करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर खुलेगा शारदा पीठ, इससे क्या बदलेगा, इसकी मांग कब से हो रही है?

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 25-03-2023
करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर खुलेगा शारदा पीठ, इससे क्या बदलेगा, इसकी मांग कब से हो रही है?
करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर खुलेगा शारदा पीठ, इससे क्या बदलेगा, इसकी मांग कब से हो रही है?

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में मां शारदा के मंदिर का उद्घाटन किया. इस दौरान एक अहम घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर शारदा पीठ को खोलने की दिशा में काम करेगी. इस एलान का पीओके के एक्टिविस्ट ने स्वागत किया है.

आइये जानते हैं शारदा पीठ में अभी क्या हुआ है? इसको लेकर क्या घोषणा हुई? कॉरिडोर की मांग कब से हो रही थी? जम्मू-कश्मीर में धर्मस्थलों का विकास कैसे हो रहा है? राजनैतिक दलों की प्रतिक्रिया क्या आई? शारदा पीठ का महत्व क्या है?

शारदा पीठ में अभी क्या हुआ है?

दशकों बाद नियंत्रण रेखा पर स्थित माता शारदा के नवनिर्मित मंदिर में पंचलोह मूर्ति स्थापित होते ही इतिहास रच गया है. नवनिर्मित मंदिर का केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को एलजी मनोज सिन्हा के साथ वर्चुअली उद्घाटन किया है. मंदिर के खुलते ही लोग झूमते नजर आए. वहीं, उन्होंने पठाखों और फूलों की बारिश कर कश्मीरी पंडित समुदाय का स्वागत किया है.

इसको लेकर क्या घोषणा हुई?

उद्घाटन समारोह के मौके पर ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम में शिरकत कर रहे गृह मंत्री अमित शाह ने करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर शारदा पीठ कॉरिडोर को खोलने की बड़ी घोषणा की. उन्होंने कहा कि इस मंदिर की वास्तुकला और निर्माण शारदा पीठ के तत्वाधान में पौराणिक शास्त्रों के अनुसार किया गया है. श्रृंगेरी मठ द्वारा दान की गई शारदा मां की मूर्ति को यहां प्रतिष्ठापित किया गया है. कुपवाड़ा में मां शारदा के मंदिर का पुनर्निर्माण होना शारदा-सभ्यता की खोज व शारदा-लिपि के संवर्धन की दिशा में एक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण कदम है.

मंदिर का निर्माण कब शुरू हुआ था?

हाल में ही उद्घाटन किए गए मंदिर का निर्माण कार्य पिछले साल ही शारदा यात्रा मंदिर समिति ने शुरू कराया था. इससे पहले समिति ने लगभग एक कनाल के भूखंड के सीमांकन के बाद 2दिसंबर 2021को भूमि पूजन किया था. जिस भूमि पर यह मंदिर बनाया गया है, उसे स्थानीय लोगों के सहयोग से वापस लिया गया था. इसमें धर्मशाला और एक गुरुद्वारा हुआ करता था. इन्हें 1947में कबायलियों ने जला दिया गया था और विभाजन के बाद 1948में शारदा पीठ की तीर्थ यात्रा बंद कर दी गई थी. पिछले साल स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों ने धर्मशाला की जमीन कश्मीरी पंडितों को लौटाई थी और सेव शारदा सीमिति कश्मीर के सदस्यों ने जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों की मदद से यहां एक गुरुद्वारा, शारदा मंदिर और एक मस्जिद का निर्माण किया.

जम्मू कश्मीर में धर्मस्थलों का विकास कैसे हो रहा है?

गृह मंत्री शाह ने जानकारी दी कि सरकार ने संस्कृति के पुनरुद्धार सहित जम्मू-कश्मीर के सभी क्षेत्रों में पहल की है. इसके तहत 123चिह्नित स्थानों का व्यवस्थित रूप से जीर्णोद्धार और मरम्मत का काम चल रहा है, जिनमें कई मंदिर और सूफी स्थान शामिल हैं. 65करोड़ रुपए की लागत से इसके पहले चरण में 35स्थानों का पुनरुद्धार किया जा रहा है. 75धार्मिक और सूफी संतों के स्थानों की पहचान करके 31मेगा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं.

राजनैतिक दलों की प्रतिक्रिया क्या आई?

पीडीपी अध्यक्ष एवं राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि नियंत्रण रेखा से सटे टीटवाल इलाके में नवनिर्मित शारदा मंदिर का उद्घाटन अच्छा कदम है. लेकिन इसे तीर्थ तक ही नहीं सीमित करना चाहिए. आगे उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग काफी समय से इस शारदा माता मंदिर को खोलना चाहते थे.

वहीं, पीओके के पॉलिटिकल एक्टिविस्ट जमील मकसूद शुक्रवार को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में शारदा पीठ कॉरिडोर खोलने की भारत की योजना की सराहना की. यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी के पदाधिकारी मकसूद ने कहा, 'यह एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन इससे पहले नियंत्रण रेखा (एलओसी) खोली जानी चाहिए और यात्रा प्रतिबंधों में ढील दी जानी चाहिए. यह पीओके और भारत के लोगों के बीच धार्मिक सद्भाव लाएगा और हिंदू, मुस्लिम और सिख सहित अल्पसंख्यक समुदाय को लाभान्वित करेगा.

 

शारदा समिति के अध्यक्ष रविंदर पंडिता ने कहा कि कोई नहीं यकीन कर रहा था कि यहां मंदिर बनेगा. ऐसा इसलिए हो पाया क्योंकि कश्मीर ऋषि मुनियों की धरती रही है. आज का दिन बड़ा एतिहासिक है, क्योंकि मंदिर और गुरुद्वारे का शुभारंभ हुआ है. यह मंदिर ही नहीं बल्कि एक बहुमूल्य विरासत है.

कॉरिडोर की मांग कब से हो रही है?

कश्मीरी पंडित वर्षों से धार्मिक तीर्थयात्रा के लिए करतारपुर जैसे कॉरिडोर की मांग कर रहे हैं. 76साल बाद ऐसा है कि देवी शारदा का यह मंदिर इस ऐतिहासिक क्षेत्र में बनाया गया है. मंदिर के जिर्णोद्धार कार्य शुरू होने पर शारदा समिति के प्रमुख और संस्थापक रविंदर पंडिता ने कहा था, हम मांग करते हैं कि हमारे बड़े शारदा मिशन में करतारपुर की तर्ज पर तीर्थयात्रा के लिए शारदा पीठ खोला जाना चाहिए. टीटवाल में यह आधार शिविर शारदा पीठ यात्रा के लिए हमारे पारंपरिक मार्गों में से एक को पुन: प्राप्त करेगा और दुनिया भर में धार्मिक पर्यटन को आमंत्रित करेगा.

कॉरिडोर खुलने से क्या बदलेगा?

तीर्थयात्रा के लिए गलियारा खोलना अगस्त 2019में जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद दोनों देशों के बीच संपर्क बहाल करने के लिए पहला बड़ा कदम होगा. इस कदम से टीटवाल से सटी नियंत्रण रेखा को फिर से खोलने की आवश्यकता होगी. 2019में एलओसी पार व्यापार और बस सेवाओं को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया था.

शारदा पीठ का महत्व क्या है?

शारदा पीठ नियंत्रण रेखा (एलओसी) के सटा एक खंडहर मंदिर है. यह धर्मस्थल नीलम घाटी में पीओके के शारदा गांव में स्थित है. विभाजन के बाद, पवित्र स्थल भारतीय सीमा के दूसरी ओर बना रहा और भारतीय तीर्थयात्रियों की पहुंच से दूर हो गया. यहां से पीओके के सबसे बड़े शहर मुजफ्फराबाद की दूरी लगभग 160किमी है.