पुणे।
महाराष्ट्र में आतंकवाद से जुड़े एक संवेदनशील मामले में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर जुबैर हंगरगेकर को एक बार फिर पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है। विशेष अदालत ने उसे पहले न्यायिक हिरासत में भेजा था, लेकिन अब शेष अवधि को ध्यान में रखते हुए उसे 3 जनवरी तक एटीएस की कस्टडी में भेज दिया गया है।
एटीएस ने अदालत को बताया कि जांच के दौरान जुबैर के ‘टेलीग्राम’ अकाउंट से जुड़े कुछ संदिग्ध तकनीकी साक्ष्य सामने आए हैं। इनमें अफगानिस्तान और हांगकांग से जुड़े आईपी पते शामिल हैं, जिनकी गहन जांच की जा रही है। जांच एजेंसी का कहना है कि इन डिजिटल सुरागों से अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के संभावित संपर्कों की आशंका पैदा होती है।
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत ने एटीएस की दलीलों को स्वीकार करते हुए जुबैर को फिर से पुलिस हिरासत में भेजने की अनुमति दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हंगरगेकर को बुधवार को दोबारा एटीएस की हिरासत में लिया गया है। अदालत ने उसे 3 जनवरी तक एटीएस की कस्टडी में भेजा है।”
कानून के तहत, यूएपीए मामलों में जांच एजेंसियों को अदालत की अनुमति से अधिकतम 30 दिन तक आरोपी को पूछताछ के लिए हिरासत में रखने का अधिकार होता है। जुबैर को 27 अक्टूबर को प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद उसे 18 दिनों के लिए एटीएस की हिरासत में भेजा गया था।
अधिकारी ने बताया कि बाद में जांच एजेंसी ने उसे न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की थी, जिसे अदालत ने मंजूरी दे दी थी, लेकिन साथ ही पुलिस हिरासत का अधिकार सुरक्षित रखा गया था। इसी वजह से अब शेष अवधि के तहत उसे दोबारा एटीएस हिरासत में भेजा गया है।
एटीएस इससे पहले अदालत को यह भी बता चुकी है कि जांच के दौरान जुबैर के पुराने मोबाइल फोन से एक पाकिस्तानी फोन नंबर मिला था, जिसे संदिग्ध माना जा रहा है। इसके अलावा, एटीएस ने यह दावा भी किया है कि जुबैर पुणे के कोंढवा इलाके में कथित तौर पर “आक्रामक” शैली में धार्मिक प्रवचन दिया करता था।
फिलहाल, एटीएस डिजिटल साक्ष्यों, अंतरराष्ट्रीय कनेक्शनों और स्थानीय गतिविधियों—तीनों पहलुओं पर समानांतर जांच कर रही है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां कोई भी निष्कर्ष निकालने से पहले हर कड़ी को बारीकी से परखने की बात कह रही हैं।






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