आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
चुनाव आयोग ने सोमवार, 6अक्टूबर 2025 को बिहार विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया है. राज्य की 243विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में 6नवंबर और 11 नवंबर को मतदान होगा, जिसके बाद 14 नवंबर को मतों की गिनती होगी. बिहार की राजनीति, जो अक्सर गठबंधन के टूटने और बनने के लिए जानी जाती है, एक बार फिर बड़े दांव पर है, जहाँ पुराने प्रतिद्वंद्वी और नए मुद्दे चुनावी मैदान में हैं.
बिहार की राजनीति में अस्थिर गठबंधन का इतिहास रहा है, जिसका केंद्रबिंदु अक्सर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रहे हैं. 2015के विधानसभा चुनाव में, राजद (RJD) ने 80सीटें (18.8%वोट शेयर) जीती थीं, जबकि उसके सहयोगी कांग्रेस को 27सीटें (6.8%वोट शेयर) मिली थीं.
उस समय महागठबंधन का हिस्सा रहे जदयू (JDU) ने 71सीटें (17.3%वोट शेयर) जीती थीं. दूसरी ओर, भाजपा (BJP) 53सीटें (25%वोट शेयर) जीतने में सफल रही थी.हालांकि, नीतीश कुमार का राजद-कांग्रेस के साथ गठबंधन अल्पकालिक रहा.
2017 में, कुमार महागठबंधन से बाहर निकल गए और भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए (NDA) के साथ मिलकर सरकार बनाई, जहाँ सुशील कुमार मोदी उपमुख्यमंत्री बने थे. 2020के चुनाव में भी, नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ गठबंधन जारी रखा और 125सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया.
लेकिन अगस्त 2022में, कुमार ने फिर से भाजपा से नाता तोड़ दिया, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और राजद-कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ सरकार बनाई. इस अवधि में, वह संयुक्त विपक्ष के 'इंडिया' (INDIA) ब्लॉक के गठन में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में उभरे.
हालांकि, राजद के साथ कुमार का 'रोमांस' लगभग दो साल ही चला और जनवरी 2024में, संसदीय चुनावों से ठीक पहले, कुमार एक बार फिर एनडीए में वापस आ गए.
चुनावी रणभूमि में प्रमुख दावेदार
इन आगामी विधानसभा चुनावों में, एनडीए गठबंधन का नेतृत्व नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड और भाजपा कर रहे हैं. इस गठबंधन में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास), जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान आवामी मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक शक्ति पार्टी (RLSP) भी शामिल हैं.
एनडीए का मुकाबला 'इंडिया' ब्लॉक से होगा, जिसका नेतृत्व पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की राजद कर रही है. 'इंडिया' ब्लॉक के प्रमुख सहयोगी हैं कांग्रेस, दीपांकर भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली भाकपा (माले), भाकपा, माकपा और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP).इस बार बिहार की राजनीति में एक नया खिलाड़ी प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज के रूप में भी प्रवेश कर रहा है, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है.
एनडीए और 'इंडिया' ब्लॉक के प्रमुख चुनावी मुद्दे
एनडीए मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व और केंद्र तथा राज्य द्वारा चलाई जा रही सामाजिक कल्याण योजनाओं पर निर्भर है. हाल ही में, 26सितंबर को, पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना की शुरुआत की, जिसे एक गेम चेंजर योजना के रूप में प्रचारित किया जा रहा है.
इसके तहत 75लाख महिलाओं के बैंक खातों में ₹10,000की राशि सीधे हस्तांतरित की गई. प्रधानमंत्री ने जन नायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय सहित ₹62,000करोड़ से अधिक की युवा-केंद्रित पहलों का भी उद्घाटन किया. भाजपा मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए लालू यादव के शासनकाल के कथित भ्रष्टाचार और अपराध पर भी अपना ध्यान केंद्रित कर रही है.
वहीं, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाला 'इंडिया' ब्लॉक अपने अभियान को तीन प्रमुख स्तंभों पर केंद्रित कर रहा है. पहला है वोट चोरी अभियान, जिसके तहत यह आरोप लगाया जा रहा है कि भाजपा ने चुनाव आयोग को प्रभावित कर मतदाता सूचियों में हेरफेर किया है.
दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा जाति सर्वेक्षण है, जो जदयू-राजद के शासनकाल में हुआ था और गठबंधन आरक्षण कोटे को बढ़ाने का वादा कर रहा है. तीसरा स्तंभ व्यापक बेरोज़गारी और सरकारी नौकरियों की कमी के आरोपों पर आधारित है.
मतदाता सूची और नए आंकड़े
इस बीच, चुनाव आयोग ने विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) पूरा होने के बाद बिहार विधानसभा चुनावों के लिए अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित कर दी है. अंतिम सूची के अनुसार, मतदाताओं की कुल संख्या 7.42करोड़ है, जबकि इस साल 24जून तक 7.89करोड़ मतदाता थे
चुनाव आयोग ने बताया कि मसौदा सूची से 65लाख मतदाताओं को हटाया गया और 21.53लाख योग्य मतदाताओं को जोड़ा गया है, जिसके परिणामस्वरूप कुल 7.42करोड़ मतदाता हैं. पटना के 14विधानसभा क्षेत्रों में 1.63लाख से अधिक मतदाता जोड़े गए हैं, जबकि मधुबनी ज़िले में 85,645और नालंदा ज़िले में 56,423मतदाताओं की वृद्धि हुई है.
ये चुनाव बिहार के राजनीतिक भविष्य और यहाँ के मतदाताओं के रुझान को निर्धारित करेंगे, जो एक बार फिर से अस्थिर गठबंधन की राजनीति के बीच खड़े हैं.