ऐसे समय में जब उत्तरकाशी कुछ समय पहले साम्प्रदायिक तनावों को लेकर चर्चा में था—जहां कुछ मुस्लिम परिवारों को 'देवभूमि' कहकर पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा था और प्रेम संबंधों को लेकर भी हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद सामने आए थे—अब वही क्षेत्र मानवीय एकजुटता की मिसाल बन रहा है.
इस आपदा के बाद दोनों समुदायों ने आपसी मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं. इसका एक बड़ा उदाहरण देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों में से एक, जमात-ए-इस्लामी हिंद के हालिया कदम के रूप में देखा जा सकता है.
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने उत्तरकाशी में आई त्रासदी को लेकर गहरा दुख और चिंता व्यक्त की है. संगठन के उपाध्यक्ष प्रो. सलीम इंजीनियर ने सोशल मीडिया के माध्यम से एक बयान जारी करते हुए कहा कि यह आपदा हम सभी के लिए एक मानवीय संकट है और इसमें हमें एकजुट होकर काम करना होगा.
उन्होंने कहा कि धराली गांव में आई इस बाढ़ ने जो तबाही मचाई है, वह बेहद दुखद और चिंताजनक है. कई परिवारों के आशियाने उजड़ गए हैं, जानें गई हैं, और सैकड़ों लोग अभी भी लापता हो सकते हैं. उन्होंने यह भी चेताया कि मौसम विभाग द्वारा आगामी दिनों में और अधिक भारी बारिश की संभावना जताई गई है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है.
प्रो. सलीम इंजीनियर ने केंद्र और राज्य सरकार से अपील की है कि वे त्वरित, समन्वित और प्रभावी ढंग से राहत, बचाव और पुनर्वास कार्यों को अंजाम दें. उन्होंने सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों की तत्परता की सराहना करते हुए कहा कि इस समय हर क्षण कीमती है और लापता लोगों को तलाशने तथा बेघर लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के प्रयासों को तेज करना बेहद जरूरी है.
संगठन ने यह भी ऐलान किया कि जमात के स्वयंसेवक और उनसे जुड़े सहयोगी समूह राहत और बचाव कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेने को तैयार हैं. वे स्थानीय प्रशासन और नागरिक समाज संगठनों के साथ समन्वय बनाकर काम करेंगे ताकि पीड़ितों को समय पर मदद मिल सके.
जमात ने देशवासियों से भी इस कठिन घड़ी में उत्तरकाशी के लोगों के साथ खड़े होने की अपील की है. उन्होंने कहा कि यह समय राजनीति या धार्मिक भेदभाव का नहीं, बल्कि इंसानियत का है. हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह जहाँ तक संभव हो, किसी न किसी रूप में सहायता करे—चाहे वह दान हो, वालंटियर के रूप में सेवा हो या सिर्फ संवेदना और समर्थन ही क्यों न हो.
उत्तरकाशी की यह भयावह आपदा एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि संकट के समय मानवता सबसे बड़ी ताकत होती है. जिस ज़िले में कुछ हफ्ते पहले तक साम्प्रदायिक दरारें गहराई से महसूस की जा रही थीं, वहीं आज लोग एक-दूसरे का हाथ थामकर राहत कार्यों में जुटे हुए हैं.
यह न केवल उत्तरकाशी के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक सकारात्मक संदेश है—कि जब संकट सामने हो, तो धर्म, जाति या समुदाय नहीं, बल्कि इंसानियत सबसे ऊपर होती है.
We express deep concern and grief over the tragic loss of lives and widespread destruction caused by the cloudburst and subsequent flash floods in Uttarkashi, Uttarakhand. The devastating flash floods triggered by a cloudburst in Dharali village have led to immense destruction,… pic.twitter.com/kCfrEb3EJS
— Jamaat-e-Islami Hind (@JIHMarkaz) August 5, 2025