बिहार में हिंदू परिवार ने दी कब्रिस्तान के लिए जमीन

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 06-12-2025
Hindu family donates land for cemetery in Buxar
Hindu family donates land for cemetery in Buxar

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली

बिहार के बक्सर के डेवी डीहरा गांव में एक ऐसी मिसाल सामने आई है, जिसने पूरे इलाके में मानवता, सौहार्द और भाईचारे की नई रोशनी जगा दी है। यहां एक हिंदू परिवार ने अपने बेटे की अकाल मृत्यु के बाद ऐसा कदम उठाया है, जिसे सुनकर हर कोई भावुक हो रहा है। सड़क हादसे में हुए दर्द को इस परिवार ने इंसानियत में बदल दिया और सामाजिक एकता का संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचा दिया।

शिवम की असमय मौत, परिवार को गहरा दर्द

गांव निवासी शिवम उर्फ अहीर की 18 नवंबर को एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। महज 23 साल के शिवम की मौत से परिवार पूरी तरह टूट गया। घर में मातम पसरा था, माता-पिता की आंखों में निरंतर आंसू थे। पर इसी गहरे दुख की घड़ी में परिवार ने ऐसा फैसला लिया कि जिसने इंसानियत को नई पहचान दी।
 
श्राद्ध के दिन लिया अनोखा फैसला

शिवम के श्राद्ध के दिन परिवार ने यह घोषणा की कि वे गांव के मुस्लिम समाज के कब्रिस्तान के लिए अपनी एक बीघा जमीन दान करेंगे। परिवार चाहता था कि शिवम की स्मृति सिर्फ दर्द की निशानी न बने, बल्कि प्रेम, सौहार्द और भाईचारे का संदेश दे। इसलिए उन्होंने इस जमीन का नाम रखा —
“शिवम उर्फ अहीर धाम कब्रिस्तान”
 
यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि गांव के मुस्लिम समुदाय को लंबे समय से कब्रिस्तान के विस्तार की जरूरत थी। स्थान की कमी के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, जिसे अब यह दान दूर करेगा।
 
शिवम : सभी का चहेता और मददगार

जिस युवक की याद में यह दान किया गया, वह भी मानवता का प्रतीक था। शिवम गांव में मिलनसार, हंसमुख और हर किसी की मदद करने के लिए तत्पर रहने वाला लड़का था। उसकी पहचान धर्म नहीं, बल्कि उसके बड़े दिल और नेक स्वभाव से थी। परिजनों का कहना है—“शिवम हमेशा कहता था कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है, इसलिए हमने उसकी सोच को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है।”
 
 
पुरे जिले में भाईचारे का संदेश

इस महान कार्य की खबर जैसे ही जिले में फैली, लोगों ने परिवार को धन्यवाद दिया और इसे एकता की मिसाल बताया। सामाजिक संगठनों, पंचायत प्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों ने भी इस कदम की सराहना की।
 
गांव के एक बुजुर्ग ने भावुक होकर कहा—“आज के समय में जब लोग छोटी-छोटी बातों पर धर्म और जाति में बांट देते हैं, तब यह परिवार मानवता को सबसे ऊपर रखकर सोचता है। ऐसे लोग समाज के लिए प्रेरणा हैं।”
 
वहीं, मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हाथ जोड़कर परिवार को धन्यवाद दिया और कहा—“यह जमीन हमारे लिए सिर्फ कब्रिस्तान नहीं, भाईचारे की निशानी है।”
 
 
श्रद्धांजलि बनी इंसानियत की सीख

अक्सर हम देखते हैं कि किसी व्यक्ति के निधन के बाद स्मारक, पूजा या प्रतिमा स्थापित की जाती है। लेकिन शिवम के परिवार ने उसकी याद को इंसानियत की राह से हमेशा जीवित रखने का निर्णय लिया। यह कदम दर्शाता है कि —“मृत्यु के बाद भी किसी की अच्छाई समाज में नई जिंदगी दे सकती है।”
 
 
देशभर में ऐसी पहल की आवश्यकता

इंसानियत का यह उदाहरण उस समय सामने आया है, जब देश में कई स्थानों पर धर्म और समुदाय के नाम पर तनाव देखने को मिलता है। ऐसे में डेवी डीहरा गांव ने दिखा दिया है कि भारत की मिट्टी हमेशा प्रेम और सद्भाव की गवाही देती रही है। बक्सर का यह परिवार सिर्फ अपने बेटे को याद नहीं कर रहा, बल्कि उसकी सोच को अमर कर रहा है। शिवम का जाना भले ही एक गहरा घाव है, लेकिन उसके नाम पर उठाया गया यह कदम इंसानियत का मंदिर और भाईचारे का पुल साबित होगा।
 
 
इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि —हिंदू और मुस्लिम एक नहीं, बल्कि हमेशा से एक थे — सिर्फ हमें याद दिलाने की जरूरत है।