स्वामी दयानंद सरस्वती ने जातिवाद, अस्पृश्यता और भेदभाव का किया विरोध: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 31-10-2025
Swami Dayanand Saraswati opposed casteism, untouchability and discrimination: Prime Minister Narendra Modi
Swami Dayanand Saraswati opposed casteism, untouchability and discrimination: Prime Minister Narendra Modi

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती के योगदान को नमन करते हुए कहा कि उन्होंने जाति-आधारित भेदभाव, अस्पृश्यता और सामाजिक अन्याय के विरुद्ध आजीवन संघर्ष किया।

अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी दयानंद ने न केवल विदेशी विचारधाराओं को चुनौती दी, बल्कि उन पंडितों का भी विरोध किया जिन्होंने वेदों और शास्त्रों के अर्थों को विकृत किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी दयानंद एक दूरदर्शी संत थे, जिन्होंने महिलाओं की भूमिका को समाज और राष्ट्र निर्माण में समान रूप से महत्वपूर्ण माना। उन्होंने उस मानसिकता को चुनौती दी जो महिलाओं को घर की चारदीवारी तक सीमित रखती थी। 
 
मोदी ने कहा कि स्वामीजी समझते थे कि भारत की प्रगति के लिए न केवल विदेशी दासता की जंजीरों को तोड़ना आवश्यक है, बल्कि समाज के भीतर फैले अंधविश्वास और असमानता को भी समाप्त करना उतना ही जरूरी है। मोदी ने यह भी कहा कि आर्य समाज के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को राजनीतिक कारणों से वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वह वास्तव में पात्र थे। उन्होंने कहा, “आर्य समाज ने हमेशा भारत की आत्मा, उसकी ‘भारतीयता’ और सांस्कृतिक एकता की रक्षा की है।”
 
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और आर्य समाज की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में स्मारक सिक्के जारी किए। उन्होंने कहा कि आर्य समाज ने शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में जो कार्य किए, वे आज भी भारत के विकास की प्रेरणा बने हुए हैं। कार्यक्रम के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने स्वामी दयानंद सरस्वती को नमन करते हुए कहा कि उनका जीवन सत्य, वेद और समाज सुधार के प्रति समर्पण का प्रतीक है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।