पीलीभीत (उप्र)
किर्गिस्तान में फंसे उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के 12 मजदूरों के संकट को लेकर जिला प्रशासन ने राज्य के गृह विभाग को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। मजदूरों के परिजनों द्वारा उत्पीड़न और भारी फिरौती जैसी मांगों की शिकायतों के बाद सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की गई थी।
जिलाधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि गृह विभाग से तथ्यात्मक विवरण मांगे जाने के बाद पुलिस अधीक्षक को जांच के निर्देश दिए गए थे। इसके आधार पर सभी 12 मजदूरों की पूरी जानकारी एकत्र कर रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है, ताकि उनकी सुरक्षित वापसी की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सके।
परिजनों ने आरोप लगाया है कि विदेश भेजे गए मजदूरों को वहां प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय एजेंट उनकी वापसी के लिए दो लाख रुपये तक की मांग कर रहे हैं। फंसे हुए मजदूर अपने परिवारों को वीडियो संदेश भेजकर सहायता की गुहार लगा रहे हैं।
इस सप्ताह, कई परिवारों ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव से मुलाकात कर बताया कि लगभग तीन महीने पहले एक स्थानीय भर्ती एजेंसी चलाने वाले एजेंटों ने उनके बेटों और परिवारजनों को किर्गिस्तान भेजा था। इन मजदूरों में रवि कुमार, अजय, चंद्रपाल, संतराम, रोहित, रमेश, हरस्वरूप, श्यामचरण, संजीव, प्रेमपाल, रामआसरे और हरिशंकर शामिल हैं।
परिजनों के अनुसार प्रत्येक मजदूर से लगभग 2.5 लाख रुपये लिए गए और उन्हें भ्रामक अनुबंधों के आधार पर सिर्फ 59 दिन के वीज़ा पर भेजा गया। आरोप है कि वहां उन्हें अलग-अलग शहरों में जबरन काम कराया जा रहा है, पर्याप्त भोजन नहीं दिया जा रहा है और वापस लौटने नहीं दिया जा रहा। एजेंटों पर मजदूरों को छोड़ने के लिए दो से पांच लाख रुपये तक की मांग करने का भी आरोप है। परिवारों का कहना है कि युवकों को पीटा जा रहा है और उनके साथ “जानवरों से भी बदतर व्यवहार” किया जा रहा है।
एसपी अभिषेक यादव ने पुष्टि की कि मामले की जांच नगर क्षेत्र के सीओ दीपक चतुर्वेदी को सौंपी गई है। शिकायत में दावा किया गया है कि पीलीभीत की एक कॉलोनी में संचालित एक स्थानीय कंपनी और उसके प्रतिनिधि झूठे वादों के तहत युवकों को विदेश भेजने में शामिल थे।
जिलाधिकारी ने कहा कि प्रशासन द्वारा भेजी गई रिपोर्ट राज्य सरकार को इन मजदूरों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में मदद करेगी।






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