पीड़िता की नग्न परेड, मूक दर्शक बने ग्रामीणों पर लगाएं जुर्माना: कर्नाटक हाई कोर्ट

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 18-12-2023
Nude parade of woman
Nude parade of woman

 

बेंगलुरु. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को राय व्यक्त की कि जो ग्रामीण एक दलित महिला को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने पर मूकदर्शक बने रहे, उन पर सरकार को जुर्माना लगाना चाहिए और यह राशि पीड़िता को दी जानी चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश पी.बी. वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर गौर करते हुए आगे कहा कि कर्नाटक सरकार को बेलगावी जिले के वंतमुरी गांव के लोगों को सजा देने या जुर्माना लगाने का प्रावधान करना चाहिए, जहां यह घटना घटी.

खंडपीठ ने कहा कि ब्रिटिश शासनकाल में गवर्नर जनरल विलियम बेंटिक ने उन गांवों पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जहां लोग चोरी में शामिल थे. इसी प्रकार, यदि वर्तमान परिस्थितियों में अतिरिक्त शुल्क लगाया जाता है, तो लोग भविष्य में अधिक जिम्मेदारी दिखाएंगे.

अदालत ने कहा, “अगर ऐसी घटनाएं होने पर लोग मूकदर्शक बन जाते हैं, तो समाज में क्या संदेश जाता है? स्वार्थ के लिए कायरता दिखाने वाले ग्रामीणों को समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं. सरकार को गांव के प्रत्येक निवासी पर अतिरिक्त शुल्क लगाना होगा और जुर्माना वसूलना होगा.

“ऐसे समय में जब एक महिला को निर्वस्त्र किया जाता है और उसके साथ मारपीट की जाती है, तब ग्रामीणों का मूकदर्शक बने रहना निंदनीय है. अगर भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकनी हैं तो नागरिक समाज को संदेश देना होगा. इस पृष्ठभूमि में, हम जुर्माना वसूलने का आदेश दे रहे हैं.”

सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने कहा कि जहांगीर नाम के व्यक्ति ने महिला की मदद की. एडवोकेट जनरल शेट्टी ने कहा, "जब घटना हुई, तो वहां 60 से 70 लोग थे और ग्राम पंचायत सदस्यों सहित किसी ने भी पीड़ित की मदद करने की हिम्मत नहीं की."

उन्होंने कहा, “पीड़िता की काउंसलिंग की गई है और बेहतर इलाज दिया जा रहा है. उसकी सेहत में रोजाना सुधार हो रहा है. “सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है और प्रभावी जांच के लिए इसे सीआईडी को सौंप दिया है. 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. सरकार ने महिला को मुआवजे के तौर पर दो एकड़ जमीन और पाँच लाख रुपये भी दिए हैं.'

लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों और अन्य को निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि अगर ग्राम पंचायत के सदस्यों ने हस्तक्षेप किया होता तो यह घटना नहीं होती. बेंच ने कहा कि घटना का कोई राजनीतिक संबंध नहीं है और इसका उद्देश्य पीड़ित को न्याय दिलाना है.

यह घटना 10 दिसंबर को हुई जब 42 वर्षीय महिला को उसके घर के बाहर घसीटा गया, नग्न किया गया और घुमाया गया. फिर उसे बिजली के खंभे से बांधकर मारपीट की गई. उसकी गलती यह थी कि उसका बेटा गांव की एक लड़की के साथ भाग गया था. लड़की के परिवार वालों ने लड़के की मां यातना दी.

 

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