आवाज़ द वॉयस/नई दिल्ली
राजकुमार हिरानी की आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘पीके’ जब 2014 में रिलीज़ हुई, तो इसने सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़े ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्थाओं, सामाजिक मान्यताओं और इंसानी तर्क पर बहस की एक नई लहर भी छेड़ दी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह वही कहानी नहीं थी जो सबसे पहले लिखी गई थी? बल्कि, इस चर्चित फिल्म की पटकथा दो बार पूरी तरह बदली गई थी, और हर बार इसकी वजह थी एक बड़ी रचनात्मक और नैतिक चुनौती.
एक इंटरव्यू में खुद आमिर खान ने इस बात का खुलासा किया कि फिल्म की शुरुआती स्क्रिप्ट में मुख्य पात्र (यानी एलियन, जो बाद में 'पीके' बना) एक ऐसा किरदार था जो लोगों के विचारों को बदलने की अद्भुत शक्ति रखता था. राजकुमार हिरानी और लेखक अभिजात जोशी ने इस कॉन्सेप्ट पर पूरे डेढ़ साल तक काम किया.
मगर जब उन्होंने इस कहानी पर गहराई से नजर डाली, तो उन्हें महसूस हुआ कि यह कथानक किसी हद तक क्रिस्टोफर नोलन की चर्चित हॉलीवुड फिल्म 'Inception' (2010) से मिलता-जुलता है.
यह बात केवल शैली या शैलीगत समानता की नहीं थी, बल्कि विषयगत संरचना में भी कुछ हद तक समानता थी. हिरानी और आमिर जैसे कलाकार नहीं चाहते थे कि इतनी मेहनत से तैयार किया गया प्रोजेक्ट किसी तरह के कॉपीकैट या साहित्यिक चोरी के विवाद में फंसे. लिहाज़ा, उन्होंने यह पूरी कहानी छोड़ दी और नई शुरुआत की.
दूसरी बार जो कहानी लिखी गई, उसमें मुख्य पात्र ईश्वर की खोज में भटकता है, और उसे न पाने पर अदालत में मुकदमा दायर करता है. यह कथानक न केवल अलग था बल्कि गहराई और व्यंग्य से भी भरपूर था.
लेकिन इसी बीच 'ओह माई गॉड' नाम की एक फिल्म की घोषणा हुई, जिसमें अक्षय कुमार और परेश रावल जैसे सितारे थे और जिसकी कहानी भी धार्मिक आस्था और भगवान को कोर्ट में घसीटने के इर्द-गिर्द थी.
हिरानी और उनकी टीम ने दोबारा रचनात्मक और नैतिक फैसला लिया.इस बार भी कहानी को फिर से गढ़ना पड़ा.
तीसरी बार जो स्क्रिप्ट बनी, वही आज हम सबकी जानी-पहचानी ‘पीके’ है.एक एलियन की मासूम नज़रों से मानव समाज की बेतुकी धार्मिक रस्मों, पाखंड और आत्मवंचना को देखने वाली कहानी.
इस फिल्म में आमिर खान के साथ सुशांत सिंह राजपूत और अनुष्का शर्मा की शानदार अदाकारी भी देखने को मिली, जिसने फिल्म को एक गंभीर लेकिन मनोरंजक सामाजिक व्यंग्य बना दिया..
‘पीके’ की सफलता इस बात का प्रमाण है कि सिर्फ अच्छा विचार ही काफी नहीं होता, उसे ईमानदारी, सृजनात्मकता और संवेदनशीलता से भी गढ़ना पड़ता है.
दो बार पटकथा को पूरी तरह त्यागना कोई आसान फैसला नहीं था, लेकिन यही निर्णय फिल्म को एक गूढ़ व्यंग्यात्मक क्लासिक बना गया.
अब आगे क्या ? आमिर के अपकमिंग प्रोजेक्ट्स पर एक नजर
‘पीके’ के बाद आमिर खान ने चुनिंदा और संजीदा प्रोजेक्ट्स की राह पकड़ी. वर्तमान में उनके पास एक के बाद एक बड़े और दिलचस्प प्रोजेक्ट्स की लंबी सूची है, जिनमें से कई अब भी चर्चा के स्तर पर हैं.
1. सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ कॉमेडी फिल्म में संभावित एंट्री:
राज शांडिल्य, जिन्होंने 'ड्रीम गर्ल' जैसी सफल फिल्म का निर्देशन किया, अब आमिर खान को लेकर एक नई कॉमेडी एंटरटेनर प्लान कर रहे हैं. इस फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा मुख्य भूमिका निभा रहे हैं और आमिर खान इसमें एक स्पेशल मज़ेदार रोल में नजर आ सकते हैं. स्क्रिप्ट सुनने के लिए आमिर राज़ी हुए , और अगर उन्हें स्क्रिप्ट पसंद आती है, तो फिल्म की शूटिंग सितंबर से शुरू हो सकती है.
2. 'लाहौर 1947' में एक छोटा लेकिन अहम किरदार
राजकुमार संतोषी के निर्देशन में और सनी देओल की मुख्य भूमिका में बन रही फिल्म 'लाहौर 1947' में आमिर ने 12 दिनों तक शूटिंग की है. यह एक कैमियो है, लेकिन निर्देशक का कहना है कि यह फिल्म की कहानी के लिए बेहद निर्णायक भूमिका है. आमिर का यह रोल छोटा जरूर है, पर गहराई से भरा हुआ है.
3. रजनीकांत की 'कुली' में भी दिखाई देंगे आमिर
दक्षिण भारत की स्टार-स्टडेड फिल्म 'कुली', जिसमें रजनीकांत, नागार्जुन और उपेंद्र जैसे दिग्गज हैं, उसमें भी आमिर एक कैमियो भूमिका निभाते नज़र आएंगे. उपेंद्र ने हाल ही में यह पुष्टि की कि उन्होंने आमिर के साथ कुछ सीन्स शूट किए हैं. फैंस इस पैन-इंडिया सहयोग को लेकर बेहद उत्साहित हैं.
4. वामशी पैदिपल्ली के साथ संभावित नई फिल्म
आमिर खान इस समय तेलुगु निर्देशक वामशी पैदिपल्ली से बातचीत कर रहे हैं, जिन्होंने 'वारिसु' जैसी फिल्म बनाई थी. यह फिल्म अगर फाइनल होती है, तो इसका निर्माण श्री वेंकटेश्वर क्रिएशन्स द्वारा किया जाएगा. बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय सिनेमा के इस मेल को लेकर फैंस पहले से ही उत्साहित हैं.
5. दादा साहब फाल्के की बायोपिक में आमिर खान
एक बड़ी और गंभीर परियोजना के रूप में आमिर भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहब फाल्के पर आधारित बायोपिक में नजर आएंगे, जिसे एक बार फिर राजकुमार हिरानी निर्देशित करेंगे. इस फिल्म की पटकथा पर पिछले चार वर्षों से काम चल रहा है. ‘सितारे ज़मीन पर’ की रिलीज़ के बाद आमिर इस भूमिका की तैयारी शुरू करेंगे. फिल्म में प्राचीन सिनेमा तकनीकों को पुनः रचना के लिए इंटरनेशनल वीएफएक्स टीम्स को शामिल किया गया है.
एक सोच-समझकर चुना गया रास्ता
इन तमाम परियोजनाओं के बीच एक बात स्पष्ट है कि आमिर खान कोई भी फिल्म जल्दबाज़ी में नहीं करते. वह हर स्क्रिप्ट, हर किरदार को सोच-समझकर चुनते हैं और जब तक उन्हें यह यकीन न हो जाए कि यह कहानी कुछ नया कह रही है, वह हां नहीं करते. चाहे वह ‘लगान’ की ऐतिहासिक चुनौती हो, ‘तारे ज़मीन पर’ की संवेदनशीलता या फिर ‘पीके’ की आलोचना झेलने वाली लेकिन विचारोत्तेजक सामग्री—आमिर हर बार जोखिम लेते हैं, लेकिन रचनात्मक प्रतिबद्धता से समझौता नहीं करते.
जहाँ कुछ सितारे एक के बाद एक कई प्रोजेक्ट्स साइन कर लेते हैं, वहीं आमिर खान हर प्रोजेक्ट के साथ एक सामाजिक संवाद और वैचारिक मंथन खड़ा करने का प्रयास करते हैं. उनका अगला बड़ा कदम चाहे कैमियो हो या बायोपिक—हर बार दर्शक यह उम्मीद करते हैं कि वह कुछ हटकर और कुछ सोचने पर मजबूर करने वाला लेकर आएँगे.
'पीके' की कहानी का दो बार बदलना केवल एक फिल्म निर्माण की प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदार कलाकार की सोच और ईमानदारी का भी उदाहरण है. आमिर खान की यही समझ, उनका यही चयन और यही दृष्टिकोण उन्हें बाक़ी अभिनेताओं से अलग बनाता है. आज जब वे कैमियो से लेकर बायोपिक और कॉमेडी से लेकर क्रॉस-इंडस्ट्री प्रोजेक्ट्स तक में सक्रिय हैं, तब भी उनकी पहचान गहराई, गुणवत्ता और विचारशीलता से जुड़ी हुई है.
उनके प्रशंसक बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं—आमिर अगली बार क्या सोचकर, क्या महसूस करवा कर, क्या बहस छेड़ कर पर्दे पर लौटेंगे? क्योंकि जब आमिर कुछ करते हैं, तो वह केवल फिल्म नहीं होती—वह एक विचार होता है.