सावन में शिवभक्तों का सच्चा सेवक बना खुर्रम सिद्दीक़ी

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 27-07-2025
Khurram Siddiqui became an example of humanity in Sawan, Muslim youth engaged in serving Shiva devotees
Khurram Siddiqui became an example of humanity in Sawan, Muslim youth engaged in serving Shiva devotees

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 
 
धर्म और आस्था के नाम पर जहाँ अक्सर समाज में मतभेद की खबरें सुनने को मिलती हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने कर्मों से यह साबित करते हैं कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है. ऐसी ही एक मिसाल पेश की है खुर्रम सिद्दीक़ी ने, जो सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव के भक्तों की तन-मन-धन से सेवा कर रहे हैं.
 
 
 
खुर्रम सिद्दीक़ी एक मुस्लिम युवक हैं, लेकिन उनके कार्यों में मजहबी सीमाएं कहीं आड़े नहीं आईं. वे कांवड़ यात्रा पर निकले शिवभक्तों को न सिर्फ भोजन और पानी उपलब्ध करा रहे हैं, बल्कि उनके लिए अस्थायी आश्रय और दवाओं की व्यवस्था भी कर रहे हैं. खुर्रम ने अपनी टीम के साथ मिलकर हाईवे पर विश्राम स्थल बनाए हैं जहाँ थके हुए शिवभक्त ठहरकर आराम कर सकते हैं और मेडिकल सहायता ले सकते हैं. खुर्रम का कहना है, "मजहब इंसानियत से ऊपर नहीं है. 
 
ये लोग भगवान शिव के भक्त हैं, और हमारे लिए ये सौभाग्य की बात है कि हमें इनकी सेवा का मौका मिल रहा है." खास बात यह है कि खुर्रम अकेले नहीं हैं. सोशल मीडिया पर कई मुस्लिम युवाओं की रील्स और वीडियो सामने आ रही हैं, जिनमें वे शिवभक्तों को रास्ते में खाना खिलाते, पानी पिलाते और उन्हें छांव में बैठाते दिख रहे हैं. ये वीडियो अब लाखों लोगों तक पहुँच चुके हैं और इंटरनेट पर जमकर सराहे जा रहे हैं.
 
 
 
कई मुस्लिम स्वयंसेवकों ने अपने खर्च पर टेंट लगाए हैं, जहाँ शिवभक्तों के लिए ठंडा पानी, प्राथमिक चिकित्सा, फल और आराम करने के लिए चारपाइयाँ रखी गई हैं. कुछ स्थानों पर मुस्लिम महिलाएं भी शिवभक्तों को शरबत और प्रसाद बांटती नजर आ रही हैं.
 
इस सेवा भावना को देखकर आमजन भी भावुक हो रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोग इन मुस्लिम युवाओं की तारीफ करते हुए कह रहे हैं कि यही असली भारत है — जहाँ धर्म नहीं, कर्म की पूजा होती है.
 
 
 
 
सामाजिक कार्यकर्ता और धर्मनिरपेक्षता के समर्थक खुर्रम जैसे युवाओं की यह पहल आज के समय में एक मजबूत संदेश देती है — कि जब हम एक-दूसरे के धर्म और भावनाओं का सम्मान करते हैं, तभी सच्चे मायनों में भारत एकजुट रह सकता है.
 
यह कहानी न केवल भाईचारे का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारत की आत्मा अब भी जीवित है — जहाँ इंसान, पहले इंसान है, फिर कुछ और. "हर हर महादेव" की गूंज के बीच जब कोई "सलाम" करता हाथ थाम ले, तो समझ लीजिए कि मानवता अब भी ज़िंदा है.