बंटवारे के कारण जिन्ना और गांधी के बीच फंसे बदहाल पाकिस्तानी दिखेंगे ‘साढ़े 14 अगस्त’ में

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 03-02-2023
बंटवारे के कारण जिन्ना और गांधी के बीच फंसे बदहाल पाकिस्तानी दिखंेगे ‘साढ़े 14 अगस्त’ में
बंटवारे के कारण जिन्ना और गांधी के बीच फंसे बदहाल पाकिस्तानी दिखंेगे ‘साढ़े 14 अगस्त’ में

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली / लाहौर

देश जब पटरी से उतर जाए तो कलाकारों को आगे आना पड़ता है. कुछ ऐसा ही अब पाकिस्तान में दिखने लगा है.भारत के विभाजन के बाद पड़ोसी देश पाकिस्तान की निरंतर बदतर होती स्थिति पर कटाक्ष करने वाला डॉक्टर अनवर मकसूद का व्यंगात्मक नाटक ‘साढ़े 14 अगस्त’ का अंतिम भाग लाहौर के अलहमरा कला परिषद में प्रदर्शन के लिए तैयार है.

प्रख्यात नाटककार अनवर मकसूद का प्रसिद्ध नाटक ‘साढ़े 14 अगस्त’ की अंतिम कड़ी 27 फरवरी से 22 मार्च तक दिखाया जाएगा.
 
इस नाटक में भारत के बंटवारे में अहम किरदार निभाने वाले पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना और महात्मा गांधी के बीच फंसी बदहाल पाकिस्तानी आवाम की परेशानी दिखाई गई, वहीं यह बताने की कोशिश की गई है कि पाकिस्तान को अभी पूर्ण आजादी मिलनी बाकी है. कई मायने में भारत के कुछ मुद्दों को लेकर भी यही बात नाटक में दर्शाने का प्रयास है.
 
इस बारे में  निर्देशक दावर महमूद, अभिनेता साजिद हसन और अलहमरा कला परिषद के निदेशक जुल्फिकार अली जुल्फी कहते हैं कि अनवर मकसूद की प्रसिद्ध कृति ‘साढ़े 14 अगस्त’ का मंचन 27 फरवरी से 22 मार्च तक किए जाने से एक तरह से पाकिस्तान के नाटक युग की  वापसी भी हो रही है. 
 
उन्होंने कहा कि नाटक पाकिस्तान के समकालीन सामाजिक सरोकारों पर प्रकाश डालता है.उन्होंने कहा कि नाटक के मुख्य पात्र कायदे आजम मुहम्मद अली जिन्ना और महात्मा गांधी है. अनवर मकसूद भी इसमें अदाकारी कर रहे हैं, जो दोनों के बीच फंसे आम पाकिस्तानी का किरदार निभाएंगे. उन्हांेने यह भी दावा किया कि अनवर मकसूद के प्रयासों से युवा पीढ़ी थिएटर की ओर आकर्षित हो रही है.
 
कुछ बातें नाटक ‘साढे़ 14 अगस्त’ के बार में

इस नाटक को अनवर मकसूद की आइकोनिक रचना बताई जा रही है. यह 10 साल पहले पाकिस्तान की बदहाल स्थिति को देखते हुए लिखी गई थी. कहते हैं कि पाकिस्तान में जब इमरान खान की सरकार आई तो उम्मीद से भरी पाकिस्तानी जनता को लगा कि अब उन्हें पूर्ण आजादी मिल गई, इसलिए अनवर मकसूद नाटक का आखरी भाग ‘15 अगस्त‘ लिखेंगे, पर ऐसा नहीं हुआ.
 
उनका यह नाटक कॉपीकैट्स प्रोडक्शन का एक प्रोडक्शन है. यह संस्था 2007 से गुणवत्ता वाले उर्दू थिएटर करता आ रहा है. इसमें व्यंग और हंसी की भरमार है. इस्लामाबाद और कराची में अब तक इसकेसफलतापूर्वक 100 शो हो चुके हैं.पाकिस्तान की कला परिषद के अध्यक्ष एम. अहमद शाह ने कहा कि नाटक के पहले प्रदर्शन से लेकर आखिरी प्रदर्शन तक दर्शकों से खूब प्यार मिला.
 
भारत में भी समान रूप से चर्चित पाकिस्तानी नाटक कार अनवर मकसूद कहते हैं, देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर नाटक का अंतिम भाग आया है. वैसे तो यह पिछले साल 15 अगस्त को ही दिखाया जा चुका है, पर लोगों के प्यार को देखते हुए इसके शोज लाहौर में आयोजित किए जा रहे हैं. इसको लेकर एक छोटा टीजर भी जारी किया गया.
 
उन्होंने बताया कि  इसमें जिन्ना और गांधी को एक बेंच पर कैद करने की कोशिश की गई है. अनवर फोटोग्राफर का किरदार निभा रहे हैं. इसमें संवदाद के माध्यम से ब्रिटिश सरकार और भारत के विभाजन पर चर्चा की गई है.
 
एक इंटरव्यू का हवाला देते हुए अनवर मकसदू कहते हैं, “किसी ने मुझसे पूछा कि इसका क्या मतलब है, 14 अगस्त क्यों नहीं? मैंने जवाब दिया मैं 14 अगस्त का इंतजार कर रहा हूं. जब भी 14 अगस्त आएगा सही मायने में, मैं उस शीर्षक के साथ एक नाटक करूंगा. सभी ने सोचा कि इमरान खान के सत्ता में आने के बाद मैं ’14 अगस्त’ लिखूंगा, पर ऐसा नहीं हुआ.
 
उन्होंने कहा, “नाटक में एक आदमी कायद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना और गांधी के खिलाफ मामला दायर करता है कि भारत जैसे विशाल देश के बंटवारे के लिए कौन जिम्मेदार है ? 
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कौन हैं अनवर मकसूद

टीवी सीरियल ‘लूज टॉक’ से चर्चित अनवर मकसूद पाकिस्तान के प्रसिद्ध लेखकों, उपन्यासकारों और खाना पकाने के विशेषज्ञों में शुमार किए जाते हैं. वह 1950 के दशक से नाटक, उपन्यास लिख रहे हैं. अपना टेलीविजन करियर शुरू करने से पहले, वह  पेंटिंग किया करते थे. 1958 में उन्होंने पहली बार अपने चित्रों को प्रदर्शित लगाई.
 
वह 1970 से टेलीविजन से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कई शो होस्ट और स्क्रिप्ट किए हैं.  उनकी पत्नी इमरान मकसूद भी उतनी ही प्रतिभाशाली उपन्यासकार हैं. 5ः5 फुट के इस लेखक को पाकिस्तान मेंहिलाल-ए इम्तियाज, लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा जा चुका है. 
 
उनका जन्म 7 सितंबर 1935 को हैदराबाद में हुआ था.उनकी एक बिलाल मकसूद और बेटी जहरा निगाह, फातिमा सुरैया बाजिया, जुबैदा तारिक, सारा नकवी, सुगरा काजमी हैं. उनकेप्रसिद्ध नाटकों 50ः50, आंगन तेरा, किस्सा निस्फ सादी का, हाफ प्लेट, नादान नादिया आदि शुमार हैं.
 
उनकी स्कूली शिक्षा भारत के गुलबर्ग ट्रस्ट स्कूल में  हुई थी. बंटवारे के बाद वे  परिवार समेत पाकिस्तान आ गए. प्रवास के बाद उनके परिवार को कई बाधाओं का सामना करना पड़ा. गरीबी के कारण उन्हें शिक्षा में नुकसान उठाना पड़ा. उन्हें अलग-अलग किताबें पढ़ने का बहुत शौक है. अंग्रेजी साहित्य में स्नातक हैं.
 
उनकी दूसरी बहन जहरा  भी उर्दू पटकथा लेखक और कवयित्री हैं. उनकी छोटी बहन जुबैदा तारिक पाकिस्तान की प्रसिद्ध खाना विशेषज्ञ रही हैं. उनका निधन हो चुका है. उनकी बेटी अर्जुमंद रहीम एक उल्लेखनीय पाकिस्तानी टेलीविजन अभिनेत्री हैं.
 
उन्होंने कई टीवी शो लिखे हैं, जिनमें हाफ प्लेट, शो टाइम, फिफ्टी फिफ्टी आदि शामिल हैं. शो लूज टॉक  दुनिया भर में 300 से अधिक चैनलों पर प्रसारित हो चुका है.