उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में स्थित भोजनालयों के लिए 'क्यूआर' कोड एसोसिएटेड निर्देश पर रोक लगाने से इनकार करने वाले लोगों ने स्वागत किया है।
एएम एम सुंदरेश एंड ग्रान्टेंट एन कोटिस्वर सिंह पृन ने कहा कि वह होटल या ढाबा के मालिक का नाम और क्यूआर कोड दिखाने के लिए एसोसिएटेड अन्य स्टडीज पर विचार नहीं कर रही है, क्योंकि मिडिल क्लास टूर का अंतिम दिन है।
पिछले 23 वर्षों से नीलकंठ महादेव में गंगाजल निवाला कर रहे सरकारी अधिकारी रघुवीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह बहुत अच्छा आदेश है।
उन्होंने कहा, ''अब समुदाय के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा और सभी बिना किसी मित्र के साथ काम करेंगे।''
नेशनल हाईवे पर स्थित नीलक ढाबे के मालिक शराफत हुसैन ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस फैसले में कहा, ''हम पिछले 20 वर्षों से अपने ढाबे पर खाद्य लाइसेंस की याद दिलाते आ रहे हैं।
फूड ऑब्जर्वर राज हंस्रावि ने बताया कि सभी होटल और ढाबे पहले से ही इस लाइसेंस का पालन कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने लाइसेंस की प्रति अंदर ही चिपकाई है, बाहर नहीं।
उन्होंने कहा कि खाद्य विभाग के निर्देशों पर जब उन्होंने ढाबों के बाहर लाइसेंस की कच्ची चिपकाईं तो बारिश के कारण वे सभी बह गए इसलिए उन्हें फिर से तैयार करने के लिए कहा गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि यह केवल मुस्लिम ढाबे पर ही नहीं, बल्कि सभी ढाबों पर लागू होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में स्थित भोजनालयों के लिए 'क्यूआर' कोड एसोसिएटेड निर्देश पर रोक लगाने से मंगलवार को मना कर दिया है और इस मार्ग पर सभी होटलों के संबंध में निर्देश दिए गए हैं कि वे वैधानिक दस्तावेजों के दस्तावेजों को अपना लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र दिखा सकते हैं।
एएम एम सुंदरेश एंड ग्रान्टेंट एन कोटिस्वर सिंह पृन ने कहा कि वह होटल या ढाबा के मालिक का नाम और क्यूआर कोड चित्रित करने के अन्य तरीकों पर विचार नहीं कर रही है, क्योंकि मंगलवार को क्लासिक टूर का अंतिम दिन है।
पृष्ण ने कहा, ''हमें बताया गया है कि यात्रा का आज अंतिम दिन है... इसलिए इस स्तर पर हम केवल यह ऑर्डर जारी कर सकते हैं कि सभी संबंधित होटल मालिक वैधानिक आवश्यकता के लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र के अनुसार चित्रित करने के निर्देशों का पालन करेंगे।
शीर्ष अदालत ने शिक्षाविद अपूर्वानंद झा और अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान फैसला सुनाया।
हिंदू कैलेंडर के 'श्रावण' माह में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में गंगाजल लेकर विभिन्न स्थानों से मंदिर आते हैं। इस महीने में कई बच्चे मांसाहार से जुड़े होते हैं और कई लोग और लहसुन खाना भी नहीं खाते हैं।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में स्थित भोजनालयों के लिए 'क्यूआर' कोड एसोसिएटेड निर्देश पर रोक लगाने से इनकार करने वाले लोगों ने स्वागत किया है।
एएम एम सुंदरेश एंड ग्रान्टेंट एन कोटिस्वर सिंह पृन ने कहा कि वह होटल या ढाबा के मालिक का नाम और क्यूआर कोड दिखाने के लिए एसोसिएटेड अन्य स्टडीज पर विचार नहीं कर रही है, क्योंकि मिडिल क्लास टूर का अंतिम दिन है।
पिछले 23 वर्षों से नीलकंठ महादेव में गंगाजल निवाला कर रहे सरकारी अधिकारी रघुवीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह बहुत अच्छा आदेश है।
उन्होंने कहा, ''अब समुदाय के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा और सभी बिना किसी मित्र के साथ काम करेंगे।''
नेशनल हाईवे पर स्थित नीलक ढाबे के मालिक शराफत हुसैन ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस फैसले में कहा, ''हम पिछले 20 वर्षों से अपने ढाबे पर खाद्य लाइसेंस की याद दिलाते आ रहे हैं।
फूड ऑब्जर्वर राज हंस्रावि ने बताया कि सभी होटल और ढाबे पहले से ही इस लाइसेंस का पालन कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने लाइसेंस की प्रति अंदर ही चिपकाई है, बाहर नहीं।
उन्होंने कहा कि खाद्य विभाग के निर्देशों पर जब उन्होंने ढाबों के बाहर लाइसेंस की कच्ची चिपकाईं तो बारिश के कारण वे सभी बह गए इसलिए उन्हें फिर से तैयार करने के लिए कहा गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि यह केवल मुस्लिम ढाबे पर ही नहीं, बल्कि सभी ढाबों पर लागू होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में स्थित भोजनालयों के लिए 'क्यूआर' कोड एसोसिएटेड निर्देश पर रोक लगाने से मंगलवार को मना कर दिया है और इस मार्ग पर सभी होटलों के संबंध में निर्देश दिए गए हैं कि वे वैधानिक दस्तावेजों के दस्तावेजों को अपना लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र दिखा सकते हैं।
एएम एम सुंदरेश एंड ग्रान्टेंट एन कोटिस्वर सिंह पृन ने कहा कि वह होटल या ढाबा के मालिक का नाम और क्यूआर कोड चित्रित करने के अन्य तरीकों पर विचार नहीं कर रही है, क्योंकि मंगलवार को क्लासिक टूर का अंतिम दिन है।
पृष्ण ने कहा, ''हमें बताया गया है कि यात्रा का आज अंतिम दिन है... इसलिए इस स्तर पर हम केवल यह ऑर्डर जारी कर सकते हैं कि सभी संबंधित होटल मालिक वैधानिक आवश्यकता के लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र के अनुसार चित्रित करने के निर्देशों का पालन करेंगे।
शीर्ष अदालत ने शिक्षाविद अपूर्वानंद झा और अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान फैसला सुनाया।
हिंदू कैलेंडर के 'श्रावण' माह में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में गंगाजल लेकर विभिन्न स्थानों से मंदिर आते हैं। इस महीने में कई बच्चे मांसाहार से जुड़े होते हैं और कई लोग और लहसुन खाना भी नहीं खाते हैं।