जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने लद्दाख की हिंसा पर जताई गहरी चिंता, शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 28-09-2025
Professor Salim Engineer, Vice President of Jamaat-e-Islami Hind, expressed deep concern over the violence in Ladakh and called for a peaceful resolution and meaningful dialogue.
Professor Salim Engineer, Vice President of Jamaat-e-Islami Hind, expressed deep concern over the violence in Ladakh and called for a peaceful resolution and meaningful dialogue.

 

नई दिल्ली

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रो. सलीम इंजीनियर ने लद्दाख में हाल ही में भड़की हिंसा और उसमें हुए जानमाल के नुकसान को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि राज्य के दर्जे और संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर हो रहे लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शनों का हिंसक रूप लेना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। इन घटनाओं में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हुए हैं।

प्रो. इंजीनियर ने एक बयान में कहा,"जमाअत-ए-इस्लामी हिंद लद्दाख से आ रही घटनाओं से बेहद चिंतित है। हम केंद्र सरकार और लद्दाख के नागरिकों से अपील करते हैं कि वे रचनात्मक संवाद और सामूहिक प्रयासों के ज़रिए एक शांतिपूर्ण व न्यायपूर्ण समाधान की दिशा में आगे बढ़ें। हिंसा किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं हो सकती।"

उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची में समावेश, जनजातीय समुदायों के अधिकारों की रक्षा, स्थानीय नौकरियों, संस्कृति और पर्यावरण की सुरक्षा जैसी मांगें वाजिब हैं और इन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि लद्दाख की नाजुक पारिस्थितिकी, आदिवासी पहचान, और सामरिक महत्व को देखते हुए अब और देरी नहीं की जा सकती।

प्रो. इंजीनियर ने लद्दाख के लोगों से अपील करते हुए कहा कि,"अपनी वैध मांगों को शांतिपूर्ण ढंग से उठाना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। लेकिन आंदोलन हिंसक होने से जनसमर्थन को ठेस पहुँचती है और व्यापक सहमति को नुकसान होता है।"

उन्होंने चीन द्वारा कथित अतिक्रमण और भूमि के कॉर्पोरेट सौंपे जाने की खबरों पर भी चिंता जताई, जिनका स्थानीय चरवाहों और ग्रामीण समुदायों पर नकारात्मक असर पड़ा है। उन्होंने सरकार से इन मामलों की गंभीरता से जांच और त्वरित कार्रवाई की मांग की।

प्रो. सलीम इंजीनियर ने कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा:"शांतिपूर्ण विरोध और लोकतांत्रिक असहमति को दबाना न केवल अनुचित है, बल्कि यह हमारे लोकतंत्र के मूल्यों के खिलाफ है। सरकार को चाहिए कि वह सोनम वांगचुक को तुरंत रिहा करे और लद्दाख के नागरिकों के साथ ईमानदारीपूर्ण संवाद शुरू करे।"

उन्होंने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में देशभर में आलोचनात्मक आवाज़ों और विरोध को 'राष्ट्र-विरोध' या 'देशद्रोह' के नाम पर दबाने की प्रवृत्ति चिंताजनक है। "ऐसे लेबल समाज को ध्रुवीकृत करते हैं, वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटकाते हैं, और लोकतंत्र को कमजोर करते हैं। यह प्रवृत्ति रोकनी ही चाहिए।"

अंत में उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि सरकार को संवेदनशीलता और ईमानदारी के साथ सभी पक्षों की बात सुननी चाहिए और लद्दाख में समावेशी, टिकाऊ और पारिस्थितिक रूप से संतुलित विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए।