कोटा
भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब, जैन दर्शन और वेदों पर अपने गहन अध्ययन व लेखन के लिए विख्यात वरिष्ठ साहित्यकार और विद्वान बशीर अहमद मयूख का रविवार को निधन हो गया। वे 99 वर्ष के थे.
उनके पुत्र फिरोज खान मयूख के अनुसार, रविवार सुबह उन्हें लकवे का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जांच में उनके मस्तिष्क में खून का बड़ा थक्का पाया गया.
डॉक्टरों ने शुरू से ही स्थिति को बेहद गंभीर बताया और तमाम कोशिशों के बावजूद मयूख साहब ने दोपहर 2:30 बजे अंतिम सांस ली.मयूख साहब का साहित्यिक योगदान धर्मों के बीच संवाद, सह-अस्तित्व और मानवीय मूल्यों को समर्पित रहा.
उन्होंने जीवन भर अपने लेखन के ज़रिए साम्प्रदायिक सौहार्द, ज्ञान-विवेक और भारतीय सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया.उनकी अंतिम प्रकाशित कृति ‘शब्दरागी मयूख’ थी, जो उनकी आठ पुस्तकों में शामिल है.
16 अक्टूबर 1926 को छीपाबड़ौद (अब राजस्थान के बारां ज़िले) में जन्मे बशीर अहमद मयूख को अपने साहित्यिक अवदान के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें प्रतिष्ठित विश्व हिंदी सम्मान भी शामिल है.
मयूख के परिवार में उनके दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं. उनके निधन से साहित्यिक जगत और सांप्रदायिक सौहार्द की भारतीय परंपरा को अपूरणीय क्षति हुई है.