नीलकंठ महादेव मंदिर बनाम शम्सी जामा मस्जिद मामले में सुनवाई 25 नवंबर तक स्थगित

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 27-10-2025
The hearing in the Neelkanth Mahadev Temple versus Shamsi Jama Masjid case has been adjourned until November 25.
The hearing in the Neelkanth Mahadev Temple versus Shamsi Jama Masjid case has been adjourned until November 25.

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
 बदायूं की एक अदालत ने नीलकंठ महादेव मंदिर बनाम शम्सी जामा मस्जिद मामले में सुनवाई 25 नवंबर तक के लिए सोमवार को स्थगित कर दी।
 
अब 25 नवंबर को सुनवाई के दौरान दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिविजन)/त्वरित अदालत के न्यायाधीश पुष्पेंद्र चौधरी इस मामले पर सुनवाई करेंगे कि क्या किसी अधीनस्थ अदालत को नीलकंठ महादेव मंदिर और शम्सी जामा मस्जिद मामले की सुनवाई का अधिकार है।
 
न्यायाधीश चौधरी ने केस फाइल की समीक्षा के बाद मामले को 25 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
 
अपर दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) सुमन तिवारी के मातृत्व अवकाश पर जाने के कारण मुकदमे की फाइल त्वरित अदालत में स्थानांतरित कर दी गई थीं।
 
यह विवाद 2022 में तब शुरू हुआ जब अखिल भारत हिंदू महासभा के तत्कालीन संयोजक मुकेश पटेल ने दावा किया कि जामा मस्जिद शम्सी स्थल पर नीलकंठ महादेव मंदिर मौजूद है और उन्होंने ढांचे में पूजा करने की अनुमति मांगी।
 
शम्सी जामा मस्जिद प्रबंधन समिति के वकील अनवर आलम ने दलील दी कि उच्चतम न्यायालय का आदेश अधीनस्थ अदालतों को ऐसे विवादों की सुनवाई करने से रोकता है, इसलिए इस मामले को खारिज कर दिया जाना चाहिए।
 
हिंदू पक्ष की कानूनी टीम ने कहा कि न्यायालय के आदेश चल रहे या पहले से मौजूद मामलों पर लागू नहीं होते और मामले की सुनवाई उसके गुण-दोष के आधार पर होनी चाहिए।
 
शम्सी जामा मस्जिद इंतजामिया समिति की ओर से पेश हुए वकील अनवर आलम ने कहा कि समिति ने 1991 के पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम का हवाला देते हुए एक आवेदन प्रस्तुत किया था।
 
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय देश की सभी अदालतों को पहले ही निर्देश दे चुका है कि वे उन मामलों में कोई आदेश पारित न करें जिनमें 1991 का अधिनियम लागू होता है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘हमने अदालत से अनुरोध किया है कि वह सुनवाई आगे न बढ़ाए क्योंकि ऐसे मामलों में कोई आदेश पारित करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है।’’
 
उन्होंने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई 25 नवंबर को नए सिरे से होगी ताकि यह तय किया जा सके कि अधीनस्थ अदालत इस पर सुनवाई जारी रख सकती है या नहीं।
 
मंदिर का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता वेद प्रकाश साहू ने कहा कि यह मामला पहले त्वरित अदालत में था, फिर दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) को स्थानांतरित कर दिया गया और बाद में न्यायाधीश तिवारी के अवकाश पर जाने के बाद त्वरित अदालत में वापस भेज दिया गया।
 
उन्होंने बताया कि 25 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई अदालत में अवकाश के कारण नहीं हो सकी।