CJI गवई की माँ ने कहा – मेरे बेटे ने तीन साल खेत जोते

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 17-05-2025
CJI Gavai's mother said - My son ploughed the fields for three years
CJI Gavai's mother said - My son ploughed the fields for three years

 

आवाज द वाॅयस / नागपुर

जैसे ही न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली, उनके जीवन और पालन-पोषण को लेकर उनकी माँ डॉ. कमलताई गवई ने भावुक बातें साझा कीं. महाराष्ट्र के नागपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि उनके बेटे की सफलता अनुशासित पढ़ाई, निडर ईमानदारी और कठोर परिश्रम की कहानी है.

न्यायमूर्ति गवई भारत के पहले दलित मुख्य न्यायाधीश हैं जो बौद्ध धर्म का पालन करते हैं.डॉ. कमलताई गवई, बिहार, केरल और सिक्किम के पूर्व राज्यपाल स्व. आर. एस. गवई की पत्नी और दादासाहेब गवई चैरिटेबल ट्रस्ट की संस्थापक हैं.

दिल्ली में शपथ ग्रहण से एक दिन पहले उन्होंने न्यायमूर्ति गवई के बारे में कहा:“बच्चे स्वाभाविक रूप से दूसरों की नकल करते हैं, इसलिए माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे प्रारंभ से ही अच्छे संस्कार दें. इसी सोच के साथ हमने भूषण और उसके भाई-बहन राजेंद्र और कीर्ति पर विशेष ध्यान दिया.”

“चूंकि उनके पिता (दादासाहेब) राजनीति में अत्यधिक व्यस्त थे और घर के लिए समय बहुत कम होता था, बच्चों के व्यक्तित्व को गढ़ने की ज़िम्मेदारी मुख्य रूप से मेरी थी. भूषण ने अपने पिता के साथ काफी समय बिताया और उनकी कई विशेषताएं आत्मसात कीं. उनके न रहने पर, भूषण ने बहुत कम उम्र में परिवार की जिम्मेदारी उठाई.”

“हमारी आर्थिक स्थिति बहुत साधारण थी, लेकिन भूषण और उनके भाई-बहन हमेशा एक सादा जीवन जीते रहे — यह आदत आज भी उनमें है। जब दादासाहेब विधायक थे और भूषण मुंबई में पढ़ाई कर रहे थे, तब भी उन्होंने कभी ‘विधायक का बेटा’ होने का घमंड नहीं दिखाया.”

“वह कॉलेज बस से जाते थे, और हमेशा सादगी के सिद्धांत पर चलते थे. उन्हें बचपन से ही प्रकृति से प्रेम और खेती में विशेष रुचि थी. मुंबई में पढ़ाई पूरी करने के बाद वे अमरावती लौट आए और अपनी माँ की खेती में मदद करने लगे.”

“भूषण ने प्रारंभिक शिक्षा अमरावती के फ्रेजरपुरा क्षेत्र के एक स्कूल में प्राप्त की, जिससे उन्हें जीवन की वास्तविकता का अच्छा अनुभव मिला. इसके बाद उन्होंने मुंबई के होली क्रॉस स्कूल में आगे की पढ़ाई की और कॉमर्स में डिग्री प्राप्त की. फिर उन्होंने कानून की पढ़ाई करने का निश्चय किया.”

“कानून की डिग्री लेने के बाद वे कुछ समय खेती में लगे रहे. जब उनके पिता विधायक थे, तो भूषण मुंबई में रहकर उनकी मदद करते थे. चूंकि घर में हमेशा राजनीतिक कार्यकर्ताओं की भीड़ होती थी, पढ़ाई के लिए शांति नहीं मिलती थी, इसलिए भूषण बरामदे में बैठकर चुपचाप पढ़ाई करते थे.”

“मुंबई में जीवन यापन कठिन हो गया, तो वे अमरावती लौट आए और दो से तीन वर्षों तक खेती में लगे रहे, जो उन्हें बहुत प्रिय थी. वे कभी अहंकारी नहीं रहे, उनमें हमेशा आत्मसम्मान था.”

“बाद में उन्होंने डॉ. पंजाबराव देशमुख लॉ कॉलेज, अमरावती से कानून की पढ़ाई पूरी की और मुंबई में प्रसिद्ध वकील बैरिस्टर राजाभाऊ भोसले के सहायक के रूप में काम किया. फिर अमरावती में थोड़े समय तक वकालत की और बाद में नागपुर में स्वतंत्र अभ्यास शुरू किया.”

“उनकी कार्य के प्रति जिम्मेदारी, ईमानदारी, दूसरों की मदद के लिए तत्परता, सादगी और टालमटोल से बचने की प्रवृत्ति — ये सभी गुण उनके व्यक्तित्व का हिस्सा थे, और न्यायाधीश बनने के बाद भी इनमें बदलाव नहीं आया.”

“न्यायमूर्ति भूषण गवई ने एक अनोखा संतुलन बनाए रखा है: न्यायालय में वे एक सख्त न्यायाधीश हैं, लेकिन निजी जीवन में बेहद सामान्य व्यक्ति। उनका पढ़ने का शौक बचपन से ही था. चौथी कक्षा में ही उनकी अलमारी में विभिन्न विषयों की किताबें थीं.”

“वे इतना पढ़ने में तल्लीन रहते थे कि भोजन के समय भी किताबें नहीं छोड़ते थे. यह आदत आज भी जारी है. उन्हें मेहमानों का स्वागत करना पसंद है और वे अपने खुले दिल व उदार स्वभाव के लिए जाने जाते हैं.”

“वे जहाँ-जहाँ न्यायाधीश रहे, उन्होंने वृक्षारोपण, उद्यान निर्माण, फलदार पौधे और किचन गार्डन को बढ़ावा दिया, जिससे उनके प्रकृति प्रेम का पता चलता है.”

“उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त होना उनकी बुद्धिमत्ता और ईमानदारी की मान्यता थी. पद संभालते ही उन्होंने कार्यकुशलता और योग्यता का प्रदर्शन किया.”

“न्यायालय में उन्होंने हमेशा ‘भावनाओं से ऊपर कानून’ को प्राथमिकता दी और निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित किया. उनकी न्यायिक दृष्टिकोण में संतुलन, कानून का सम्मान और गैर-ज़रूरी तर्कों को नकारना — इन गुणों ने उन्हें लोकप्रिय बनाया.”

“उनकी नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अमरावती और उनके परिवार के लिए गर्व की बात है. अपने पिता की तरह, भूषण ने भी योग्यता के बलबूते ऊँचाई हासिल की, अपने नाम के अनुरूप — जो हिंदी और मराठी में ‘गौरव’ और ‘श्रृंगार’ का प्रतीक है.”

“न्यायमूर्ति गवई की कानूनी समझ, अध्ययनशीलता, ईमानदारी और भाषा पर पकड़ ने उन्हें प्रभावशाली तर्क प्रस्तुत करने में दक्ष बनाया. उनका आत्मविश्वास, शांति, विनम्रता, सादगी और दूसरों की मदद के लिए निडरता — यही गुण उन्हें कानूनी पेशे में आगे लेकर गए.”

“उन्होंने उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय दोनों में महाराष्ट्र सरकार और अनेक मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व किया और एक सफल वकील के रूप में प्रतिष्ठा अर्जित की.”