सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मानवीय आधार पर बांग्लादेश से भारत लौटी महिला

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 06-12-2025
After the intervention of the Supreme Court, a woman named Sonali returned to India from Bangladesh on humanitarian grounds.
After the intervention of the Supreme Court, a woman named Sonali returned to India from Bangladesh on humanitarian grounds.

 

कोलकाता

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सोनाली महिला—जिन्हें इस साल जून में प्रेग्नेंट होने के दौरान बांग्लादेश भेज दिया गया था—शुक्रवार को अपने आठ वर्षीय बेटे के साथ भारत वापस लौट आईं। उनकी वापसी पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के महादीपुर सीमा चौकी के रास्ते संभव हुई। अदालत ने दो दिन पहले केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि मानवीय आधार पर सोनाली और उनके बेटे को भारत आने की अनुमति दी जाए।

बुधवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह मानवीय आधार पर सोनाली और उनके बेटे को वापस लाने के लिए तैयार है। सोनाली को जून में दिल्ली से हिरासत में लिया गया था और उनके परिवार के साथ बांग्लादेश भेज दिया गया था, क्योंकि उन पर विदेशी नागरिक होने का संदेह जताया गया था। उस समय सोनाली गर्भवती थीं और दिल्ली में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रही थीं।

सॉलिसिटर जनरल का कोर्ट में बयान

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच को बताया कि सोनाली को वापस लाना सिर्फ मानवीय कारणों से किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कदम केंद्र सरकार की कानूनी स्थिति या निगरानी के अधिकार को प्रभावित नहीं करेगा।

कोर्ट ने केंद्र के बयान को रिकॉर्ड करते हुए निर्देश दिया कि चूंकि सोनाली को दिल्ली से ही हिरासत में लिया गया था, इसलिए उन्हें दिल्ली में ही वापस लाया जाए। हालांकि, प्रतिवादियों के वकील ने सुझाव दिया कि उन्हें उनके पिता के पैतृक जिले बीरभूम में शिफ्ट करना अधिक उचित होगा।

चिकित्सा सुविधाओं का निर्देश

बेंच ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को आदेश दिया कि गर्भवती सोनाली को सभी आवश्यक मेडिकल सुविधाएँ मुफ़्त में प्रदान की जाएं। साथ ही, राज्य सरकार को उनके बच्चे की देखरेख का भी निर्देश दिया गया।

मामले की पृष्ठभूमि

सुप्रीम कोर्ट यह मामला केंद्र सरकार की उस अपील पर सुन रहा था जिसमें कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि बांग्लादेश भेजे गए कुछ लोगों को वापस लाया जाए क्योंकि उनके डिपोर्टेशन में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था।

यह आदेश भुडू शेख की हेबियस कॉर्पस याचिका पर दिया गया था। भुडू शेख ने दावा किया कि वह पश्चिम बंगाल की स्थायी निवासी हैं और उनकी बेटी सोनाली खातून व उसका परिवार भी भारतीय नागरिक हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने जून में रोहिणी से सोनाली को उठाया और बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के बांग्लादेश भेज दिया, जहाँ वह दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम कर रही थीं।

1 दिसंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या सोनाली और उनके बेटे को मानवीय आधार पर वापस लाया जा सकता है—इसी निर्देश के बाद उनकी वापसी संभव हो पाई।