ज़हीर फारूक़ी: बदली जमीनी हकीकत

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 02-06-2025
Zaheer Farooqi: An example of grassroots change
Zaheer Farooqi: An example of grassroots change

 


zaheer farooqui
"शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं." नेल्सन मंडेला के इन शब्दों को उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर ज़िले के छोटे से कस्बे पुरकाज़ी में ज़हीर फारूक़ी साकार कर रहे हैं. जब देश में राजनीति अक्सर भ्रष्टाचार और निजी स्वार्थों से जोड़ी जाती है, तब ज़हीर फारूक़ी जैसे नेता एक नई उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं, जो राजनीति को समाजसेवा का माध्यम बना रहे हैं.

पुरकाज़ी नगर पंचायत के अध्यक्ष ज़हीर फारूक़ी ने एक साहसिक और संवेदनशील कदम उठाते हुए अपने निजी 1.5 करोड़ रुपये मूल्य की ज़मीन को नगर के पहले इंटरमीडिएट कॉलेज के निर्माण हेतु दान कर दिया. आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी यह कस्बा एक ऐसे विद्यालय से वंचित था, जहाँ बच्चे कक्षा 12 तक पढ़ सकें. उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को दूर-दराज़ के कस्बों की यात्रा करनी पड़ती थी. फारूक़ी ने न केवल इस कमी को पहचाना, बल्कि उसका स्थायी समाधान भी पेश किया.
 
एक वकील और किसान नेता के रूप में फारूक़ी ने शिक्षा को राजनीति के केंद्र में रखा. 2017 में नगर पंचायत अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने सुनिश्चित किया कि प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को उचित सुविधा मिले — डेस्क, कुर्सियाँ और स्मार्ट क्लासरूम बनाए गए. यही कारण है कि आज यह विद्यालय PM श्री स्कूल योजना में शामिल हो चुका है.
 
शिक्षा के अलावा ज़हीर फारूक़ी ने किसानों और पशुपालन से जुड़े मुद्दों पर भी सक्रियता से काम किया. जब कई पंचायतें सरकार द्वारा आवंटित गौशाला निर्माण के फंड का उपयोग नहीं कर पाईं, फारूक़ी ने अपने नेतृत्व में देश की पहली दो-मंज़िला सरकारी गौशाला की स्थापना कर दी. यहाँ गर्भवती, वृद्ध और घायल गायों के लिए अलग-अलग स्थान हैं, सोलर पैनल से बिजली, चारा काटने की मशीन, और एक पशु चिकित्सक की नियमित सेवाएँ भी उपलब्ध हैं. इसके अतिरिक्त, गौशाला में बनने वाली जैविक खाद को बेचकर उसकी आर्थिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की गई है.
 
फारूक़ी कहते हैं कि उनका का एक बड़ा योगदान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर है. उन्होंने नगर में I.P CCTV कैमरों का विस्तृत नेटवर्क स्थापित किया, जो वाहनों की नंबर प्लेट पढ़ने में सक्षम हैं और नगर के हर प्रवेश व निकास बिंदु पर लगे हैं. इन कैमरों की मदद से उत्तराखंड के एक बलात्कारी आरोपी को गिरफ़्तार किया गया, जिसने एक दलित बच्ची से दुष्कर्म किया था.
 
कैमरों में लगे लाउडस्पीकर सार्वजनिक घोषणाओं और आपातकालीन सूचनाओं के लिए भी प्रयोग होते हैं. स्थानीय लोगों, विशेष रूप से महिलाओं ने माना है कि इन कैमरों से महिला सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार आया है.
 
रूढ़ियों को तोड़ते हुए ज़हीर फारूक़ी ने 2019 में महिलाओं के लिए एक जिम की स्थापना भी की. एक मुस्लिम-बहुल क्षेत्र में जहाँ पर्दा प्रथा का प्रभाव गहरा है, वहां महिलाओं के लिए जिम खोलना एक क्रांतिकारी कदम था. ट्रेनर शाहीन उस्मानी, जो बुरक़ा पहनकर आती हैं और अंदर जाकर ही उतारती हैं, बताती हैं कि इस जिम से महिलाओं के स्वास्थ्य और आत्मविश्वास में सकारात्मक बदलाव आया है. आज यह जिम लगभग 100 महिलाओं की फिटनेस का केंद्र बन चुकी है.
 
इतिहास के सम्मान में भी फारूक़ी पीछे नहीं हैं. उन्होंने 1857 की क्रांति के शहीदों के स्थल सुलीवाला बाग़ को एक राष्ट्रीय तीर्थ का रूप दिया है. यह वही स्थान है जहाँ भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेज़ों द्वारा फांसी दी गई थी. हर वर्ष 15 अगस्त और 26 जनवरी को यहाँ हजारों लोग तिरंगा यात्रा निकालते हैं — जो किसी भी नगर पंचायत स्तर पर सबसे बड़ी देशभक्ति रैली मानी जाती है.
 
 
जिम के उद्घाटन के वक्त ज़हीर फारूकी गांव वालों के साथ

ज़हीर फारूक़ी की राजनीति जाति, धर्म और स्वार्थ से परे है. वह एक ऐसे भारतीय मुसलमान हैं जो यह साबित कर रहे हैं कि विकास, समावेशिता और राष्ट्रीय एकता के लिए धर्म कोई बाधा नहीं, बल्कि एक प्रेरणा हो सकता है. वह यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकारी योजनाएँ जनता तक पहुँचें, और गरीब, किसान, महिला, बच्चा — सबको उनका वाजिब हक़ मिले.
 
 
वे उस सोच का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसमें धर्मनिरपेक्षता, विकास और इंसानियत को सर्वोपरि माना जाता है. उनके कार्य न केवल पुरकाज़ी, बल्कि पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बन चुके हैं — जहाँ नेता जनता के बीच रहता है, उनके मुद्दे समझता है और व्यवस्था को बदलने के लिए खुद पहल करता है.
 
प्रस्तुतिः साकिब सलीम
 
Also watch: