Our Prime Minister put Kautilya's philosophy into practice: Vice President Dhankhar
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और महान रणनीतिकार और अर्थशास्त्र के लेखक कौटिल्य (चाणक्य) के प्राचीन ज्ञान के बीच एक अद्भुत समानता दर्शाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कौटिल्य के दर्शन को व्यवहार में उतारा है. सार्वजनिक मंच पर बोलते हुए धनखड़ ने कहा, "हमारे प्रधानमंत्री ने कौटिल्य के दर्शन को व्यवहार में उतारा है.
कौटिल्य की विचार प्रक्रिया शासन के हर पहलू के लिए एक तरह का ग्रंथ है- शासन कला, सुरक्षा, राजा की भूमिका- अब निर्वाचित लोग. बदलते गठबंधनों की हमारी बहुध्रुवीय दुनिया में." "हमारे पास एक अवधारणा थी- रातों-रात बदल जाने वाली अवधारणा. गठबंधनों के साथ भी यही देखा जा सकता है.
कौटिल्य ने तब कल्पना की थी कि यह हमेशा बदलता रहेगा. मैं कौटिल्य को उद्धृत करना चाहूंगा: 'पड़ोसी राज्य दुश्मन है और दुश्मन का दुश्मन दोस्त है.' भारत से बेहतर कौन सा देश जानता है? हम हमेशा वैश्विक शांति, वैश्विक बंधुत्व और वैश्विक कल्याण में विश्वास करते हैं," उन्होंने कहा. नई दिल्ली में इंडिया फाउंडेशन के कौटिल्य फेलो के साथ बातचीत करते हुए, धनखड़ ने कहा, "हमारे प्रधानमंत्री, एक महान दूरदर्शी, बड़े पैमाने पर विश्वास करते हैं. वह बड़े पैमाने पर परिवर्तन में विश्वास करते हैं. और एक दशक के शासन के बाद, परिणाम दीवार पर लिखे हैं. यह कई दशकों के लंबे अंतराल के बाद है, कि हमारे पास लगातार तीसरे कार्यकाल में एक प्रधानमंत्री है. और यही सब फर्क पैदा कर रहा है."
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कौटिल्य का एक बड़ा जोर था, "लोकतंत्र में भागीदारी होनी चाहिए; विकास में भी समान रूप से भागीदारी होनी चाहिए. उन्होंने राष्ट्रीय कल्याण के लिए व्यक्तियों के योगदान पर बहुत जोर दिया. एक राष्ट्र की पहचान शिष्टाचार, अनुशासन से होती है - जो स्वभाव से व्यक्तिवादी है. इसी तरह, मैं कौटिल्य को उद्धृत करता हूं: 'जिस तरह एक पहिया अकेले गाड़ी को नहीं चला सकता'..... प्रशासन अकेले पूरा नहीं किया जा सकता."
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि समकालीन शासन में यह लोकाचार किस तरह से परिलक्षित होता है, "इस देश में एक प्रशासन है जो अभिनव है. देश में, हमारे कुछ जिले ऐसे थे जो पिछड़े हुए थे. नौकरशाह उन क्षेत्रों में नहीं जाते थे. प्रधानमंत्री मोदी ने उन जिलों के लिए एक नामकरण बनाया: 'आकांक्षी जिले'. और अब, वे 'आकांक्षी जिले' विकास में अग्रणी जिले बन गए हैं. प्रधानमंत्री मोदी को अचानक लगा कि लोग महानगरों में जा रहे हैं. टियर 2, टियर 3 शहरों को भी आर्थिक गतिविधि का केंद्र होना चाहिए. उन्होंने स्मार्ट शहरों की एक प्रणाली तैयार की.
स्मार्ट शहर बुनियादी ढांचे या सुंदरता के संदर्भ में नहीं थे. यह उद्यमियों, छात्रों के लिए उपलब्ध सुविधाओं के संदर्भ में थे." सत्ता और शासन के मूलभूत सिद्धांतों पर विचार करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, "शक्ति सीमाओं से परिभाषित होती है. लोकतंत्र तब पोषित होता है जब हम सत्ता की सीमाओं के प्रति सचेत रहते हैं. यदि आप कौटिल्य के दर्शन में गहराई से जाते हैं, तो आप पाएंगे कि यह सब केवल एक सार, शासन के अमृत - लोगों के कल्याण पर केंद्रित है." कौटिल्य के अर्थशास्त्र का हवाला देते हुए धनखड़ ने कहा, "कौटिल्य ने कहा था, 'राजा की खुशी उसकी प्रजा की खुशी में निहित है.'
अगर आप किसी लोकतांत्रिक देश के संविधान को देखें, तो आप पाएंगे कि यह दर्शन लोकतांत्रिक शासन और लोकतांत्रिक मूल्यों की अंतर्निहित भावना और सार है." भारत के सभ्यतागत लोकाचार पर चिंतन करते हुए, उपराष्ट्रपति ने टिप्पणी की, "लोकतंत्र सबसे बेहतर तरीके से तब विकसित होता है जब अभिव्यक्ति और संवाद एक दूसरे के पूरक होते हैं. यही बात लोकतंत्र को किसी भी अन्य शासन प्रणाली से अलग करती है. और भारत में, लोकतंत्र हमारे संविधान के लागू होने या विदेशी शासन से स्वतंत्र होने के साथ शुरू नहीं हुआ. हम हजारों वर्षों से आत्मा में एक लोकतांत्रिक राष्ट्र रहे हैं. और यह अभिव्यक्ति और संवाद, पूरक तंत्र - अभिव्यक्ति, वाद विवाद - वैदिक संस्कृति में अनंत वाद के रूप में जाना जाता है."