सुप्रीम कोर्ट गोधरा ट्रेन अग्निकांड की 13 फरवरी को करेगा सुनवाई

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-01-2025
 Godhra train fire case
Godhra train fire case

 

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में गुजरात सरकार और कई अन्य दोषियों द्वारा दायर अपीलों पर 13 फरवरी को सुनवाई करेगा.

जस्टिस जे के माहेश्वरी और अरविंद कुमार की पीठ ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई की तारीख पर मामले में कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा.

27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद राज्य में दंगे भड़क गए थे.

गुजरात उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2017 के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में कई अपीलें दायर की गई हैं, जिसमें कई दोषियों की सजा को बरकरार रखा गया था और 11 लोगों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था.

गुजरात सरकार ने फरवरी 2023 में शीर्ष अदालत से कहा था कि वह उन 11 दोषियों के लिए मृत्युदंड की मांग करेगी, जिनकी सजा को उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास में बदल दिया था.

जब गुरुवार को मामला सुनवाई के लिए आया, तो एक दोषी की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि कोई सबूत रिकॉर्ड में नहीं रखा गया है. न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा, ‘‘हमें नहीं पता. हम मामले की सुनवाई करेंगे और हमने पहले भी यह स्पष्ट कर दिया था. हम इस मामले को स्थगित नहीं करेंगे. इस मामले को कम से कम पांच बार स्थगित किया जा चुका है. (पिछले एक साल से) मैं इस मामले को स्थगित कर रहा हूं.’’

वकील ने अदालत को बताया कि कुछ दोषियों ने क्षमा याचिका दायर की है जो लंबित है. मामले को स्थगित करने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘हमें मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय से निर्देश मिले हैं कि आपराधिक अपील और क्षमा के मामलों की एक साथ सुनवाई करने की आवश्यकता नहीं है.’’

दोषियों में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि गुजरात द्वारा मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने के खिलाफ दायर अपील पर पहले सुनवाई की जानी चाहिए. हेगड़े ने कहा, ‘‘22 साल बीत चुके हैं... मेरे मुवक्किलों को मृत्युदंड नहीं दिया गया है. इस पीठ को पहले दोष की पुष्टि करनी होगी. एक बार जब यह पुष्टि हो जाती है, तो सजा का हिस्सा आता है. जब हम इस पर विचार करेंगे, तो संभवतः इसमें समय लगेगा. यदि आप तीन न्यायाधीशों को भेजेंगे, तो इसका असर होगा.’’

इसके बाद अदालत ने दोषियों के वकीलों द्वारा समय मांगे जाने के बाद मामले की सुनवाई 13 फरवरी तक टाल दी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने कहा था कि निचली अदालत ने 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी और 20 अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

वकील ने कहा था कि हाईकोर्ट ने मामले में 31 दोषियों को दोषी ठहराया था और 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था. राज्य ने जहां 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के खिलाफ अपील की है, वहीं कई दोषियों ने मामले में उनकी सजा को बरकरार रखने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.