आवाज द वाॅयस/नई दिल्ली
फ़िलिस्तीन की धरती पर लगातार हो रहे नरसंहार और मानवीय संकट ने पूरी दुनिया की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है. ऐसे में भारत के प्रमुख धार्मिक, सामाजिक और सामुदायिक रहनुमाओं ने एकजुट होकर फ़िलिस्तीन के उत्पीड़ित लोगों के साथ सामूहिक ऐक्य प्रकट करने का फैसला किया है. इस उद्देश्य से 22 अगस्त 2025 (शुक्रवार) को अपराह्न 3 बजे जंतर-मंतर, नई दिल्ली पर शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा.
इस सामूहिक अपील में इज़रायल द्वारा बढ़ते आक्रमणों और निर्दोष लोगों पर ढाए जा रहे जुल्मो-सितम पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है. अपीलकर्ताओं ने कहा है कि हाल के दिनों में जिस तरह से हजारों फ़िलिस्तीनी पुरुष, महिलाएं और मासूम बच्चे शहीद या गंभीर रूप से घायल हुए हैं, वह न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन है बल्कि मानवता पर सीधा हमला है.
रहनुमाओं का कहना है कि यह संघर्ष केवल फ़िलिस्तीन का नहीं, बल्कि इंसाफ़ और इंसानियत का है. ऐसे में दुनिया के हर ज़िम्मेदार नागरिक का नैतिक दायित्व बनता है कि वह उत्पीड़ितों के पक्ष में अपनी आवाज़ बुलंद करे. भारतीय धार्मिक नेताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि विरोध दर्ज कराना और वैश्विक समुदाय की अंतरात्मा को जगाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है.
शांतिपूर्ण विरोध का संकल्प
संयुक्त अपील में स्पष्ट किया गया है कि 22 अगस्त को होने वाला धरना-प्रदर्शन पूर्णतः शांतिपूर्ण होगा. इसका मकसद न केवल फ़िलिस्तीनी अवाम के साथ एकजुटता दिखाना है, बल्कि दुनिया को यह संदेश देना भी है कि भारत शांति, न्याय और भाईचारे का पक्षधर है.
नेताओं ने कहा कि जंतर-मंतर पर होने वाला यह सामूहिक प्रदर्शन विभिन्न विचारधाराओं, सामाजिक संगठनों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक प्रतिनिधियों की उपस्थिति का साक्षी बनेगा. इस मंच से उठने वाली आवाज़ केवल भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर शांति और इंसाफ़ की पुकार होगी.
हमारा कर्तव्य है कि हम आवाज़ उठाएं
अपील में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि फ़िलिस्तीन के समर्थन में खड़ा होना केवल राजनीतिक क़दम नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और नैतिक जिम्मेदारी भी है. मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि फ़िलिस्तीन के लोगों पर हो रहे जुल्म पर खामोशी अख़्तियार करना इंसाफ़ के साथ गद्दारी होगी. वहीं जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि “आज यदि हमने आवाज़ नहीं उठाई तो कल पूरी इंसानियत हमें माफ़ नहीं करेगी.”
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपील करते हुए कहा कि भारत जैसे देश, जिसने हमेशा शांति और सह-अस्तित्व का संदेश दिया है, को उत्पीड़ितों के साथ खड़े होने की परंपरा को आगे बढ़ाना चाहिए.
अपील पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख रहनुमा
इस संयुक्त अपील पर देश के अनेक प्रभावशाली नेताओं और विद्वानों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें शामिल हैं —
मौलाना अरशद मदनी, अध्यक्ष, जमीयत उलमा-ए-हिंद
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, अध्यक्ष, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी, अमीर, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद
मौलाना अली असगर इमाम मेहदी, अमीर, मरकज़ी जमीयत अहल-ए-हदीस
मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, महासचिव, जमीयत उलमा-ए-हिंद
मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी, अमीर-ए-शरीयत, इमारत-ए-शरिया (बिहार, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल)
मुफ़्ती मुकर्रम अहमद, इमाम, शाही जामा मस्जिद, फ़तेहपुरी
मौलाना उबैदुल्लाह खान आज़मी, पूर्व सांसद (राज्यसभा)
मलिक मोतसिम खान, उपाध्यक्ष, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद
डॉ. मोहम्मद मंज़ूर आलम, महासचिव, ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल
डॉ. ज़फ़रुल इस्लाम खान, पूर्व अध्यक्ष, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग
अब्दुल हफीज, अध्यक्ष, एसआईओ ऑफ इंडिया
मौलाना मोहसिन तक़वी, प्रमुख शिया विद्वान और उपदेशक
प्रो. अख़्तरुल वासे, पूर्व कुलपति
प्रदर्शन का व्यापक संदेश
अपीलकर्ताओं ने जनता से आग्रह किया है कि वे बड़ी संख्या में इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भाग लें. अपनी मौजूदगी से यह साबित करें कि भारत हमेशा इंसाफ़ और इंसानियत की आवाज़ के साथ खड़ा रहेगा.
इस ऐतिहासिक मौके पर जंतर-मंतर से उठने वाली यह सामूहिक आवाज़ न सिर्फ़ फ़िलिस्तीनियों के जख्मों पर मरहम का काम करेगी, बल्कि पूरी दुनिया को यह याद भी दिलाएगी कि अन्याय के खिलाफ़ खामोशी भी एक अपराध है.