आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा अब एक उलझी हुई पहेली बन चुकी है—जिसे सुलझाने की जितनी कोशिश होती है, यह उतनी ही जटिल होती चली जाती है. उनकी जान बचाने के लिए राजनयिक स्तर से लेकर धार्मिक नेतृत्व तक लगातार प्रयास हो रहे हैं. केरल के ग्रैंड मुफ्ती अबुबकर स्वयं इस दिशा में सक्रिय हैं और हाल ही में उन्होंने दावा किया था कि उनके प्रयासों से सजा माफ कर दी गई है.
उन्होंने बताया कि यमन में पीड़ित परिवार से उनकी बातचीत भी हो चुकी है. लेकिन हालात ने अचानक पलटी मार दी.दरअसल, हत्या के शिकार यमनी व्यवसायी तलाल अब्दो महदी के भाई अब्दुल फत्ताह महदी ने एक बार फिर यमन सरकार से अपील की है कि निमिषा प्रिया की मौत की सजा को तुरंत लागू किया जाए.
अब्दुल फत्ताह ने साफ कहा है कि उनके परिवार ने किसी भी तरह के माफीनामे या क्षमादान की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया है.अब्दुल फत्ताह ने अपने फेसबुक पोस्ट में बताया कि उन्होंने यमन के उप अटॉर्नी जनरल से मुलाकात कर फांसी की नई तारीख तय करने पर जोर दिया है.
इसके साथ ही उन्होंने एक आधिकारिक पत्र भी साझा किया जिसमें 'प्रतिशोध' के फैसले को तुरंत लागू करने की मांग की गई है और यह कहा गया है कि न्याय में देरी, न्याय से इनकार के बराबर है.
इस पत्र में हत्या को "क्रूर और अभूतपूर्व अपराध" बताया गया है, जिसने यमनी जनता को भयभीत कर दिया और जिसकी व्यापक निंदा हुई. अदालत के मुताबिक, 2017 में निमिषा प्रिया ने तलाल की हत्या की, उसके शरीर के टुकड़े किए और अवशेषों को थैलों में भरकर एक बंद पानी की टंकी में छिपा दिया.
फांसी की तारीख पहले 7 जून 2025 तय की गई थी, लेकिन अटॉर्नी जनरल के आदेश पर इसे टाल दिया गया. इसके बाद भी तलाल का परिवार लगातार नई तारीख की मांग करता रहा है. 25 जुलाई और 4 अगस्त को भी इसी तरह के पत्र भेजे गए थे. अब यह उनकी तीसरी सार्वजनिक अपील है.
निमिषा प्रिया कौन हैं?
37 वर्षीय निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ की रहने वाली हैं। 2008 में वह नर्स के तौर पर यमन गईं और वहां सना में एक मेडिकल क्लिनिक खोला. 2017 में उन्हें अपने यमनी बिज़नेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
रिपोर्टों के मुताबिक, निमिषा ने अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए तलाल को बेहोश करने की कोशिश की थी, जो नाकाम रही और तलाल की मौत हो गई.यमनी अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई, जिसके बाद भारत में और यमन में कई सालों से कानूनी व मानवीय अभियान चल रहे हैं.
बेटी की भावुक अपील
निमिषा की बेटी मिशेल ने भी भावुक अपील करते हुए कहा,"मुझे अपनी माँ की बहुत याद आ रही है. कृपया उन्हें वापस लाने में मदद करें."मिशेल अपने पिता और एक्शन काउंसिल के सदस्यों के साथ यमन जाकर रिहाई की कोशिशों में शामिल हुई थी.
भारत का रुख और कानूनी संभावना
भारत की यमन में कोई राजनयिक उपस्थिति नहीं है, इसलिए वह तीसरे पक्ष के सहयोगियों के जरिए मानवीय समाधान खोजने की कोशिश कर रहा है. इस्लामी कानून के तहत एक संभावना "दीया" (रक्तमुआवज़ा) की है, जिसमें पीड़ित परिवार मुआवजे के बदले दोषी को माफ कर सकता है. लेकिन तलाल का परिवार इस विकल्प को अब तक ठुकराता आया है.
निमिषा प्रिया का मामला अब एक ऐसे मोड़ पर है जहां हर दिन उनके भाग्य का फैसला टलता या बदलता नजर आता है. एक तरफ भारत और उनके समर्थक उन्हें बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पीड़ित परिवार न्याय की त्वरित क्रियान्वयन पर अड़ा है.