आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
निर्वाचन आयोग (ईसी) ने रविवार को कहा कि बिहार की मसौदा मतदाता सूची एक अगस्त को प्रकाशित होने के बाद से किसी भी राजनीतिक दल ने उसमें नाम शामिल करने या हटाने के लिए उससे संपर्क नहीं किया है.
आयोग ने कहा कि मसौदा सूची एक सितंबर तक दावों और आपत्तियों के लिए उपलब्ध रहेगी, जिसके तहत पार्टियां और व्यक्ति छूटे हुए पात्र नागरिकों को शामिल करने एवं उन लोगों को बाहर करने की मांग कर सकते हैं, जिन्हें वे अयोग्य मानते हैं.
निर्वाचन आयोग ने कहा कि एक अगस्त से 10 अगस्त (रविवार) की दोपहर तीन बजे तक, राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त किसी भी ‘बूथ-स्तरीय एजेंट (बीएलए)’ ने दावे और आपत्ति प्रक्रिया में चुनाव अधिकारियों से संपर्क नहीं किया है.
निर्वाचन आयोग के अनुसार, जून में राज्य मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू होने से ठीक पहले विभिन्न दलों द्वारा 1.61 लाख बीएलए तैनात किए गए हैं.
व्यक्तिगत मतदाताओं के नाम शामिल करने या हटाने के लिए 8,341 फॉर्म प्राप्त हुए.
मसौदा सूची निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में कराये जा रहे मतदाता सूची के एसआईआर का हिस्सा है, जिसका विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। इन दलों का दावा है कि इस प्रक्रिया के कारण कई पात्र नागरिक दस्तावेजों के अभाव में अपने मताधिकार से वंचित हो जाएंगे.
इस मुद्दे पर बहस की मांग कर रहे विपक्ष के विरोध प्रदर्शन के कारण 21 जुलाई से मानसून सत्र शुरू होने के बाद से संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही ठप रही है.
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची से वंचित नहीं रहेगा.
अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी.