मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरूनानाक जयंती पर किसानों को बड़ा तोहफा दिया है. सुबह राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने तीनों संशोधित कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया. साथ ही आंदोलनरत किसानों को घर और खेत लौटने की अपील की. केंद्र सरकार ने तकरीबन दो वर्ष पहले किसानों की फसलों का बेहतर मूल्य दिलाने की नियत से तीन कृषि कानून लाया था.
इसके तहत प्राइवेट कंपनियां किसानों के घर और खेत से उनकी फसल समुचित दाम पर खरीद सकती थीं. मगर किसानों को यह कानून रास नहीं आया. संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप है कि तीन कानूनों के सहारे सरकार खेती-किसानी का निजीकरण करने का इरादा रखती है. इससे मंडी प्रणाली भी खत्म हो जाएगी. साथ ही प्राइवेट कंपनियां किसानों की फसलों को औने-पौने दाम पर खरीद सकेंगी.
इन्ही आशंकाओं के बीच किसान संगठन पिछले दो वर्षों से आंदोलनरत थे. यहां तक कि कई बार देशव्यापी रेल और सड़क चक्का जाम किया गया. लाल किले पर प्रदर्शन हुए. हाल में किसान संगठनों ने चुनाव के दौरान सीएम योगी और पीएम मोदी को उत्तर प्रदेश में घुसने नहीं देने की चेतावनी दी थी.
हालांकि, पिछले दो वर्षों में किसान संगठनों एवं सरकार के बीच कई दौर की वार्ता चली. सरकार की ओर से किसानों की तमाम आशंकाओं को शांत करने का प्रयास किया गया. सरकार ने दो वर्षों तक कृषि कानून पर अमल नहीं करने भी भरोसा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले का हल निकालने की कोशिश की, पर बात नहीं बनी.
ऐसे में किसानों के लंबे आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार ने आज गुरु पर्व पर तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया. सुबह तकरीबन नौ बजे राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने इसका ऐलान किया. साथ ही उनकी ओर से एक के बाद एक कई ट्विट भी किए गए. जिसमें कहा गया-‘‘ सरकार नेएमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए,ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा.
इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे. पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में कहा-‘‘आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है.’’
उन्होंने कहा-इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को तमाम करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे.पीएम मोदी ने कहा, हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी,
लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए. कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया.’’ उल्लेखनीय है कि किसान आंदोलन के दौरान हजार से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है. इस क्रम में उत्तर प्रदेश में एक अप्रिय घटना घटी थी.
5 जून, 2020ः सरकार ने तीन अध्यादेश जारी किए.
14 सितंबर, 2020ः तीन कृषि विधेयक संसद में लाए गए.
17 सितंबर, 2020ः लोकसभा में बिल पास हुए.
20 सितंबर, 2020ः राज्यसभा में विधेयकों को ध्वनिमत से पारित किया गया.
24 सितंबर, 2020ः पंजाब में किसानों ने तीन दिवसीय रेल नाकेबंदी की घोषणा की.
25 सितंबर, 2020ः अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान के जवाब में पूरे भारत के किसान विरोध में उतरे.
26 सितंबर, 2020ः शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने कृषि बिलों को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से इस्तीफा दे दिया.
27 सितंबर, 2020ः कृषि बिलों को राष्ट्रपति की सहमति दी जाती है और भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया जाता है और कृषि कानून बन जाते हैं.
25 नवंबर, 2020ः पंजाब और हरियाणा में किसान संघों ने ‘दिल्ली चलो‘ आंदोलन का आह्वान कियाय कोविड प्रोटोकॉल के कारण दिल्ली पुलिस ने अनुमति से इनकार कर दिया.
26 नवंबर, 2020ः दिल्ली की ओर मार्च कर रहे किसानों को पानी की बौछारों, आंसू गैस का सामना करना पड़ा क्योंकि पुलिस ने उन्हें हरियाणा के अंबाला जिले में तितर-बितर करने की कोशिश की.
28 नवंबर, 2020ः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों के साथ बातचीत करने की पेशकश की ताकि वे दिल्ली की सीमाओं को खाली कर दें.
3 दिसंबर, 2020ः सरकार ने किसानों के प्रतिनिधियों के साथ पहले दौर की बातचीत की, लेकिन बैठक बेनतीजा रही.
5 दिसंबर, 2020ः किसानों और केंद्र के बीच दूसरे दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही.
8 दिसंबर, 2020ः किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया. अन्य राज्यों के किसानों ने भी इस आह्वान का समर्थन किया.
9 दिसंबर, 2020ः किसान नेताओं ने तीन विवादास्पद कानूनों में संशोधन के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज किया.
11 दिसंबर, 2020ः भारतीय किसान संघ (बीकेयू) ने कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
13 दिसंबर, 2020ः केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने किसानों के विरोध प्रदर्शन में टुकड़े-टुकड़े गैंग का हाथ होने का आरोप लगाया.
30 दिसंबर, 2020ः सरकार और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की बातचीत में कुछ प्रगति दिखी.
4 जनवरी, 2021ः सरकार और किसान नेताओं के बीच सातवें दौर की बातचीत भी अनिर्णायक रही .
7 जनवरी, 2021ः सुप्रीम कोर्ट 11 जनवरी को नए कानूनों और विरोध प्रदर्शनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमत हुआ.
11 जनवरी, 2021ः सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के विरोध से निपटने के लिए केंद्र को फटकार लगाई.
12 जनवरी, 2021ः सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाई. कानूनों पर सिफारिशें करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया.
26 जनवरी, 2021ः गणतंत्र दिवस पर किसान संघों द्वारा बुलाई गई ट्रैक्टर परेड के दौरान हजारों प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए. लाल किले में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया.
29 जनवरी, 2021ः सरकार ने कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव रखा और कानून पर चर्चा के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया. किसानों ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया.
5 फरवरी, 2021ः दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम सेल ने किसान विरोध पर एक ‘टूलकिट‘ बनाने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिसे किशोर पर्यावरणविद् ग्रेटा थुनबर्ग ने साझा किया था.
6 फरवरी, 2021ः विरोध करने वाले किसानों ने दोपहर 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक तीन घंटे के लिए देशव्यापी ‘चक्का जाम‘ या सड़क नाकाबंदी की.
6 मार्च, 2021ः दिल्ली की सीमा पर किसानों ने पूरे किए 100 दिन.
8 मार्च, 2021ः सिंघू सीमा विरोध स्थल के पास गोलियां चलाई गईं. कोई घायल नहीं हुआ .
15 अप्रैल, 2021ः हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह किया.
27 मई, 2021ः किसानों ने छह महीने के आंदोलन को चिह्नित करने और सरकार के पुतले जलाने के लिए ‘काला दिवस‘ मनाया.
26 जून, 2021ः किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ सात महीने के विरोध को चिह्नित करने के लिए दिल्ली तक मार्च निकाला.
22 जुलाई, 2021ः लगभग 200 प्रदर्शनकारी किसानों ने संसद भवन के पास किसान संसद के समानांतर ‘‘मानसून सत्र‘‘ शुरू किया.
7 अगस्त, 2021ः 14 विपक्षी दलों के नेता संसद भवन में मिले और दिल्ली के जंतर मंतर पर किसान संसद जाने का फैसला किया.
5 सितंबर, 2021ः उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए जाने के महीने, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को चुनौती देते हुए, किसान नेताओं ने मुजफ्फरनगर में ताकत का एक बड़ा प्रदर्शन किया.
22 अक्टूबर, 2021ः सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यह उन मामलों पर भी विरोध करने के लोगों के अधिकार के खिलाफ नहीं है जो विचाराधीन हैं, लेकिन यह स्पष्ट करता है कि ऐसे प्रदर्शनकारी सार्वजनिक सड़कों को अनिश्चित काल तक अवरुद्ध नहीं कर सकते.
29 अक्टूबर, 2021ः दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर सीमा से बैरिकेड्स हटाना शुरू किया, जहां किसान केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.
19 नवंबर, 2021ः पीएम नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की.