशन को समर्पित था.” कार्यक्रम में जेल के कर्मचारियों और बंदियों ने संयुक्त रूप से योग की विभिन्न क्रियाएं कीं, जिनका उद्देश्य कैदियों में शांति, संयम और मानसिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना था.
भोपाल में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी किया योगाभ्यास
इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल में आयोजित मुख्य योग कार्यक्रम में भाग लिया और प्रार्थना मुद्रा में योग करते हुए जनता को योग के लाभों से अवगत कराया। उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा“अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आज पूरा देश और विश्व इस दिन को मना रहा है. यह वर्ष का सबसे लंबा दिन भी है, और जैसे-जैसे समय बीत रहा है, दुनिया भारत के प्राचीन ज्ञान, विज्ञान और जीवनशैली को पहचान रही है.
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि योग केवल एक शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और स्वास्थ्य विज्ञान का ऐसा हिस्सा है जो आत्मा, शरीर और पर्यावरण के बीच सामंजस्य स्थापित करता है.
कैदियों में योग का प्रभाव
जेल प्रशासन का मानना है कि योग से बंदियों के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन देखा गया है. तनाव, चिड़चिड़ापन, नींद की समस्या जैसी मानसिक परेशानियां कम हुई हैं और कैदियों में अनुशासन व आत्मनियंत्रण की भावना बढ़ी है.
योग शिक्षक रविकांत शर्मा, जो पिछले छह महीनों से जेल में नियमित रूप से कक्षाएं ले रहे हैं, कहते हैं, “योग अभ्यास से कैदियों में आत्ममंथन और सुधरने की प्रक्रिया शुरू होती है। वे खुद से जुड़ने लगते हैं, गुस्सा कम होता है, और ध्यान केंद्रित करना सीखते हैं.
'एक धरती, एक स्वास्थ्य' की थीम का संदेश
इस वर्ष योग दिवस की थीम "Yoga for One Earth, One Health" है, जो भारत की ‘सर्वे सन्तु निरामयाः’ की अवधारणा से मेल खाती है. यह थीम इस बात पर बल देती है कि व्यक्ति का स्वास्थ्य और पृथ्वी का स्वास्थ्य परस्पर जुड़े हुए हैं. योग इस संतुलन को बनाए रखने का माध्यम बन सकता है.
इंदौर सेंट्रल जेल में योग दिवस का आयोजन केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि यह एक प्रयास है – जेल की सलाखों के पीछे भी आत्मिक आज़ादी की एक राह खोलने का. जब एक अपराधी अपने भीतर झांकता है, खुद को सुधारने की कोशिश करता है, तब वह न केवल अपना जीवन बदलता है बल्कि समाज में पुनः सम्मिलित होने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाता है. योग, अब जेल की दीवारों के भीतर भी एक उम्मीद की सांस बन चुका है.