The court dismissed Senthil Balaji's plea to clarify its earlier order.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री एवं द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता वी. सेंथिल बालाजी की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट करने का न्यायालय से अनुरोध किया था कि कथित ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान क्या उन्हें दोबारा मंत्री बनाया जा सकता है।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बालाजी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की वह दलील खारिज कर दी कि इस न्यायालय ने कभी उनके (बालाजी के) मंत्री बनने पर कोई रोक नहीं लगाई है।
पीठ ने कहा, “हम आपके मंत्री बनने को लेकर किसी भी रोक को किसी व्यादेश (इनजंक्शन) के तौर पर नहीं पढ़ते हैं, लेकिन यदि राज्य का माहौल प्रभावित होता है तो न्याय की प्रक्रिया सुनिश्चित करनी होगी।’’
सिब्बल ने कहा कि 28 अप्रैल के आदेश में मंत्री पद संभालने पर कोई प्रतिबंध नहीं है और अभियोजन के दौरान मंत्री बनने पर कोई रोक नहीं लगाई जा सकती।