नई दिल्ली
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित इंदिरा भवन में ‘तेलंगाना सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण – मॉडल और कार्यप्रणाली’ जारी किया और कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी तथा मल्लिकार्जुन खड़गे से संसद में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उठाने की अपील की।
रेवंत रेड्डी ने कहा, “यह केवल एक जातिगत सर्वेक्षण नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, रोजगार और राजनीतिक स्थिति का व्यापक विश्लेषण है।”
सर्वेक्षण के अनुसार, तेलंगाना की जनसंख्या में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) — जिनमें मुस्लिम, ईसाई, सिख और बौद्ध जैसे धर्मों के अनुयायी शामिल हैं — की हिस्सेदारी 56.4% है। अनुसूचित जातियाँ (एससी) 17.4%, अनुसूचित जनजातियाँ (एसटी) 10.8% और सवर्ण जातियाँ 10.9% हैं। इनमें से 3.9% जनसंख्या “नो कास्ट” श्रेणी में आती है।
रेड्डी ने बताया कि इस सर्वेक्षण में कई पहचान से बाहर रही जातियों को नाम और स्थान सहित चिन्हित किया गया, और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति का अध्ययन किया गया।
उन्होंने कहा, “शिक्षा स्तर ने यह दर्शाया कि भूमि ना होने के बावजूद कौन-सी जातियाँ ऊपर उठीं। वहीं जिनके पास संपत्ति थी, लेकिन शिक्षा नहीं, वे अब भी पिछड़े हैं। दूसरी ओर, ज़मीन और संपत्ति से वंचित लोग यदि शिक्षित हैं तो वे सामाजिक रूप से आगे बढ़े हैं।”
सर्वेक्षण के दौरान 88 करोड़ पन्नों में सेल्फ-डिक्लेयर्ड और “फुलप्रूफ” डेटा इकट्ठा किया गया।
रेड्डी ने प्रक्रिया का ब्योरा देते हुए कहा, “हमने घर-घर जाकर जानकारी ली, मकानों पर स्टीकर लगाए और 94,113 ब्लॉक बनाए, हर एक में एक एनीमरेटर और एक सुपरवाइज़र था। मंडल स्तर पर समितियाँ बनाई गईं, जिलाधिकारियों, योजना विभाग, मुख्य सचिव, उप मुख्यमंत्री और मैंने खुद निगरानी की।
जो लोग सर्वे में शामिल नहीं हुए, उन्हें 15 दिन का अतिरिक्त समय, टोल-फ्री हेल्पलाइन और हर दफ़्तर में सहायता केंद्र दिए गए। जो फिर भी नहीं आए, उन्हें सर्वेक्षण से बाहर रखा गया। अगर कोई सिस्टम का हिस्सा नहीं बनना चाहता, तो उसे गिना नहीं जाएगा।”
सर्वे के बाद तेलंगाना सरकार ने दो विधेयक पारित किए — एक शिक्षा व रोजगार में आरक्षण और दूसरा राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए। इन दोनों में ओबीसी के लिए 42% आरक्षण का प्रावधान है। ये विधेयक तीन महीने से राष्ट्रपति के पास लंबित हैं।
रेड्डी ने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से अपील की कि वे संसद में इन विधेयकों के लिए आवाज उठाएँ।“हम राहुल गांधी जी और खड़गे जी से अनुरोध करते हैं कि वे संसद में यह मुद्दा उठाएं, प्रस्ताव लाएं और नेतृत्व करें। जरूरत पड़ी तो हम सड़कों पर भी उतरेंगे,” उन्होंने ऐलान किया।
तेलंगाना सरकार ने एससी आरक्षण को 15% से बढ़ाकर 17.5% और एसटी आरक्षण को 6% से बढ़ाकर 10% कर दिया है, जो उनकी जनसंख्या के अनुपात के अनुसार है।
रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना कराने में वे लगातार अड़चन पैदा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “1925 में जब से आरएसएस बनी, तब से लेकर अब 2025 तक कांग्रेस जातिगत जनगणना की मांग करती रही है। लेकिन उनकी विचारधारा ओबीसी की गिनती से डरती है।” उन्होंने 2020 में भाजपा सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे का हवाला भी दिया जिसमें जातिगत जनगणना से इनकार किया गया था।
रेड्डी ने पीएम मोदी की ओबीसी पहचान पर भी सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि “वह कानूनी रूप से ओबीसी में तब बदले, जब मुख्यमंत्री बने, केवल राजनीतिक लाभ के लिए।”
कांग्रेस की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में संसद के बाहर जंतर मंतर पर हुए विरोध प्रदर्शन, जिसमें 16 दलों और 55 सांसदों ने भाग लिया, उसके चलते केंद्र सरकार ने 2026 की जनगणना में जातिगत आंकड़े शामिल करने की घोषणा की।
रेड्डी ने कहा, “यह राहुल गांधी जी के आंदोलन की सफलता है। जैसे किसान कानूनों को मोदी जी ने राहुल गांधी के कहने पर वापस लिया और माफ़ी मांगी, वैसे ही अब जाति जनगणना का रास्ता भी खुलेगा। क्योंकि राहुल गांधी जनता की आवाज़ बन चुके हैं।”