अरियालुर (तमिलनाडु)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु के अरियालुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को 'ऑपरेशन सिंदूर' ने पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया है। यह सैन्य अभियान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में 7 मई को शुरू किया गया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी।
प्रधानमंत्री ने कहा,
"आज का भारत अपनी सुरक्षा को सर्वोपरि मानता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने देखा कि यदि कोई भारत की संप्रभुता और सुरक्षा पर हमला करता है, तो भारत उसी की भाषा में जवाब देना जानता है। यह ऑपरेशन दुनिया को यह संदेश देने में सफल रहा है कि भारत के दुश्मनों और आतंकवादियों के लिए अब दुनिया में कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं बचा है।"
उन्होंने कहा,
"ऑपरेशन सिंदूर ने पूरे देश में एक नई ऊर्जा का संचार किया है और लोगों में आत्मविश्वास की भावना को और मजबूत किया है। इसने दुनिया को भारत की ताकत और अडिग संकल्प को मानने के लिए मजबूर किया है।"
प्रधानमंत्री मोदी 'आदि तिरुवादिरै' महोत्सव के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे, जो महान चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती पर गंगैकोंडा चोलपुरम मंदिर में आयोजित हुआ। इस अवसर पर उन्होंने पारंपरिक तमिल वेशभूषा – सफेद वेष्ठी, सफेद कमीज और अंगवस्त्रम धारण किया और राजेंद्र चोल प्रथम की स्मृति में एक स्मृति सिक्का भी जारी किया।
प्रधानमंत्री ने कहा,
“अगर हमें ‘विकसित भारत’ बनाना है तो हमें चोल साम्राज्य की शक्ति, विशेष रूप से उनकी नौसेना और प्रशासनिक व्यवस्था से प्रेरणा लेनी होगी। चोल साम्राज्य विकसित भारत का प्राचीन रोडमैप है।”
उन्होंने आगे कहा,
“आज भारत 'विकास भी, विरासत भी' की भावना को अपनाकर आगे बढ़ रहा है। बीते 10 वर्षों में हमने भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और संजोने के लिए मिशन मोड में काम किया है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि चोल राजाओं ने भारत को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोया और आज उनकी सरकार भी इसी दृष्टिकोण को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने ‘काशी-तमिल संगमम्’ और ‘सौराष्ट्र-तमिल संगमम्’ जैसे अभियानों का ज़िक्र किया, जो देश की सांस्कृतिक एकता को मजबूत कर रहे हैं।
राजेंद्र चोल के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा,
“राजराजा चोल ने जिस नौसेना की नींव रखी, उसे राजेंद्र चोल ने और भी सशक्त बनाया। उनके शासनकाल में आर्थिक और सैन्य क्षेत्रों में भारत ने जो ऊंचाइयां हासिल कीं, वे आज भी हमें प्रेरित करती हैं। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को मजबूत किया और एक प्रभावशाली राजकोषीय व्यवस्था लागू की।”
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने प्रसिद्ध गंगैकोंडा चोलपुरम मंदिर में पूजा-अर्चना की, जहां उन्हें स्थानीय पंडितों ने स्वागत किया। इससे पहले दिन में उन्होंने तिरुचिरापल्ली ज़िले में भव्य रोड शो भी किया, जहां आम जनता ने उनका जोरदार स्वागत किया।
गौरतलब है कि यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और अपनी भव्य मूर्तिकला, चोल कांस्य प्रतिमाओं और प्राचीन शिलालेखों के लिए प्रसिद्ध है। ‘आदि तिरुवादिरै’ उत्सव तमिल शैव भक्ति परंपरा का प्रतीक है, जिसे चोल राजाओं ने बढ़ावा दिया और जिसे 63 नायनमार संतों ने अमर किया। राजेंद्र चोल का जन्म नक्षत्र, तिरुवादिरै (आर्द्रा), 23 जुलाई से शुरू होता है, जिससे इस वर्ष का उत्सव और भी विशेष बन गया है।