नयी दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार, निर्वाचन आयोग और कई राजनीतिक दलों को नोटिस जारी कर उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें राजनीतिक दलों को 2,000 रुपये से कम का “गुमनाम” नकद चंदा लेने की अनुमति देने वाले आयकर अधिनियम के प्रावधान को चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि ऐसे गुमनाम चंदे से राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता खत्म होती है और मतदाता दाताओं तथा उनके उद्देश्य की जानकारी से वंचित रह जाते हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया की शुचिता प्रभावित होती है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने चार सप्ताह बाद सुनवाई तय की है। अदालत ने भाजपा, कांग्रेस समेत कई दलों को भी नोटिस भेजा है।
याचिकाकर्ता ने आयकर अधिनियम की धारा 13ए(डी) को असंवैधानिक घोषित करने और उसे रद्द करने की मांग की है, साथ ही 2024 में चुनावी बांड योजना रद्द होने के फैसले का हवाला भी दिया है।
याचिका में मांग की गई है कि—
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किसी राजनीतिक दल को नकद में कोई चंदा लेने की अनुमति न हो।
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दलों को हर दाता का नाम और विवरण सार्वजनिक करना अनिवार्य किया जाए।
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निर्वाचन आयोग सभी दलों के फॉर्म 24A की जांच करे और बिना पते/पैन वाले चंदे को वापस जमा करवाए।
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सीबीडीटी पिछले पांच वर्षों के आयकर रिटर्न और ऑडिट रिपोर्ट की जांच करे।
सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित पक्षों से विस्तृत जवाब तलब किया है।






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