पीएम मोदी की सर्वदलीय बैठकः जम्मू-कश्मीर के बेहतर भविष्य की उम्मीद

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 23-06-2021
पीएम मोदी की सर्वदलीय बैठकः जम्मू-कश्मीर के  बेहतर भविष्य की उम्मीद
पीएम मोदी की सर्वदलीय बैठकः जम्मू-कश्मीर के बेहतर भविष्य की उम्मीद

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक प्रदेश के लोगों के बेहतर भविष्य के दरवाजे खोल सकता है. बैठक गुरूवार को प्रस्तावित है.माना जा रहा है कि नई दिल्ली जेके नेतृत्व को आमंत्रित कर नया कश्मीरबनाना और उसे सशक्त करना चाहती है. इसके अलावा वहां शांति, समृद्धि और राजनीतिक जुड़ावका माहौल पैदा करने की भी ख्वाहिशमंद है.
 
अनुच्छेद 370 निरस्त होने बाद यह पहला मौका है जब जम्मू कश्मीर के तमाम नेता न केवल एकत्रिता कि गए हैं. प्रदेश के मुददे पर केंद्र सरकार से संवाद भी करेंगे.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक मुख्यधारा के नेतृत्व को नई दिशा दे सकती है. केंद्र के कदम का विरोध करने के लिए जेल में बंद नेता भी बैठक में आमंत्रित किए गए हैं.
 
24 जून को होने वाली बैठक जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को गति देने के केंद्र की पहल के तौर पर देखा जा रहा है. लोगों के बेहतर भविष्य के उद्देश्य से यह बड़ी राजनीतिक पहल हो सकती है.केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेताओं के साथ सार्थक जुड़ाव के लिए कभी भी अपने दरवाजे बंद नहीं किए हैं. पीएम के इस कदम से यह संदेश देने की भी कोशिश की जा रही है.
 
बैठक जम्मू और कश्मीर में सकारात्मक विकास की श्रृंखला का एक स्वागत योग्य परिणाम है जो पहले हाई-स्पीड इंटरनेट की बहाली, पंचायत राज संस्थानों को मजबूत करने और पीओके शरणार्थियों और गुर्जरों-बकरवालों को अधिकार देने के साथ शुरू हुआ था.
 
जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेताओं को केंद्र का विरोध करने की बजाए अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद समग्र विकास के लिए के तौर पर पीएम के इस पहल को देखना चाहिए.अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद की पहल ने वास्तव में जम्मू और कश्मीर और लद्दाख दोनों में सामाजिक-आर्थिक विकास किया है.
 
70 साल में पहली बार डीडीसी के चुनाव हुए. जम्मू-कश्मीर को और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक नेताओं तक पहुंच जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूती देने  की दिशा में एक कदम है. इस महत्वपूर्ण अवसर का लाभ यदि जम्मू-कश्मीर के नेता नहीं उठाते हैं तो जनता के बीच अपनी पहचान खो देंगे.
 
राजनीतिक नेतृत्व को इसे गंभीरता से लेना चाहिए. 2016 में तथाकथित अलगाववादी हुर्रियत नेतृत्व द्वारा की गई गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए. केंद्र हमेशा जम्मू कश्मीर के बेहतर भविष्य के लिए कश्मीरी नेतृत्व तक पहुंचा है, लेकिन संविधान के दायरे में.
 
कश्मीरी युवाओं में यह भी अच्छा भाव है कि पहली बार उनके प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व को निमंत्रण दिया है. अब गेंद उनके पाले में है. जम्मू-कश्मीर का हर नागरिक चाहता है कि हर राजनीतिक दल इस बैठक में हिस्सा ले.
 
इनपुटःएएनआई