तिरुमला में श्रद्धालुओं संग अन्नप्रसाद ग्रहण करने पहुंचे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 26-12-2025
RSS chief Mohan Bhagwat arrived in Tirumala to partake in the community meal with devotees.
RSS chief Mohan Bhagwat arrived in Tirumala to partake in the community meal with devotees.

 

तिरुपति (आंध्र प्रदेश)।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के तिरुमला पहुंचे, जहां उन्होंने श्रद्धालुओं के साथ मिलकर श्रीवारी अन्नप्रसादम ग्रहण किया। यह आयोजन तारिगोंडा वेंगमांबा अन्नप्रसादम परिसर में हुआ, जो तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा संचालित किया जाता है।

टीटीडी के चेयरमैन बी.आर. नायडू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि इस अवसर पर वह स्वयं और टीटीडी के अतिरिक्त कार्यकारी अधिकारी वेंकैया चौधरी भी मौजूद थे। उन्होंने लिखा कि मोहन भागवत ने आम श्रद्धालुओं के साथ बैठकर भगवान श्री वेंकटेश्वर का अन्नप्रसाद ग्रहण किया, जो तिरुमला की परंपराओं में विशेष धार्मिक महत्व रखता है।

अन्नप्रसाद ग्रहण करने से पहले मोहन भागवत ने भगवान भुवरहस्वामी मंदिर के दर्शन भी किए। टीटीडी चेयरमैन के अनुसार, तिरुमला की परंपरा के अनुसार दर्शन के उपरांत ही वे अन्नप्रसाद कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान माहौल पूरी तरह धार्मिक और आध्यात्मिक रहा।

टीटीडी की ओर से यह भी बताया गया कि मोहन भागवत शुक्रवार को ‘श्रीवारी सेवा’ में भी भाग लेंगे। इस दौरान वह अन्य श्रद्धालुओं के साथ मिलकर भगवान श्री वेंकटेश्वर मंदिर की सेवा करेंगे। श्रीवारी सेवा को तिरुमला में भक्तिभाव और समर्पण का विशेष प्रतीक माना जाता है, जिसमें श्रद्धालु स्वेच्छा से मंदिर से जुड़ी सेवाओं में हिस्सा लेते हैं।

इससे पहले, हाल ही में कोलकाता में आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित ‘100 व्याख्यान माला’ कार्यक्रम में मोहन भागवत ने देश की सांस्कृतिक पहचान को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और रहेगा, इसके लिए किसी संवैधानिक मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। उनके अनुसार, जैसे सूरज का पूरब से उगना एक स्वाभाविक सत्य है, वैसे ही भारत का हिंदू राष्ट्र होना भी एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सत्य है।

भागवत ने कहा था कि जो भी व्यक्ति भारत को अपनी मातृभूमि मानता है और भारतीय संस्कृति का सम्मान करता है, वह इस विचारधारा का हिस्सा है। तिरुमला में उनका यह धार्मिक कार्यक्रम और उससे पहले दिए गए बयान—दोनों ही सार्वजनिक और राजनीतिक विमर्श में चर्चा का विषय बने हुए हैं।