उत्तरकाशी में फंसे 65 लोग बचाए गए, धराली में हवाई मार्ग से भेजने की तैयारी तेज

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 07-08-2025
65 people trapped in Uttarkashi were rescued, preparations are on to send advanced equipment to Dharali by air
65 people trapped in Uttarkashi were rescued, preparations are on to send advanced equipment to Dharali by air

 

देहरादून

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार को आई भीषण बाढ़ के बाद राहत और बचाव कार्य गुरुवार को तेज़ हो गया। अधिकारियों ने बताया कि जिले के विभिन्न स्थानों पर फंसे 65 लोगों को हेलीकॉप्टर से मातली पहुंचाया गया है।

साथ ही, धराली गांव में मलबे में दबे लोगों की तलाश को तेज करने के लिए उन्नत उपकरणों को हवाई मार्ग से वहां भेजने के प्रयास भी तेज कर दिए गए हैं।हालांकि प्रशासन की ओर से अभी तक लापता लोगों की आधिकारिक संख्या जारी नहीं की गई है, लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है कि सैकड़ों लोग मलबे में दबे हो सकते हैं।

बचाए गए 65 लोगों में तीर्थयात्री और पर्यटक शामिल हैं, जिन्हें अब बसों के ज़रिए उनके गंतव्य तक भेजा जा रहा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राहत कार्यों की निगरानी के लिए उत्तरकाशी में ही डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने बचाए गए लोगों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना।

ये तीर्थयात्री मंगलवार को गंगोत्री धाम की ओर जाते समय रास्ते में फंस गए थे। उन्होंने सेना, राज्य सरकार और स्थानीय लोगों को आश्रय देने और हर संभव सहायता करने के लिए धन्यवाद दिया।

बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, आईटीबीपी, पुलिस और अन्य एजेंसियां जुटी हुई हैं।एसडीआरएफ के महानिरीक्षक अरुण मोहन जोशी ने कहा,"हमारी पहली प्राथमिकता धराली में उन्नत उपकरण हवाई मार्ग से पहुंचाना है। हमारी टीमें बुधवार को उपकरण लेकर निकली थीं लेकिन सड़क मार्ग बाधित होने के कारण आगे नहीं बढ़ सकीं।"

जोशी ने बताया कि धराली में 50 से 60 फुट ऊंचे मलबे के ढेर हैं और संभव है कि लापता लोग इनके नीचे फंसे हों।भूस्खलन के कारण धराली को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग बंद हो गए हैं। मंगलवार को आए बाढ़ के प्रचंड प्रवाह में कई घर और वाहन बह गए।धराली गंगोत्री मार्ग पर स्थित एक प्रमुख पड़ाव है, जहां कई होटल और होमस्टे बने हुए हैं।

जोशी ने यह भी कहा कि दूसरी प्राथमिकता सड़कों के बंद होने से विभिन्न स्थानों पर फंसे 300-400 तीर्थयात्रियों को निकालना है।उन्होंने बताया कि मलबे में दबे लोगों की तलाश के लिए ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार और खोजी कुत्तों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।

मंगलवार की आपदा के समय वहां कई होटल निर्माणाधीन थे, साथ ही सेब के बागानों में काम कर रहे मजदूरों के भी लापता होने की आशंका है।

पास के हर्षिल में सेना के एक शिविर से 11 जवान भी लापता हैं।बचावकर्मियों ने बुधवार को दो शव बरामद किए हैं। प्रशासन ने लोगों से संवेदनशील क्षेत्रों की यात्रा से बचने की अपील की है।