मीरवाइज उमर फारूक ने ‘एक्स’ प्रोफाइल से हटाया ‘हुर्रियत अध्यक्ष’ का पदनाम, बढ़ी चर्चा

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 26-12-2025
Mirwaiz Umar Farooq removes 'Hurriyat chairman' designation from his 'X' profile, sparking increased discussion about political implications.
Mirwaiz Umar Farooq removes 'Hurriyat chairman' designation from his 'X' profile, sparking increased discussion about political implications.

 

श्रीनगर।

कश्मीर घाटी की राजनीति में एक अहम घटनाक्रम सामने आया है। उदारवादी अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने गुरुवार शाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने सत्यापित अकाउंट की प्रोफाइल से ‘चेयरमैन ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ का पदनाम हटा दिया है। इस कदम के बाद कश्मीर की सियासत में इसके मायने और संभावित संकेतों को लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।

मीरवाइज के ‘एक्स’ हैंडल पर किए गए बदलाव के बाद अब उनके बायो में केवल उनका नाम और मूल स्थान का उल्लेख है। उल्लेखनीय है कि मीरवाइज उमर फारूक के इस अकाउंट पर दो लाख से अधिक फॉलोअर हैं और घाटी से जुड़े राजनीतिक व सामाजिक मुद्दों पर उनके बयानों को व्यापक ध्यान मिलता रहा है। हालांकि, इस प्रोफाइल बदलाव को लेकर मीरवाइज की ओर से अब तक कोई आधिकारिक टिप्पणी सामने नहीं आई है।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब हाल के वर्षों में कश्मीर के अलगाववादी संगठनों और नेताओं पर केंद्र सरकार की कड़ी नजर रही है। मीरवाइज से जुड़े संगठन अवामी एक्शन कमेटी को केंद्र सरकार पहले ही कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत प्रतिबंधित कर चुकी है। इस प्रतिबंध के बाद मीरवाइज की राजनीतिक गतिविधियों और सार्वजनिक भूमिका को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं।

गौरतलब है कि ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) की स्थापना वर्ष 1993 में हुई थी। यह जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी संगठनों का एक प्रमुख गठबंधन रहा है, जिसका घाटी की राजनीति पर लंबे समय तक खासा प्रभाव रहा। बंद, विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक गोलबंदी के समन्वय में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की भूमिका को कभी काफी अहम माना जाता था। हालांकि, बीते कुछ वर्षों में इसके प्रभाव में स्पष्ट कमी देखी गई है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मीरवाइज द्वारा सोशल मीडिया प्रोफाइल से ‘हुर्रियत अध्यक्ष’ का पदनाम हटाना महज एक तकनीकी बदलाव भी हो सकता है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक और कानूनी माहौल में इसे प्रतीकात्मक कदम के तौर पर भी देखा जा रहा है। यह बदलाव भविष्य में मीरवाइज की भूमिका, रणनीति या सार्वजनिक पहचान में किसी संभावित परिवर्तन का संकेत है या नहीं—इस पर फिलहाल अटकलें ही लगाई जा रही हैं।

फिलहाल, मीरवाइज की चुप्पी और यह प्रोफाइल बदलाव कश्मीर की राजनीति में एक नए सवाल के रूप में उभरा है, जिसका जवाब आने वाले समय में ही स्पष्ट हो सकेगा।