जयपुर. राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले से सामने आए एक विचित्र मामले में, पुलिस को 70 गधों के लापता होने और उनके मालिकों द्वारा जिले में खुइयां शहर क्षेत्र में चोरी की शिकायत दर्ज कराने के बाद पुलिस थाने में गधों की पहचान परेड करानी पड़ी.
इस दौरान पुलिस को 17 गधे मिले और उनकी पहचान परेड कराई. हालांकि, उनके मालिकों ने कहा कि वे बस उनके जानवरों के जैसे दिखते हैं और उन्हें लेने से इनकार कर दिया.
इससे पहले, शिकायतें दर्ज होने के तुरंत बाद, पुलिस ने कथित तौर पर उन पर बैठना पसंद किया. हालांकि, मंगलवार शाम को थाने में मालिकों और माकपा कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन ने पुलिस को लापता गधों की तलाश में जाने के लिए मजबूर कर दिया.
इस तलाशी को अंजाम देते हुए पुलिस ने 15 गधों को पकड़ा और थाने ले आई, लेकिन उनके मालिकों ने उन्हें लेने से इनकार कर दिया क्योंकि जानवरों ने उनका नाम पुकारे जाने का जवाब नहीं दिया.
मालिकों ने कहा कि कुछ गधों के नाम चिंटू, पिंटू और कालू थे और जब उन्होंने उन्हें इन नामों से पुकारा, तो इन जानवरों में से किसी ने भी जवाब नहीं दिया जिससे साबित हुआ कि वे उनके जानवर नहीं थे.
धरना कर रहे मालिकों ने पुलिस से कहा कि गधों को जहां से लाए थे वहां छोड़ दें और फिर वह हमारे जानवरों को ढूंढ कर लाएं.
उन्होंने कहा कि गधे उनकी आजीविका का साधन हैं. उन्होंने बताया कि एक गधे की कीमत करीब 20,000 रुपये है और चोरी किए गए 70 गधों का मतलब 14 लाख रुपये की चोरी है. मालिकों ने कहा कि गधों का भार ढोना और उनके गधों के चोरी हो जाने के बाद उनकी आजीविका का साधन समाप्त हो गया.
खुइयां थाने के एसएचओ विजेंद्र शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमने इन जानवरों का पता लगाने के लिए टीमों का गठन किया है."
माकपा नेता मंगेज चौधरी ने कहा कि उन्हें धरना इसलिए देना पड़ रहा है कि जानवरों के लापता होने की शिकायतें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं.