'फुटबॉल वाली डॉक्टर' जो बेटियों को दे रही हैं उड़ान और उम्मीद

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 04-06-2025
Telangana's 'football doctor' who is giving flight and hope to daughters
Telangana's 'football doctor' who is giving flight and hope to daughters

 

“हर दिन हम उम्मीद करते हैं कि कोई आएगा और समस्याओं का समाधान करेगा, लेकिन हम खुद उस ‘कोई’ क्यों नहीं बन सकते?” — पालसा संपतिरावु

आवाज द वाॅयस/ निजामाबाद

तेलंगाना के निजामाबाद जिले के एक साधारण से मोहल्ले में रहने वाली स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कविता रेड्डी उर्फ़ पालसा संपतिरावु की कहानी सुनने में भले ही सामान्य लगे, लेकिन वास्तव में यह एक प्रेरणादायक गाथा है — समाज सेवा, महिला सशक्तिकरण और खेल के समर्पण की.

30 साल पहले जब उन्होंने ग्रामीण महिलाओं और बालिकाओं के इलाज की शुरुआत की थी, तब उन्हें नहीं पता था कि एक दिन उनका काम हजारों जिंदगियों को छूएगा. गर्भवती महिलाओं में कमजोरी और किशोरियों में खून की कमी जैसी समस्याएं उनके सामने रोज़ आती थीं.

धीरे-धीरे उन्होंने समझा कि यह कोई व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक संकट है. यही समझ उन्हें ‘डॉ. कविता फाउंडेशन’ की स्थापना की ओर ले गई.ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा से शुरुआत करने वाली डॉ. कविता रेड्डी ने अपने पति डॉ. ई. रवींद्र रेड्डी के सहयोग से फाउंडेशन के कार्यों को विस्तारित किया.

उन्होंने न सिर्फ स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए, बल्कि पोषण जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए.सरकारी स्कूलों में जाकर बालिकाओं की जांच करवाई गई. एक स्कूल की 30 बालिकाओं में से 10 में खून की कमी पाई गई. फाउंडेशन ने दवाइयों के साथ-साथ उन्हें सही खानपान के सुझाव भी दिए.
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फुटबॉल – बालिकाओं को उड़ान देने वाला खेल

2010 में एक स्थानीय फुटबॉल टूर्नामेंट में फाउंडेशन के जुड़ाव ने डॉ. कविता रेड्डी के जीवन की दिशा ही बदल दी. उन्होंने देखा कि ग्रामीण बालिकाओं में जबरदस्त ऊर्जा और स्पोर्ट्स की संभावनाएं हैं, लेकिन उन्हें सही दिशा नहीं मिल रही.

बस यहीं से जन्म हुआ ‘डॉ. कवितारेड्डी फुटबॉल अकादमी’ का – एक ऐसा संस्थान जो ग्रामीण बालिकाओं के लिए केवल एक खेल संस्थान नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की पाठशाला है.

डॉ. कविता रेड्डी फुटबॉल अकादमी आज 41 बालिकाओं को मुफ्त आवास, कोचिंग, भोजन, कपड़े और किताबें उपलब्ध करवा रही है. इन बालिकाओं में से कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. अकादमी की छात्राएं न केवल खेल में, बल्कि शिक्षा में भी प्रगति कर रही हैं.

यह संस्थान अब केवल तेलंगाना तक सीमित नहीं रहा. हाल ही में आयोजित ‘तेलंगाना विमेंस लीग’ में बिहार और छत्तीसगढ़ की टीमें भी शामिल हुईं. यह टूर्नामेंट महिला डिग्री कॉलेज के मैदान में 15 से 22 मई 2025 तक चला, और यह पहला टूर्नामेंट था जिसमें फ्लडलाइट्स में एक दिन में तीन मैच खेले गए — सुबह, शाम और रात.

खिलाड़ियों से भरा मैदान, समाज से जुड़ी उम्मीदें

इस ऐतिहासिक आयोजन में टीपीसीसी अध्यक्ष बी. महेश कुमार गौड़, वरिष्ठ विधायक पी. सुदर्शन रेड्डी और पुलिस आयुक्त पी. साई चैतन्य जैसे गणमान्य लोग मौजूद रहे. उन्होंने न केवल इस प्रयास की सराहना की बल्कि यह वादा भी किया कि निजामाबाद को खेल के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा.

कार्यक्रम के दौरान डॉ. कविता रेड्डी ने बताया कि भारत पुरुष फुटबॉल में 120वें और महिला फुटबॉल में 87वें स्थान पर है. उन्होंने कहा, "जब राज्य के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी स्वयं फुटबॉल खिलाड़ी रहे हैं और टीपीसीसी प्रमुख कराटे खिलाड़ी हैं, तो यह हमारे लिए प्रेरणा है कि हम खेल संस्कृति को बढ़ावा दें."
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स्वास्थ्य, शिक्षा और खेल का संगम

डॉ. कविता रेड्डी का यह मॉडल एक आदर्श है — स्वास्थ्य, शिक्षा और खेल का संतुलित समावेश। फाउंडेशन लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में हेल्थ कैंप्स आयोजित कर रहा है. हर महीने 3 से 4 गांवों में जाकर स्वास्थ्य जांच, पोषण जागरूकता और मुफ़्त दवाइयों का वितरण होता है. उनकी कोशिश है कि आने वाले वर्षों में यह संख्या दोगुनी हो जाए.

डॉ. कविता रेड्डी स्वयं छात्र जीवन में थ्रोबॉल की खिलाड़ी रही हैं. उनका मानना है कि खेल बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अनिवार्य है। फुटबॉल जैसे खेल न केवल शरीर को स्वस्थ रखते हैं, बल्कि अनुशासन, सहयोग और आत्मविश्वास भी बढ़ाते हैं.

 पालसा संपतिरावु के अनुसार, "फुटबॉल कोई आम खेल नहीं। यह जीवन की तरह है — लगातार दौड़, संघर्ष और लक्ष्य पर निगाह. हमारे गांव की बेटियां इस संघर्ष को समझती हैं, उन्हें बस मैदान चाहिए, जूते चाहिए और थोड़ा हौसला."

पालसा संपतिरावु उर्फ डॉ. कविता रेड्डी आज भी सुर्खियों से दूर हैं, लेकिन उनके प्रयासों की गूंज तेलंगाना के गांव-गांव में सुनाई देती है. वे उन विरली महिलाओं में से हैं जिन्होंने चिकित्सा को पेशा नहीं, मिशन बनाया. जिनके लिए फुटबॉल केवल खेल नहीं, सामाजिक बदलाव का माध्यम है.

उनकी कहानी सिर्फ एक प्रेरक जीवन यात्रा नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए वह मशाल है जो दिखाती है — यदि इच्छा हो, तो एक अकेली महिला भी बदलाव की जननी बन सकती है.