रोहिंग्याओं का भारत में प्रवेश कई गुना बढ़ गया है: सीएम हिमंत बिस्वा सरमा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 01-08-2024
  Himanta Biswa Sarma
Himanta Biswa Sarma

 

गुवाहाटी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया कि भारत-बांग्लादेश सीमा का इस्तेमाल रोहिंग्याओं द्वारा किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ‘भारत में रोहिंग्याओं का प्रवेश कई गुना बढ़ गया है.’

गुवाहाटी में लोक सेवा भवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सरमा ने कहा, ‘‘मेरा हमेशा से मानना रहा है कि रोहिंग्या अभी भी भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा की स्थिति का फायदा उठा रहे हैं. असम में, हम भारत-बांग्लादेश सीमा के केवल एक हिस्से की रखवाली कर रहे हैं. हाल ही में, हमने देखा कि त्रिपुरा पुलिस ने बड़ी संख्या में रोहिंग्याओं को गिरफ्तार किया है. भारत में रोहिंग्याओं का प्रवेश कई गुना बढ़ गया है.’’

सरमा ने कहा, ‘‘पिछले साल असम पुलिस ने भी एक नेटवर्क का पर्दाफाश किया था और आखिरकार एनआईए ने जांच की. भारत सरकार को बांग्लादेश के साथ अपनी सीमा को मजबूत करना चाहिए, खासकर पश्चिम बंगाल में, क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह बांग्लादेशी नागरिकों को शरण देंगी.’’

सरमा ने असम, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में ‘जनसांख्यिकीय बदलाव’ की ओर भी इशारा किया. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने असम, झारखंड और पश्चिम बंगाल में जनसांख्यिकीय आक्रमण देखा है. जब भी 2021 की जनगणना होगी, मुझे यकीन है कि यह पूर्वी भारत की जनसांख्यिकी के बारे में चौंकाने वाली खबर सामने लाएगी. जनसांख्यिकीय आक्रमण वास्तविक है और तुष्टिकरण की नीतियों के कारण हम इसे नियंत्रित करने में असमर्थ हैं.’’

असम के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘असम में लोग जनसांख्यिकीय आक्रमण के बारे में बहुत जागरूक हैं, लेकिन अन्य भारतीय राज्य अब पीड़ित हैं. यह मुद्दा गंभीर है. जनसांख्यिकीय आक्रमण वास्तविक है. पूर्वी भारत में स्थिति गंभीर है.’’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए सरमा ने कहा, ‘‘जब एक निर्वाचित मुख्यमंत्री कहती है कि वह सीमा खोलने जा रही है और राहत और पुनर्वास प्रदान करेगी, तो आप देख सकते हैं कि स्थिति गंभीर है. यह बयान ही दर्शाता है कि पश्चिम बंगाल घुसपैठ के मामले में बहुत उदार है, और पश्चिम बंगाल में जनसांख्यिकी तेजी से बदल रही है. बस 2019 और 2024 की मतदाता सूचियों की तुलना करें, और आपको तुरंत प्रतिशत वृद्धि दिखाई देगी. पश्चिम बंगाल में 2019 और 2024 में हिंदुओं और मुसलमानों के अनुपात को देखें.’’

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बंगाल और झारखंड इस मुद्दे पर चुप हैं और दोनों राज्यों की सरकारों ने कोई कार्रवाई नहीं की है.

 

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