आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने सोमवार को कहा कि शुल्क अनिश्चितताओं एवं भू-राजनीतिक चिंताओं से उत्पन्न चुनौतियों के बीच निवेश को बढ़ावा देने के लिए कॉरपोरेट तथा बैंकों को एक साथ आने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केंद्रीय बैंक अब भी वृद्धि के लक्ष्य पर नजर गड़ाए हुए है.
वार्षिक फिबैक कार्यक्रम में यहां गवर्नर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अमेरिका और भारतीय व्यापार प्रतिनिधियों के बीच जारी बातचीत से ऐसा निर्णय निकलेगा जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था पर शुल्क का प्रभाव ‘‘न्यूनतम’’ हो जाएगा.
भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने के अमेरिकी कदम और कपड़ा, झींगा आदि पर इसके संभावित प्रभाव को लेकर चिंताओं के बीच मल्होत्रा ने भरोसा दिलाया कि यदि अर्थव्यवस्था के कुछ वर्गों को परेशानी होती है तो क्षेत्र-विशेष को मदद दी जाएगी.
मल्होत्रा ने स्पष्ट किया कि कि मौद्रिक नीति में मुद्रास्फीति एवं वृद्धि दोनों की गतिशीलता को ध्यान में रखा जाएगा और कहा, ‘‘ हम भू-राजनीतिक मोर्चे और शुल्क से उत्पन्न चुनौतियों के साथ एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं. साथ ही आर्थिक विस्तार सुनिश्चित करने के तरीकों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे समय में जब बैंकों एवं कॉरपोरेट के बही-खाते अपने सबसे अच्छे स्तर पर है, उन्हें एक साथ आना चाहिए और निवेश चक्र बनाने की भावना को बढ़ावा देना चाहिए, जो इस समय बेहद महत्वपूर्ण है.’
मल्होत्रा ने कहा कि वित्तीय स्थिरता और मूल्य स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने से वृद्धि में कोई बाधा नहीं आती है। साथ ही वित्तीय स्थिरता एवं वृद्धि के बीच कोई ‘‘संघर्ष’’ नहीं है.
वित्त वर्ष 2024-25 में कर्ज वृद्धि दर के तीन साल के निचले स्तर पर आने के बीच मल्होत्रा ने कहा, ‘‘ हम विभिन्न क्षेत्रों में बैंक ऋण का विस्तार करने के उपायों पर विचार कर रहे हैं.’’
मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई ‘‘बैंक ऋण बढ़ाने के तरीकों पर गौर किया जा रहा ही है।’’ हालांकि, उन्होंने योजनाबद्ध कदमों के बारे में विस्तार से नहीं बताया.
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सी. एस. शेट्टी ने कहा कि कंपनियों की ओर से ऋण की मांग कम हो गई है, क्योंकि कंपनियां अपनी वित्तपोषण आवश्यकताओं के लिए निजी ऋण एवं पूंजी बाजारों का रुख कर रही हैं.
शेट्टी उद्योग लॉबी समूह आईबीए का भी नेतृत्व करते हैं.
एसबीआई चेयरमैन ने बैंकों को कम से कम शीर्ष कंपनियों के लिए अधिग्रहण वित्तपोषण की अनुमति देने का भी अनुरोध किया। यह एक ऐसा क्षेत्र जहां अबतक उन्हें प्रतिबंधित किया गया है.
परामर्श कंपनी बीसीजी के रुचिन गोयल ने कहा कि पिछले कुछ समय में कॉरपोरेट ऋण में कमी आई है। अब यह समग्र प्रणाली जोखिम का 36 प्रतिशत है, जो कुछ वर्ष पहले 60 प्रतिशत था.
इस बीच, मल्होत्रा ने यह भी कहा कि आरबीआई विनियमित संस्थाओं के लिए कारोबार को आसान बनाने पर भी काम कर रहा है, जिससे मध्यस्थता की लागत कम करने में भी मदद मिलेगी.