Shiv Sena ministers' displeasure exposed: workers joining BJP, staying away from cabinet meeting
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
महाराष्ट्र में नगरीय निकाय चुनावों से पहले सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन में दरार के संकेत तब सामने आए जब शिवसेना के अधिकांश मंत्री मंगलवार को साप्ताहिक कैबिनेट बैठक में उपस्थित नहीं हुए। यह अनुपस्थिति उस नाराजगी से जुड़ी मानी गई, जो भाजपा द्वारा शिवसेना के नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने दल में शामिल किए जाने को लेकर पनप रही है।
शिवसेना मंत्री प्रताप सरनाईक ने स्वीकार किया कि पालघर, ठाणे, सोलापुर और कोल्हापुर सहित कई जिलों में भाजपा में शामिल किए गए शिवसेना कार्यकर्ताओं को लेकर असंतोष था। उन्होंने बताया कि उपमुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में मंत्रियों ने बाद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की, जहां यह तय हुआ कि महायुति के साझेदार दल अब एक-दूसरे के नेताओं और पूर्व पदाधिकारियों को शामिल करने से परहेज करेंगे।
हालांकि, शिवसेना मंत्री उदय सामंत ने बैठक के बहिष्कार की बात से इनकार करते हुए कहा कि अनुपस्थिति की व्यक्तिगत वजहें थीं और असंतोष जैसी कोई स्थिति नहीं है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि शिवसेना भाजपा को यह स्पष्ट संदेश देना चाहती थी कि वह उसके नेताओं के लगातार भाजपा में शामिल होने को स्वीकार नहीं करेगी।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने बैठक के दौरान शिवसेना को यह भी याद दिलाया कि उल्हासनगर में शिवसेना ने पहले भाजपा सदस्यों को अपनी पार्टी में शामिल किया था। उन्होंने कहा कि गठबंधन की मजबूती के लिए यह जरूरी है कि अब कोई भी सहयोगी दल एक-दूसरे के कार्यकर्ताओं को न तोड़े।
इस राजनीतिक तनाव को विपक्ष ने भी निशाने पर लिया। शिवसेना (उद्धव) नेता आदित्य ठाकरे ने प्रतिद्वंद्वी शिवसेना के मंत्रियों के कैबिनेट से दूर रहने को "लोकतंत्र का अपमान" बताया।
महायुति सरकार की पहली वर्षगांठ से ठीक पहले हुआ यह घटनाक्रम राजनीतिक समीकरणों के बदलते संकेत देता है। भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) इस गठबंधन के प्रमुख घटक हैं। कैबिनेट बैठक में शिवसेना की ओर से केवल उपमुख्यमंत्री शिंदे की मौजूदगी ने तनाव को और स्पष्ट कर दिया।
सरनाईक ने माना कि निकाय चुनावों से पहले सभी दलों में नए नेताओं को शामिल करने की होड़ है, जिससे आपसी असहमति बढ़ी है। उन्होंने कहा कि मुद्दा शिंदे और फडणवीस के साथ सिर्फ दस मिनट की बातचीत में हल कर लिया गया।