"This is pure artistic expression": Javed Akhtar leads launch of 'Goongoonalo', India's first artist-owned music platform
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
भारतीय संगीत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में प्रशंसित, अनुभवी गीतकार जावेद अख्तर ने कलाकारों द्वारा और कलाकारों के लिए बनाया गया एक अभूतपूर्व डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म 'गूंगूनालो' का अनावरण किया. मुंबई के बीकेसी में जियो वर्ल्ड के स्टूडियो थिएटर में आयोजित लॉन्च कार्यक्रम में भारतीय संगीत उद्योग के 30 से अधिक दिग्गज शामिल हुए.
जावेद अख्तर, संगीतकार शंकर महादेवन और प्रौद्योगिकीविद् श्रीधर रंगनाथन द्वारा स्थापित, जिसके सीईओ शार्ली सिंह हैं, 'गूंगूनालो' भारत का पहला सांस्कृतिक और संगीत पारिस्थितिकी तंत्र है जो पूरी तरह से स्वयं रचनाकारों के स्वामित्व और संचालन में है. यह एक जीवंत स्थान होने का वादा करता है जहाँ संगीत, कविता और कहानी कहने का संगम होता है, और जहाँ रचनात्मक स्वतंत्रता अब विशेषाधिकार नहीं बल्कि अधिकार है. मंच के पीछे की प्रेरणा पर विचार करते हुए, जावेद अख्तर ने ANI से बात की और कहा, "फिल्मों में, हम कमीशन पर काम करते हैं - निर्देशक या निर्माता जो चाहते हैं, हम उसे पेश करते हैं. लेकिन यहाँ, हमें पूरी आज़ादी है.
हम जो चाहते हैं, वही लिखते हैं, जो हम महसूस करते हैं, वही बनाते हैं. इसके लिए किसी तरह की मंज़ूरी लेने की ज़रूरत नहीं है. यह शुद्ध कलात्मक अभिव्यक्ति है." उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि 'गूंगूनालो' क्रिएटर्स को इंडस्ट्री के गेटकीपर से आज़ादी देता है. उन्होंने निर्भरता से स्वायत्तता की ओर बदलाव पर प्रकाश डालते हुए कहा, "हम जो भी बनाना चाहते हैं, हम बनाएंगे और दुनिया के सामने पेश करेंगे." अख्तर ने नई प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए मंच की प्रतिबद्धता पर भी ज़ोर दिया और कहा, "हर सदस्य को उभरते गायकों, लेखकों या संगीतकारों को पेश करने का अधिकार है.
इस तरह, नई प्रतिभाओं को एक वास्तविक मंच मिलता है." 'गूंगूनालो' में मूल रचनाएँ, अप्रकाशित रचनाएँ, विशेष सामग्री, इंटरैक्टिव प्रशंसक जुड़ाव और विभिन्न शैलियों और भाषाओं में सहयोगी अवसर शामिल होंगे. प्रशंसक पर्दे के पीछे की सामग्री स्ट्रीम कर सकेंगे, डिजिटल कॉन्सर्ट में भाग ले सकेंगे, कलाकारों के साथ मिलकर काम कर सकेंगे और कार्यशालाओं में भी भाग ले सकेंगे.
जैसे ही 'गूंगूनालो' जनता के लिए अपने दरवाजे खोलेगा, जावेद अख्तर ने 5 मई को भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में याद रखने वाली तारीख घोषित की. उन्होंने कहा, "यह तो बस शुरुआत है. आने वाले सालों में गूंगूनालो का असली असर सामने आएगा."